Mohan Bhagwat: 'संघ' के 'मोहन' का RSS से तीन पीढ़ियों का है नाता, जानिए अनसुने किस्से

Mohan Bhagwat: मोहन भागवत ने हिंदुत्व को आधुनिकता के साथ आगे बढ़ने पर हमेशा जोर दिया है।

Published By :  Dharmendra Singh
Update:2021-08-27 22:05 IST

Mohan Bhagwat: "मोहन मधुकर भागवत" ये नाम शायद ही किसी को न पता हो। एक ऐसी शख्सियत जिसने हिंदुत्व को आधुनिकता के साथ आगे बढ़ने पर हमेशा जोर दिया है। पर क्या आप जानते हैं कि मोहन भागवत एक ऐसे प्रतिभाशाली छात्र भी रहे हैं और उन्होंने ने वेटेनरी मेडिकल की पढ़ाई भी की है।

मोहन भागवत साल 2009 से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ संचालक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोहन भागवत का संघ से रिश्ता 3 पीढ़ियों से है। साल 1925 में संघ की स्थापना के बाद से ही मोहन भागवत के दादा नारायण भागवत, जोकि सतारा के रहने वाले थे, संघ से सक्रिय रूप से जुड़ गए और काम करने लगे। जहां उन्हें नया नाम "नाना साहेब भागवत" मिला।
मोहन भागवत के पिता नारायण भागवत का जीवन अपने पिता नाना साहेब भागवत के साथ संघ की शाखा में ही बीता जहां वो लढ़ियां भांजा करते थे और जवान होते ही वो संघ के प्रचारक बन चुके थे वहीं उनका विवाह कुछ समय बाद मालतीबाई से हुआ।
11 सितम्बर साल 1950 में मधुकर और मालतीबाई ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम है "मोहन मधुकर भागवत"। मोहन भागवत का जीवन भी अपने पिता के समान शाखा में ही बीता वो बहुत ही प्रतिभाशाली छात्र रहे हैं। कुछ समय बाद भागवत अपने पिता की जगह चंद्रपुर जिले के संघसंचालक बने। बाद में भागवत ने अकोला के डॉक्टर पंजाबराव देशमुख वेटेनरी कॉलेज में दाखिला ले लिया। मोहन भागवत ने संघ का काम यहां भी जारी रखा।
कहा जाता है कि जब भागवत अकोला से अपनी पढ़ाई पूरी करके लौटे थे तब एक बोरे में इनाम भर कर लाये थे, लेकिन आपातकाल के कुछ पहले ही भागवत की पढ़ाई बीच में ही रुक गयी और आपातकाल के दौरान उनके पिता मधुकर भागवत और मां मालतीबाई को जेल भी जाना पड़ा। वहीं कहा जाता है कि मोहन भागवत पूरे आपातकाल के दौरान अज्ञातवास में रहे और आपातकाल के अज्ञातवास के बाद जब वापस आये तो तेजी से संघ का काम शुरू किया और संघ में खूब तरक्की भी मिली।


Tags:    

Similar News