Mundan Sanskar: मुंडन की दावतें तो बहुत उड़ाई होंगी, अब ये भी जान लीजिए इसके फायदे

Mundan Kyu Hota Hai: हिंदू धर्म में जन्म से मृत्यु तक सोलह संस्कार होते हैं, जिनमें से एक मुंडन संस्कार भी है। हिंदू धर्म में मुंडन करवाना अनिवार्य माना जाता है।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update:2022-04-14 22:02 IST

मुंडन (फोटो साभार- इंस्टाग्राम) 

Mundan Sanskar: साल भर में कई बार हमें मुंडन संस्कार (Mundan Ceremony) के दावतनामे मिलते रहते हैं। और हम वहां छक के खाते हैं, यारों से मिलते हैं, मौजमस्ती करते हैं, वापस आकर सो जाते हैं। लेकिन दावतनामे से लेकर सोने तक ये कभी सोचा है कि ये मुंडन होता क्यों (Mundan Kyu Hota Hai) है? कोई नहीं हम किस लिए हैं हम बता देते हैं।

हिंदू धर्म में जन्म से मृत्यु तक सोलह संस्कार होते हैं। 16 संस्कारो में ही जीवन आरंभ हो अंत हो जाता है। गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, मुंडन/चूडाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन, विवाह और अन्त्येष्टि संस्कार/श्राद्ध संस्कार। ये हैं कुल 16 संस्कार और शर्त लगा लो हमसे इसमें से 6 भी नहीं पता थे आपको।

मुंडन क्यों होता है?

मुंडन संस्कार शिशु के प्रथम वर्ष या तृतीय वर्ष में होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चौरासी लाख योनियों के बाद मानव योनी मिलती है। इतनी योनी की यात्रा के दौरान जीवात्मा कई पाशविक संस्कार, विचार और मनोभाव को अपने अंदर धारण करती रहती है। शिशु को इससे मुक्त करने और आदर्शवान बनाने के लिए मुंडन संस्कार का प्रावधान है।

इसके साथ ही कहा गया कि मुंडन संस्कार से शिशु बलवान होता है। उसे पूर्वजन्म के सभी शापों से मुक्ति मिल जाती है। गर्भवस्था की अशुद्धियों को भी मुंडन संस्कार दूर करता है।

मान्यता है कि बालों में स्मृतियाँ शेष रहती हैं, वो जीवनभर बनी रहती है। इनका प्रभाव न सिर्फ उस व्यक्ति बल्कि परिवार और समाज पर भी होता है। इसलिए जन्म के साथ आए बालों को मुंड दिया जाता है, ताकि पूर्वजन्म की स्मृतियों मिट सकें और आने वाला जीवन आदर्श और सुखी हो।

गुरुकुल जाने से पहले भी होता था मुंडन

प्राचीन काल में मुंडन संस्कार के उपरांत 7 वर्षों तक बालों को बढ़ने दिया जाता था। जब वो गुरुकुल जाने वाले होते थे, तब एकबार फिर उनका मुंडन किया जाता और जनेऊ संस्कार होता था।

शिशु का मुंडन संस्कार मां की गोद में होता है। इस दौरान शिशु का मुख अग्नि दिशा में जिसे पश्चिम दिशा कहते हैं की ओर रखा जाता है। बाल मुंडने के बाद सिर को गंगाजल से साफ किया जाता है। उसके बाद हल्दी-चंदन का लेप लगाया जाता है। मुंडन के बाद कुछ केश भगवान को अर्पित किए जाते हैं। कुछ जातियों में इन्हें नदियों में प्रवाहित करने की भी परंपरा है। कहीं कहीं ये बाल बुआ भी सहेजती है। 

मुंडन संस्कार हमेशा पवित्र स्थानों पर संपन्न होते हैं। इस संस्कार के बाद भोज दिया जाता है। लेकिन ये आवश्यक नहीं कि भोज दिया ही जाए। ज्योतिष शास्त्र में द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और द्वादशी तिथियों को मुंडन संस्कार के लिए शुभ बताया गया है।

मेडिकल साइंस की भी जानें

मेडिकल साइंस के मुताबिक, मुंडन से जहां गंदगी समाप्त होती है। वहीं, रोमछिद्र भी खुल जाते हैं। इससे कपाल पर नए घने और मजबूत बाल निकलते हैं।

अब आया समझ में क्यों होता है मुंडन संस्कार और क्या हैं इसके फायदे। 

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