Political Party Expenditure on Election: सिर्फ 4 हजार करोड़ में अब तक लड़ा गया यूपी चुनाव, पहले का जानें ब्योरा

इसी से जुड़े आंकड़ों पर अध्ययन के बाद सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने अनुमान लगाया, कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारत में 60,000 करोड़ रुपए खर्च हुए। इससे पहले के लोकसभा चुनाव, जो वर्ष 2014 में हुए थे में, तकरीबन 30,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।

Written By :  aman
Update:2022-02-18 09:22 IST

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Political Party Expenditure on Election: हमारे देश में चुनावों में पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। ये सिलसिला दशकों से चला आ रहा है। हालांकि, बीच-बीच में इसके नियंत्रण की कई कोशिशें हुईं। चुनाव आयोग (Election commission) ने चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों (candidates) के लिए खर्च की सीमा तय कर रखी है, बावजूद इसके पॉलिटिकल पार्टियां अपने प्रचार में पानी की तरह पैसा बहाती हैं।

इसी से जुड़े आंकड़ों पर अध्ययन के बाद सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (Center for Media Studies) ने अनुमान लगाया, कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारत में 60,000 करोड़ रुपए खर्च हुए। इससे पहले के लोकसभा चुनाव, जो वर्ष 2014 में हुए थे में, तकरीबन 30,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में इतने खर्च का अनुमान

बताया जा रहा है, कि इस बार सिर्फ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 4000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। अब आपके मन में सहज सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इतना पैसा आता कहां से है। तो इसका जवाब है पीछे के दरवाजे से। यही मुख्य वजह है कि चुनावों के दौरान करोड़ों रुपए कैश के रूप में पकड़ा जाता है पकड़ा जाता है.

यूपी में साल दर साल बढ़ती गई जब्त राशि

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 20 करोड़ कैश जब्त किए गए थे। वहीं, साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने यूपी में 191 करोड़ रुपए कैश जब्त किए थे। इसी प्रकार साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में कुल 115 करोड़ रुपए नकद पकड़े गए थे।

बीजेपी-कांग्रेस के आंकड़े चौंकाने वाले

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के अनुसार, राजनीतिक दलों में सिर्फ बीजेपी ने पांच साल के भीतर 3,585 करोड़ रुपए चुनावों पर खर्च किए गए। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने इस दरमियान 1,405 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए। बता दें, कि ये आंकड़े साल 2015-16 से 2019-20 तक का है। यह जानकारी पॉलिटिकल पार्टियों की तरफ से चुनाव आयोग को दी गई है।

ऐसे होती है पॉलिटिकल पार्टियों की कमाई

अब सवाल उठता है कि जब राजनीतिक दल इतनी भारी-भड़कम राशि खर्च कर रही है तो इन पार्टियों की कमाई का जरिया क्या है। तो हम आपको बताते हैं। इन पार्टियों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया 'चुनावी बॉन्ड'' होता है। ये बांड बैंकों से मिलता है। नहीं समझे ! चलिए हम आपको समझते हैं। इसे ऐसे समझिए, कि यदि किसी व्यक्ति ने एसबीआई से चुनावी बॉन्ड खरीदा और उसे किसी पार्टी को दे दिया। यहां आपको ये भी बता दें कि ये बॉन्ड बैंकों में 1,000 रुपए से लेकर एक करोड़ रुपए तक का हो सकता है।

चुनावी बॉन्ड बना 'वरदान'

आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2019-20 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 3,623 करोड़ रुपए की कुल कमाई हुई थी। इस पूरी राशि में 2,555 करोड़ रुपए तो केवल चुनावी बॉन्ड से प्राप्त हुए थे। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि चुनावी बॉन्ड से इन्हें कितनी रकम हासिल होती है। इसी तरह कांग्रेस पार्टी को 3.17 करोड़ रुपए चुनावी बॉन्ड से मिले थे, जबकि पार्टी की कुल कमाई 682 करोड़ रुपए से अधिक थी।

इन रास्तों से भी हासिल होती है मोटी रकम

चुनावी बॉन्ड के अलावा राजनीतिक दलों को डोनेशन (donation), क्राउड फंडिंग (crowd funding) और मेंबरशिप (Membership) से भी कमाई होती है। इन रास्तों से भी दलों को मोटी रकम हासिल होती है। इसके अलावा कॉर्पोरेट डोनेशन (corporate donation) से भी पार्टियों की अच्छी कमाई होती है। कॉर्पोरेट डोनेशन के जरिए बड़े कारोबारी-व्यापारी पार्टियों को चंदा देते हैं।

बीते साल 5 चुनावों में पार्टियों ने कितना खर्च किया?

वर्ष 2021 में भारत में पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु तथा पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस दौरान सिर्फ बीजेपी ने 252 करोड़ रुपए खर्च किए। दूसरे स्थान पर तृणमूल कांग्रेस रही थी। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने चुनाव पर 154 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने इस दौरान करीब 85 करोड़ रुपए खर्च किए थे।political party expenditure on election, UP election 2022, bjp, congress, samajwadi party, bsp, tmc, income and expenses, election commission, latest news

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