मोहन भागवत की हुंकार: आगामी 15 साल में होगा अखंड भारत का निर्माण, जानें यह कितना संभव

Mohan Bhagwat Statement: मोहन भागवत ने अखंड भारत निर्माण की अपनी इच्छा जाहिर की और कहा कि यदि हमारी और देशवासियों की मेहनत जारी रही तो आने वाले 15 सालों में अखंड भारत का निर्माण संभव है।

Written By :  Rajat Verma
Published By :  Monika
Update:2022-04-20 09:12 IST

RSS सरसंघचालक मोहन भागवत (photo: social media )

 Mohan Bhagwat Statement: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत  (Mohan Bhagwat Statement) अक्सर अपने बयानों में अखंड भारत (Akhand Bharat) जैसे शब्दों का प्रयोग करते देखे गए हैं। दरअसल मोहन भागवत साल दर साल अपने बायनों के माध्यम से अखंड भारत का सपना संजोते चले आ रहे हैं। ऐसे में वापस से अखंड भारत निर्माण को लेकर मोहन भागवत का एक ही तर्क है कि 'यदि भारत का विभाजन संभव था तो वापस से अखंड भारत का निर्माण भी संभव है।

आपको बात दें कि हाल ही में अपने हरिद्वार दौरे पर मोहन भागवत ने वापस से अखंड भारत निर्माण की अपनी इच्छा जाहिर की और कहा कि यदि हमारी और देशवासियों की मेहनत जारी रही तो आने वाले 15 सालों में अखंड भारत का निर्माण संभव है। अखण्ड भारत यानी पूर्व का वह भारत जो आज के पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमानर, अफगानिस्तान, तिब्बत और श्रीलंका तक विस्तृत माना जाता था।

मोहन भागवत के बयान के मुताबिक आगामी 15 साल में वापस से अखण्ड भारत का निर्माण यानी इन देशों का भारत में विलय संभव है लेकिन क्या प्रक्रिया वाकई में बयान जितनी आसान है। दरअसल, वर्तमान में भारत समेत इन 8 देशों का अपना अलग संविधान और क्रियान्वयन है, ऐसे में भारत इन देशों के विलय से अखण्ड भारत निर्माण की परिभाषा पाठ्यक्रम के इर्द-गिर्द नज़र नहीं आती। हालांकि भविष्य किसी ने नहीं देखा लेकिन आगामी 15 साल में ऐसा कुछ यदि होता है तो इसके लिए एक बड़े चमत्कार की आवश्यकता है।

अखंड भारत निर्माण को प्राथमिकता

आरएसएस सरसंघचालक मोहन में बीते वर्ष सहित कई अन्य अवसरों पर भी अखंड भारत निर्माण को प्राथमिकता दी है। बतौर मोहन भागवत अखंड भारत निर्माण ही देश में फैली तमाम अराजक्ताओं और समस्या का हल है।

बीते कई सालों के अंतराल में भारत से अलग हुए इन देशों की वर्तमान और पूर्व की स्थिति में बेहद अंतर है। ऐसे में अखंड भारत का निर्माण क्या बदलाव लाएगा और क्या यह वाकई में संभव है, जमीनी हकीकत पर यह मुद्दा बहस और बयान देने जितना आसान बिल्कुल भी नहीं है।

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