Samlaingik Vivah: दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र ने कहा- कानून जैसा भी, केवल महिला- पुरुष के बीच ही विवाह की अनुमति

Samlaingik Vivah: 'कानून चाहे कुछ भी कहता हो, भारत में अभी केवल जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच विवाह (biological man and biological woman marriage) की ही अनुमति है।'

Written By :  aman
Published By :  Shweta
Update:2021-10-25 18:58 IST

कॉन्सेप्ट फोटो (फोटो साभारः सोशल मीडिया)

Samlaingik Vivah: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court)  में सोमवार (25 अक्टूबर, 2021) को 'कानून के तहत समलैंगिक विवाह (Samlaingik Vivah)  को मान्यता' से मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार (central government) की तरफ से कोर्ट को बताया गया, कि 'कानून चाहे कुछ भी कहता हो, भारत में अभी केवल जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच विवाह (biological man and biological woman marriage)  की ही अनुमति है।' केंद्र की तरफ से पेश दावे में कहा गया है, कि नवतेज सिंह जौहर मामले (Navtej Singh Johar case) को लेकर कुछ भ्रांतियां हैं। जिसमें, समलैंगिकता (Same sex marriage) को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया, लेकिन शादी की बात नहीं की गई।

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह (Chief Justice DN Patel and Justice Jyoti Singh) की बेंच ने अभिजीत अय्यर मित्रा, वैभव जैन, डॉ. कविता अरोड़ा, ओसीआई कार्ड धारक जॉयदीप सेनगुप्ता तथा उनके साथी रसेल ब्लेन स्टीफेंस की याचिकाओं पर ये सुनवाई कर रही थी। बेंच ने सभी पक्षों को अपनी दलीलें पूरी करने के लिए और समय दिया है। याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए 30 नवंबर की तारीख निश्चित की गई है।

दलील में क्या? 

इस मामले की सुनवाई के दौरान, जॉयदीप सेनगुप्ता और स्टीफेंस (Joydeep Sengupta and Stephens Case) की ओर से पेश हुए वकील करुणा नंदी ने बताया, कि जोड़े ने न्यूयॉर्क में शादी की है। उनके मामले में नागरिकता अधिनियम 1955, विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 तथा विशेष विवाह अधिनियम, 1954 कानून लागू होता है। उन्होंने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 7ए (1) (डी) पर प्रकाश डाला, जो विषमलैंगिक, समान-लिंग या समलैंगिक पति-पत्नी के बीच कोई भेद नहीं करता है। इसमें प्रावधान है, कि भारत के एक विदेशी नागरिक से विवाहित एक 'व्यक्ति', जिसका विवाह पंजीकृत है और दो साल से अस्तित्व में है, को ओसीआई कार्ड के लिए जीवनसाथी के रूप में आवेदन करने के लिए योग्य घोषित किया जाना चाहिए।

तो हमें कोई आपत्ति नहीं

वकील करुणा नंदी ने कहा, कि 'यह बेहद सीधा मुद्दा है। नागरिकता कानून विवाहित (Same sex marriage Law in india) जोड़े के लिंग पर मौन है। राज्य को केवल पंजीकरण करना है। इसलिए यदि केंद्र जवाब दाखिल नहीं करना चाहता, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।' 

'विवाह विषमलैंगिक जोड़ों से जुड़ा शब्द'

हालांकि, केंद्र सरकार (central government ka Same sex marriage par bayan) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने इस पर तर्क दिया, कि 'स्पाउस' का अर्थ पति और पत्नी है। 'विवाह' विषमलैंगिक जोड़ों से जुड़ा एक शब्द है। इस प्रकार नागरिकता कानून के संबंध में कोई विशिष्ट जवाब दाखिल करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, कि 'कानून जैसा भी है, जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच ही विवाह की अनुमति है।'

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