Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून रोके जाने को लेकर किया सवाल, कल तक केंद्र से मांगा जवाब
Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से किसी मामले में कानून की दोबारा से समीक्षा तक देशद्रोह कानून पर रोक लगाने को लेकर सवाल किया है, जिसका SC ने कल तक जवाब मांगा है।
Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में देशद्रोह कानून को लेकर जारी कार्यवाही के तहत न्यायाधीश ने मंगलवार को केंद्र सरकार (Centre Government) से कुछ सवाल किए हैं, जिसके तहत केंद्र सरकार को कल तक जवाब देने को कहा है। आपको बता दें कि देशद्रोह कानून हमेशा से विवाद का विषय रहा रहा है और सत्तारूढ़ सरकार पर भी इसके दुरुपयोग के आरोप लगते रहे हैं। वर्तमान में केंद्र की भाजपा सरकार पर भी देशद्रोह कानून का दुरूपयोग करने के कई आरोप लगे हैं। आमतौर पर अक्सर विपक्षी दलों द्वारा सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधा जाता रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से किसी मामले में कानून की दोबारा से समीक्षा तक देशद्रोह कानून पर रोक लगाने को लेकर सवाल किया है, जिसका सर्वोच्च न्यायालय ने कल तक जवाब मांगा है। न्यायालय के समक्ष ऐसे कई मामले हैं, जिसमें व्यक्ति पहले से ही देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहा है और उसपर सम्बंधित धाराओं में मामला दर्ज है लेकिन इसके विपरीत केंद्र द्वारा इन मामलों में जांच जारी है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों प्रति चिंता व्यक्त की है। इसी के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कानून की दोबारा से जांच अथवा समीक्षा होने तक देशद्रोह कानून के तहत मामले पर रोक लगाए जाने का सवाल किया है।
इस संबंध में मामले की सुनवाई कर रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने केंद्र सरकार के पक्षकार से कहा कि- "हम आपको सरकार से निर्देश लेने के लिए कल सुबह तक का समय देगे हैं। हमारी विशेष चिंता देशद्रोह के लंबित और भविष्य के मामलों को लेकर है। इसी के चलते यह जानना भी अहम है कि जबतक सरकार कानून की दोबारा जांच नहीं करती है, तब तक इन मामलों की देखभाल कैसे करेगी?"
केंद्र ने लिखित में दिया था यह जवाब
आपको बता दें कि न्यायालय में यह मामला आने के बाद सबसे पहले केंद्र सरकार ने अपना लिखित जवाब देते हुए कहा था कि देशद्रोह कानून में कोई गलती नहीं है और इसमें पुनर्विचार और बदलाव को लेकर कोई ज़रूरत नहीं है। वहीं अपने इस जवाब के अगले ही दिन केंद्र सरकार ने देशद्रोह कानून में पुनर्विचार, जांच और ज़रूरत पड़ने पर परिवर्तन के लिए सहमति जाहिर कर दी।
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