Vaccination: बिना बूस्टर काम नहीं आएगी कोरोना वैक्सीन, 6 महीने ही टीका रहेगा असरदार!

Vaccination: पिछले दो सालों से पूरी दुनिया कोरोना की वैश्विक महामारी से जुझ रही है।

Newstrack :  Network
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2021-08-26 04:08 GMT

कोरोना वैक्सीन की डोज (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Vaccination: पिछले दो सालों से पूरी दुनिया कोरोना (Corona) की वैश्विक महामारी से जुझ रही है। इस जानलेवा वायरस ने बहुत से लोगों की जान ले ली। लेकिन अभी तक इस बीमारी का कोई स्थाई बचाव का इलाज नहीं मिल पाया है। हालांकि इससे बचाव के लिए वैक्सीन जरूरी है। लेकिन वैक्सीन लगवाने के बाद खुद को कितने दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है ये भी एक बड़ा सवाल है। कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोविडशील्ड और कोवैक्सीन।

वहीं विदेशों में फाइजर स्पूतनिक आदि वैक्सीन बन चुकी हैं। और वैक्सीन ने अपने अलग अलग दावे किए हैं। जिसके बाद अब वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की ओर से जानकारी मिल रही है कि सिर्फ वैक्सीन की दो डोज लगवाकर ही आप खुद को लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रख सकते हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबित दोनों डोज लगवाने से शरीर में पर्याप्त मात्र में एंटीबॉडी डोज बन जाती है 

आपकों बता दें वैज्ञानिक और विशेषज्ञों के मुताबित कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लगवाने के बाद आपके शरीर में वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी बन जाती है। इसका प्रभाव होता है कि जब भी शरीर कोरोना वायरस की चेपट में आता है तो ये एंटीबॉडी वायरस से लड़ता है। और व्यक्ति को हानि नहीं पहुंचने देता है। वहीं अब यह जानकारी सामने आ रही है कि अब वैक्सीन का बूस्टर शॉट भी लगवाना होगा।

कोरोन वैक्सीन की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

कोरोना वैक्सीन पर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोरोना वैक्सीन वायरस से बचाव तो कर सकता है लेकिन लगभग एक साल बाद शरीर में एंटीबॉडी घटने लगेगी। जिसके बाद शरीर को बूस्टर डोज लेने की आवश्यकता होगी। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि वैक्सीन के बाद अब यह बूस्टर डोज क्या है। यह कैसे काम करती है।

मेडिकल कॉलेज की डॉ. आरती अग्रवाल कहा वैक्सीन के बाद बूस्टर को लेकर चल रहा काम  

एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा में माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट हेड प्रो आरती अग्रवाल ने बताया कि कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद अब ये बूस्टर को लेकर काम चल रहा है। यह भारत बायोटेक की ओर से हाल ही में दिल्ली एम्स में बूस्टर का ट्रायल भी किया जा रहा है। यह बूस्टर छह महीने पहले वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को दिया जा सकता है। लेकिन अभी इसके परिणाम आने बाकी हैं कि ये बूस्टर कितने कारगर हैं।

बूस्टर शरीर में मौजूद मेमोरी सेल्स को एक्टिवेट करती है

डॉ.आरती अग्रवाल ने बताया कि बूस्टर मुख्य रूप से वैक्सीन की तय डोज एक या दो डोज के बाद एक अंतराल पर दी जाने वाली अगली डोज होती है। जो हमारे शरीर में मौजूद मेमोरी सेल्स को एक्टिवेट करती है। और एंटीबॉडी को फिर से वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता प्रदान करती है। यह बूस्टर वैक्सीन को अपडेट करता है। उन्होंने आगे कहा वैक्सीन लगवाने के एक या दो साल के अंतराल में यह बूस्टर की डोज दी जाती है।

डॉ. आरती अग्रवाल बताती हैं कि कोरोना वैक्सीन डोज में मौजूद दवा की तरह ही यह बूस्टर डोज रहती है। लेकिन यह ज्यादा कारगर होती है। वैज्ञानिक भी यह बात मानते हैं कि यहां तक की अभी तक की चिकित्सा पद्धति में भी यही है कि एक साथ भारी खुराक लेने के बजाय अगर छोटी-छोटी खुराक एक अंतराल पर ली जाएं तो ये ज्यादा फयदेमंद होती है। हालांकि कोविशिल्ड को लेकर भी यही देखा गया है। जिसके बाद कोविशिल्ड की दूसरी डोज का अंतराल बढ़ाया गया है।

आप ऐसे समय सकते हैं कि जैसे खाने को एक दिन में खान लिया जाए तो तबियत बिगड़ सकती है। लेकिन धीरे-धीरे कुछ समय-समय बाद खाया जाए तो वह शरीर को लाभ पहुंचाता है। बूस्टर भी इसी तरह काम करता है।

बूस्टर कोरोना संक्रमण को रोकने में कारगर

बूस्टर को लेकर यह बात भी सामने आई है कि यह कोरोना वायरस के बदलते रूप को रोकने के लिए सफल हो सकता है। कोरोना का वायरस म्यूटेट होता है। इसके अलग-अलग वैरिएंट सामने आ रहे हैं। ऐसे में बूस्टर शॉट उसी को आधार मानकर तय किया जाता है। वैज्ञानिक द्वारा अपग्रेड किया जाता है। लिहाजा यह वैरिएंट में भी असरदार रहता है।

कोरोना वैक्सीन की प्रतिकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

भारत बायोटेक बूस्टर का कर रही ट्रायल

जानकारी के मुताबित सोमवार को एम्स के परीक्षण केंद्र पर पांच लोगों को बूस्टर खुराक दी गई है।  बूस्टर डोज उन लोगों को दी जा रही है। जिसने कोरोना वैक्सीन की दोनो डोज लगावा लगी है। और वैक्सीन लगवाने के छह महीने पूरे हो चुके हैं। आईसीएमआर के साथ मिलकर हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी ने कोवैक्सिन को तैयार किया है। जिसे एक कोरोना के जिंदा विषाणुओं को असक्रिय करने के बाद बनाया जा है। तीन जनवरी को भारत की यह वैक्सीन आपातकलीन इस्तेमाल की अनुमति लेने के बाद राष्ट्रीय टीकाकरम का हिस्सा भी बनी थी।       

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