बसपा से ज्यादा सपा राज में पुलिस पर हुए हमले, 1045 घटनाओं में 4 शहीद

Update: 2016-06-03 15:16 GMT

लखनऊः प्रतापगढ़ में सीओ जिया-उल-हक, बिजनौर में एनआईए अफसर तंजील अहमद और अब मथुरा में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और फरह थाने के एसओ संतोष कुमार यादव की हत्याओं की घटनाएं समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान पुलिस के इकबाल पर सवालिया निशान खड़े करती है। साथ ही ये घटनाएं बताती हैं कि सूबे में कानून और व्यवस्था की हालत कितनी खराब है।

मायावती सरकार से ज्यादा हुए हमले

23 फरवरी को सपा सरकार ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में खुद माना था कि उसके शासनकाल में 1044 बार पुलिसवालों पर हमले हुए। जबकि, उससे पहले की मायावती सरकार में ऐसे हमलों की संख्या महज 547 ही थी।

मायावती के राज में हमलों का आंकड़ा

-साल 2007-08 में पुलिस पर 75 बार हमले हुए थे।

-साल 2008-09 में यह आंकड़ा 101 हो गया था।

-साल 2009-10 में पुलिस पर 103 बार हमले हुए थे।

-साल 2010-11 में पुलिस पर 124 बार हमले किए गए थे।

-साल 2011-12 में पुलिस पर 144 हमलों की रिपोर्ट दर्ज हुई थी।

सपा के शासन में हमलों का आंकड़ा

-साल 2012-13 में पुलिस पर 202 बार हमले किए गए।

-साल 2013-14 में पुलिस पर 264 हमले हुए।

-साल 2014-15 में 300 बार पुलिसवालों पर हमले।

-साल 2015-16 में पुलिस पर 278 बार हमले किए गए।

अब तक चार पुलिसकर्मी शहीद

मथुरा में एसपी सिटी और फरह थाने के एसओ की मौत के साथ ही सपा के कार्यकाल में पांच पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं। वहीं, एनआईए के अफसर तंजील अहमद को उनके ही रिश्तेदारों ने मार डाला था। इस सरकार के दौरान हमलों में मथुरा की घटना मिलाकर अब तक 583 पुलिसवाले घायल हुए हैं। फरवरी तक प्रदेश में पुलिस पर हुए हमलों में 3071 लोगों को नामजद किया गया था। जबकि कुल आरोपियों की संख्या 3884 थी।

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