लखनऊ पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, गैंगरेप के फरार मुख्य आरोपी गायत्री प्रजापति अरेस्ट

Update:2017-03-15 08:53 IST

लखनऊ: लखनऊ पुलिस को बुधवार को बड़ी कामयाबी मिली। सपा मंत्री और गैंगरेप केस के फरार मुख्य आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति को गिरफ्तार कर लिया गया है। लंबे समय से प्रजापति फरार थे और पुलिस उनकी तलाश कर रही थी। एसटीएफ और लखनऊ पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में प्रजापति को गिरफ्तार किया गया है। एडीजी दलजीत चौधरी के मुताबिक, प्रजापति को लखनऊ से ही गिरफ्तार किया गया है। इन पर खनन मंत्री रहते हुए घोटालों के भी कई आरोप हैं।

वहीं, एसएसपी मंजिल सैनी ने बताया कि प्रजापति के करीबियों, बेटे और भतीजे से पूछताछ के बाद उनके ठिकाने के बारे में पता चला था। इससे पहले वो खुद को सरेंडर करते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें लखनऊ के देशबंधु अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया। इसके बाद डिस्ट्रिक्ट जज के सामने पेश किया गया। फिलहाल गायत्री प्रजापति को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

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कब से फरार चल रहे थे प्रजापति ?

बता दें कि यूपी में पांचवें चरण (27 फरवरी) के चुनाव के बाद से ही गायत्री लापता थे। सपा सरकार ने उन्हें अमेठी से टिकट दिया था। मंत्री गायत्री प्रजापति के घर पर मंगलवार (28 फरवरी) को सीओ अमिता सिंह की अगुआई में पुलिस टीम ने छापेमारी की। हालांकि इस दौरान गायत्री प्रजापति अपने घर पर नहीं मिले थे। देश छोड़ कर भागने की आशंका के मद्देनजर खुफिया एजेंसियों ने गायत्री प्रजापति को लेकर अलर्ट जारी किया गया था। उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया गया था और पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया था।

नीचे देखिए, आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति की गिरफ्तार की VIDEO...

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मुलायम के करीबी माने जाते हैं गायत्री

गायत्री प्रसाद प्रजापति को समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता है। विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अमेठी जाकर उनके लिए चुनाव प्रचार भी किया था, जिसकी वजह से वो विपक्षी पार्टियों के निशाने पर भी आ गए थे।

पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चुनावी रैलियों के दौरान बार-बार यह कहा था कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही 11 मार्च दोपहर 1 बजे के बाद गायत्री को पाताल से भी खोज निकालेंगे। वहीं यूपी बीजेपी प्रेसिडेंट केशव मौर्या ने आरोप लगाया था कि गायत्री प्रजापति को अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास में छिपा रखा है।

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ये पहले हो चुके हैं गिरफ्तार

गैंगरेप केस में 14 मार्च को लखनऊ पुलिस और एसटीएफ ने इस केस से जुड़े नामजद तीन आरोपियों रुपेश, विकास वर्मा और अमरेंद्र सिंह को अरेस्ट किया था। इसके साथ ही पुलिस ने आरोपियों को शरण देने के आरोप में गायत्री प्रजापति के बेटे अनुराग प्रजापति और भतीजे अनूप को भी हिरासत में लिया था।

इससे पहले सोमवार (06 मार्च) को गायत्री प्रजापति के गनर चंद्रपाल की गिरफ्तारी लखनऊ से हुई थी। एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) दलजीत सिंह ने बताया था कि चंद्रपाल पहले यूपी पुलिस में सिपाही था, लेकिन इस मामले सहआरोपी बनाए जाने के बाद उसे निष्कासित कर दिया गया था। अगले ही दिन मंगलवार (07 मार्च) को गायत्री के करीबी लेखपाल अशोक तिवारी, आशीष शुक्ला को यूपी एसटीएफ ने नोएडा से अरेस्ट कर लिया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने दिया था झटका

गायत्री प्रजापति को 5 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने भी बड़ा झटका दिया था। गायत्री प्रजापति ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गायत्री दूसरे कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करें। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश में भी बदलाव करने से इनकार कर दिया था। प्रजापति ने अपनी याचिका में मामले को राजनीति से प्रेरित बताया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी कोई दलील नहीं सुनी।

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दर्ज हुआ था केस

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 18 फरवरी को लखनऊ के गौतमपल्‍ली थाने में पुलिस ने गायत्री और उनके सहयोगियों पिंटू सिंह, अशोक तिवारी, चंद्रपाल, विकास शर्मा, रुपेश और आशीष शुक्ला के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था। साथ ही इन पर पॉक्सो एक्ट भी लगाया गया था। विक्टिम ने आरोप लगाया था कि साल 2014 में गायत्री प्रजापति के आवास पर उसके साथ गैंगरेप हुआ था। उसके बाद इन लोगों की बुरी नजर उसकी नाबालिग बेटी पर थी। जिसके बाद उसने मामला दर्ज करवाने की हिम्मत दिखाई।

क्या है मामला?

पीड़िता ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ एफआईआर दर्ज न होने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीड़िता के अनुसार उसके साथ गैंगरेप हुआ और उसकी बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया गया। गायत्री प्रजापति के खिलाफ कुछ महीने पहले एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

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