गायत्री और साथियों की मंजूरशुदा जमानत रद्द, HC ने निचली अदालत के जज पर भी उठाये सवाल

कोर्ट ने शुक्रवार को अंतिम फैसला सुनाकर जमानतें रद्द करते हुए कहा कि जमानत देते समय निचली अदालत के जज ने जल्दबाजी की और अभियोजन को सुनवाई का पूरा मौका नही दिया। कोर्ट ने जज द्वारा जमानत अर्जियों की सुनवाई के तौर तरीके पर भी गंभीर सवाल उठाये।

Update:2017-05-27 01:45 IST
21 और 22 फरवरी को अधिवक्ताओं की गैर मौजूदगी में नहीं होगा प्रतिकूल आदेश 

लखनऊ: हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने चर्चित गैंग रेप केस में पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति और उनके दो साथियों विकास वर्मा व अमरेंद्र सिंह उर्फ पिन्टू की मंजूर शुदा जमानत खारिज कर दी। निचली अदालत ने तीनों को पिछली 25 अप्रैल को जमानत दी थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने पहले ही इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

जमानत रद्द

कोर्ट ने शुक्रवार को अंतिम फैसला सुनाकर जमानतें रद्द करते हुए कहा कि जमानत देते समय निचली अदालत के जज ने जल्दबाजी की और अभियोजन को सुनवाई का पूरा मौका नही दिया। कोर्ट ने जज द्वारा जमानत अर्जियों की सुनवाई के तौर तरीके पर भी गंभीर सवाल उठाये। कोर्ट ने हालांकि कहा कि तीनों अभियुक्तगण जमानत पाने के लिए नये सिरे से अर्जी पेश कर सकते हैं जिसे नियमानुसार गुण दोष के आधार पर निस्तारित किया जाएगा।

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यह आदेश जस्टिस एपी साही की बेंच ने गायत्री व अन्य दोनों की जमानतें खारिज करने के लिए राज्य सरकार की ओर से पेश याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया। याचिका में सरकार की ओर से कहा गया था कि गत 25 अप्रैल को गायत्री व अन्य को जमानत देते समय जज ने अति जल्दबाजी दिखायी और बिना अभियोजन को पूरा मौका दिये ही जमानत दे दी। जबकि मामला गैंग रेप जैसे अपराध का था।

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जमानत पर ऐतराज

जस्टिस साही ने सरकार की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 1 लखनऊ, जिसने गायत्री व अन्य की जमानतें मंजूर कीं, वह कुछ ही दिनों में रिटायर होने जा रहे थे और उन्होंने जमानत अर्जियां सुनने के लिए जिस प्रकिया को अपनाया उससे लगता है कि वह जमानत देने के लिए सुनवाई से पहले ही तय किये बैठे थे।

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उन्होंने जमानत देते समय पॉक्सो एक्ट के तहत अभियुक्तों पर लगाये गये गंभीर आरोपों को भी नहीं देखा। वास्तव में उन्होंने अभियेाजन को अपना पूरा पक्ष रखने का मौका ही नही दिया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गौतम पल्ली थाने पर पीड़िता ने प्राथमिकी लिखाकर कहा था कि गायत्री ने खनन का पट्टा दिलाने के नाम पर कई वर्षों तक उसके साथ रेप किया जिसमें उसके साथी भी शामिल थे। बाद में जब उन लोगों ने उसकी बेटी पर भी बुरी नजर डाली तो उसने मुकदमा लिखाने की सोची।

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