Jhansi Crime News: ढाई साल बाद पकड़ा गया विस्फोटक सामग्री का मास्टरमाइंड

Jhansi Crime News: मोंठ थाने की पुलिस ने नक्सलियों को भेजी जा रही विस्फोटक सामग्री प्रकरण में ढाई साल से वांछित चल रहे मास्टर माइंड को गिरफ्तार किया है।

Written By :  B.K Kushwaha
Published By :  Pallavi Srivastava
Update: 2021-07-16 02:45 GMT

विस्फोटक सामग्री का मास्टरमाइंड गिरफ्तार pic(social media)

Jhansi Crime News:  उत्तर प्रदेश की झांसी पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। मोंठ थाने की पुलिस ने नक्सलियों को भेजी जा रही विस्फोटक सामग्री प्रकरण में ढाई साल से वांछित चल रहे मास्टर माइंड को गिरफ्तार किया है। आरोपी भागने की फिराक में था तभी पुलिस ने दबोच लिया।

आरोपी ने विस्फोटक सामग्री सप्लाई की बात स्वीकारी

बता दें कि नक्सलियों को भेजी जा रही विस्फोटक सामग्री प्रकरण में ढाई साल से वांछित चल रहे मास्टर माइंड को पुलिस ने घेराबंदी करके गिरफ्तार कर लिया है। इसके पहले उक्त प्रकरण में बिहार समेत अन्य स्थानों के आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। खबर के मुताबिक इस गैंग का नेटवर्क झारखड़ के नक्सलियों से था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शिवहरि मीणा, एसपी देहात नैपाल सिंह के निर्देशन में मोंठ थाना प्रभारी निरीक्षक प्रमोद कुमार, उपनिरीक्षक दिनेश कुमार अवस्थी, उपनिरीक्षक ज्ञानेन्द्र कुमार पटेल व आरक्षक प्रदीप कुमार वांछित आरोपियों की तलाश में लगे थे।

नक्सलियों को विस्फोटक सामग्री सप्लाई प्रकरण में आरोपी गिरफ्तार (File Photo) pic(social media)

सूचना मिली की विस्फोटक सामग्री का मास्टर माइंड सेमरी मोड़ के पास खड़ा है और वह भागने की फिराक में है। इस सूचना पर सक्रिय हुई टीम ने घेराबंदी कर मास्टर माइंड को पकड़ लिया और उसे थाना लाया गया। पूछताछ के दौरान उसने विस्फोटक सामग्री सप्लाई करने की बात स्वीकार की।

पुलिस के मुताबिक छतरपुर के थाना सिविल लाइन के बजरंग नगर निवासी महेश पांडेय को गिरफ्तार कर लिया। यह आरोपी अपराध क्रमांक 03/2019 के मामले में फरार चल रहा था। यह घटना 2 जनवरी 2019 की थी।

मालूम हो कि तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ ओ पी सिंह, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) राहुल मिठास के निर्देश पर तत्कालीन मोंठ प्रभारी निरीक्षक आशीष मिश्रा मय स्टॉफ के साथ मोंठ बाईपास पर वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। चेंकिंग के दौरान कानपुर से झाँसी की ओर बुलेरो पिकअप दिखाई दी। संदिग्ध होने पर गाड़ी क्रमांक (यूपी95टी-2841) को रोक लिया था। इसके पहले चालक व अन्य लोग गाड़ी को छोड़कर मौके से भाग गए थे। पकड़ी गई गाड़ी को खोलकर देखा गया था तो उसके अंदर विस्फोटक सामग्री भरी हुई थी।

झांसी और महोबा से जुड़े थे गिरोह के तार

बाद में गाड़ी में लदी विस्फोटक सामग्री की जांच की गई थी। जांच के दौरान भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री पायी गई। पुलिस के मुताबिक इसमें 800 जिलेटिन रॉड, चार सौ डेटोनेटिर हाई पॉवर, दो बोरा अमोनिया नाइट्रेट लदा हुआ था। गाड़ी पर जो नंबर अंकित था, वह नंबर महोबा जिले का था। इस आधार पर पुलिस ने गाड़ी के मालिक की तलाश शुरु कर दी थी। एक टीम ने महोबा में भी छापा मारा मगर गाड़ी मालिक वहां से भी फरार हो गया था।

सूत्रों का कहना है कि तीन साल पहले भी इसी तरह की विस्फोटक सामग्री बरामद हुई थी। उक्त सामग्री नक्सलियों के हवाले की जाती थी। इसी गिरोह के तार भी झाँसी और महोबा से जुड़े हुए थे।

पहले भी पकड़ी जा चुकी है विस्फोटक सामग्री

26 अगस्त 2016 को यूपी एटीएस और अपराध शाखा ने बिहार में नक्सलियों को ट्रक से भेजी जा रही विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी। इसमें 30 हजार डेटोनेटर, 20 हजार जिलेटिन छड़ें, छह क्विंटल अमोनियम नाइटेªट, ट्रक और एक स्कार्पियों बरामद की थी। ट्रक व स्कार्पियों बिहार की थी। इसमें स्कार्पियों सवार पंकज सिंह, विक्रांत सिंह और सोमनारायण को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार लोगों की निशानदेही पर एटीएस ने मोंठ थाना क्षेत्र में छापा मारकर मोंठ के ग्राम टोड़ी मडैया निवासी चरन सिंह को गिरफ्तार किया था।

इसके पास से 92 बोरी अमोनियम नाइट्रेट, 800 प्लेन डेटोनेटर, तीन हजार इलेक्ट्रोनिक प्लेन डेटोनेटर, दो हजार डीटीएच व चार हजार जिलेटिन बरामद की गई थी। इस मामले में कोतवाली थाना क्षेत्र के छनियापुरा निवासी राजीव राय, बड़ागांव गेट बाहर गेंड़ा कालोनी निवासी गौरव अग्रवाल व ओरछा थाना क्षेत्र के ग्राम मड़ोर निवासी राजेन्द्र यादव आरोपी बनाए गए थे। यह लोग विस्फोटक की सप्लाई करने वाले बिहार के नक्सलियों तक करते थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उक्त विस्फोटक ओम प्रकाश चौधरी निवासी सासाराम जिला रोहतास, अक्षयवर महतो निवासी सासाराम के पास ले जाया जा रहा था। ओमप्रकाश चौधरी कुख्‍यात नक्सली था।

जानकारी मिली थी कि नक्सलियों ने सुरक्षा एजेंसियों को निशाना बनाने के लिए ये विस्फोटक मंगाया था। बाद में राजीव राय, गौरव अग्रवाल और राजेन्द्र यादव ने अलग-अलग तिथियों में अदालत में आत्मसमर्पण कर लिया था।

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