चित्रकूट जेल कांडः अंशु ने जिस पिस्टल से की हत्या, सिर्फ सेना-पुलिस ही कर सकती है इस्तेमाल

ग्लोक पिस्टल को इसलिए घातक माना जाता है क्योंकि इसकी मारक क्षमता करीब 50 मीटर दूरी तक होती है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-05-18 13:31 IST

जिला कारागार चित्रकूट (फाइल फोटो: सोशल

लखनऊ: चित्रकूट जेल में कुख्यात मुकीम काला और मुख्तार के करीबी मेराज की हत्या में शूटर अंशु ने ऑस्ट्रिया मेड ग्लोक पिस्टल का इस्तेमाल किया था। इस खुलासे ने हर किसी को चौंका दिया है क्योंकि पहले अफसरों की ओर से टर्की मेड इंग्लिश पिस्टल बरामद होने की बात कही गई थी। अब पता चला है कि पुलिस ने घटना के बाद जेल से ऑस्ट्रिया मेड ग्लोक पिस्टल बरामद की है।

इस पिस्टल की बरामदगी इसलिए भी चौंकाने वाली मानी जा रही है क्योंकि इसकी सप्लाई सिर्फ सेना और पुलिस के जवानों तक ही सीमित है। अब यह सवाल अफसरों को परेशान किए हुए है कि सरकारी सप्लाई वाला यह घातक हथियार आखिरकार गैंगेस्टर अंशु के पास कैसे पहुंचा।

50 मीटर दूर तक पिस्टल की मारक क्षमता

दरअसल ग्लोक पिस्टल को इसलिए घातक माना जाता है क्योंकि इसकी मारक क्षमता करीब 50 मीटर दूरी तक होती है। इस पिस्टल के जरिए काफी दूर तक निशाना साधा जा सकता है। इसी वजह से नाइन एमएम की इस ग्लोक पिस्टल की सप्लाई आम लोगों को नहीं की जाती है ताकि वे इसके जरिए किसी आपराधिक घटना को अंजाम न दे सकें।

सिर्फ पुलिस व सैन्य कर्मियों को ही यह घातक हथियार दिया जाता है। गैंगस्टर अंशु के पास ग्लोक पिस्टल की बरामदगी चौंकाने वाली है क्योंकि अब यह सवाल उठाया जा रहा है कि आखिरकार यह हथियार उसे कैसे हासिल हुआ।

सीरियल नंबर का पता लगाने में जुटी पुलिस

ग्लोक पिस्टन के खुलासे के बाद पुलिस अब उसके सीरियल नंबर का पता लगाने में जुटी हुई है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि यह देश के किसी सुरक्षा एजेंसी से हासिल की गई या फिर इस पिस्टल को विदेश से मंगवाया गया? पुलिस ऐसे अपराधियों का पता लगाने में भी जुटी हुई है जिनके नाम सरकारी असलहों को लूटने में आ चुके हैं।
पुलिस के निशाने पर सबसे पहले एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील की हत्या करने वाले मुनीर का नाम है। मुनीर का नाम 2014 में भी ग्लोक पिस्टन लूटने की घटना में आया था जब उसने लखनऊ के एक जज के गनर को गोली मारी थी।
दिल्ली के कई पुलिसकर्मियों से ग्लोक पिस्टल की लूट में भी उसका नाम आया था। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी हुई है कि गैंगस्टर अंशु या उसके गैंग के पास कहीं मुनीर के जरिए तो यह पिस्टल नहीं पहुंची। पुलिस दोनों गिरोहों के कनेक्शन की पड़ताल करने में जुट गई है।

मोबाइल के बारे में जानकारी से कतरा रही पुलिस

जेल सूत्रों ने अंशु के जेल के भीतर एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल करने की जानकारी दी है। मुकीम काला और मेराज की हत्या के बाद पुलिस ने अंशु का भी एनकाउंटर कर दिया था और उसके बाद ही पुलिस ने इसे बरामद किया था। अभी तक जांच अफसर और स्थानीय पुलिस इस बाबत अपना मुंह नहीं खोल रही है।

जानकारों का कहना है कि फोन में लगे सिम के सीडीआर से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि अंशु ने इस बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए किस-किस से संपर्क किया। इसके साथ ही सीडीआर के जरिए उन प्रभावशाली लोगों का भी खुलासा हो सकता है जिनसे अंशु की बातचीत होती थी। यही कारण है कि अफसर भी अंशु के फोन के बारे में कोई जानकारी देने से कतरा रहे हैं।

घटना के पहले छुट्टी पर थे दो डिप्टी जेलर

चित्रकूट जेल में 14 मई को हुई इस घटना से 4 दिन पहले वे दोनों डिप्टी जेलर छुट्टी पर चले गए थे जिन पर उस हाई सिक्योरिटी बैरक की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी जिसमें अंशु को रखा गया था।। दोनों डिप्टी जेलर पीयूष और अरविंद 13 मई को छुट्टी से लौटकर आए थे।
कुछ लोग इस बात की आशंका भी जता रहे हैं कि दोनों डिप्टी जेलरों की छुट्टी के दौरान ही जेल में अंशु के पास घातक पिस्टल पहुंचाई गई थी जिनसे उसने मुकीम काला और मेराज को भून डाला था। घटना के बाद उसने पांच अन्य बंदियों को भी बंधक बना लिया था। बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे एनकाउंटर में ढेर कर दिया था।

गैंगवार की जांच में जुटे हैं डीआईजी जेल

चित्रकूट की रगौली जेल में हुई गैंगवार की घटना के बाद डीआईजी जेल यहीं पर डेरा डाले हुए हैं। वे रोजाना जेल में कई घंटे की पड़ताल करने में जुटे हुए हैं। इस बाबत जेल अफसरों के साथ ही बंदियों से भी प्रतिदिन पूछताछ की जा रही है। डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी ने सोमवार को भी तकरीबन पांच घंटे तक गैंगवार की घटना के संबंध में जांच पड़ताल की।

जानकारों का कहना है कि वे अब तक दो दर्जन बंदियों से कई बार पूछताछ कर चुके हैं। घटना के संबंध में जेल के अधिकारियों व कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। इस मामले में सस्पेंड किए गए दोनों अफसरों को जांच पूरी होने तक जेल परिसर स्थित आवास पर ही रुकने को कहा गया है।
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