शाहजहांपुर: प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग सुधरने वाला नहीं है। यही वजह है कि आए दिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आती रहती है। ताजा मामला यूपी के जिला महिला अस्पताल के बाहर का है, जहां प्रसव पीड़ा होने पर गर्भवती महिला को दो दिन पहले अस्पताल मे भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने डिलीवरी में टाइम होने का हवाला देकर उसको घर जाने के लिए कहा, तो महिला अस्पताल के गेट के बाहर आई तो उसे प्रसव पीड़ा होते ही जमीन पर गिर गई।
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मीडिया के पहुंचने के बाद डॉक्टर ने महिला को अस्पताल में भर्ती किया और एक घंटे के बाद ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया।
सवाल ये उठता है कि जब प्रसव पीड़ा महिला को हो रही थी, तो डॉक्टर उसे ने घर जाने के लिए क्यों कहा? वहीं महिला सीएमएस ने मामले की जानकारी से इंकार किया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल थाना सेहरामऊ मऊ दक्षिणी निवासी अनूप ने अपनी गर्भवती पत्नी उर्मिला को प्रसव पीड़ा होने पर दो दिन पहले महिला जिला अस्पताल मे भर्ती कराया था। एक दिन भर्ती होने के बाद डॉक्टर सीमा गर्भवती महिला के ऑपरेशन होने के नाम पर उसको प्राइवेट अस्पताल जाने की सलाह दी। पति अनूप ने बताया कि एक तरफ डॉक्टर हालत गंभीर बताकर ऑपरेशन के नाम बीस हजार रुपए खर्च होने की बात कर रही थी। जब उसने पैसे देने से इंकार कर दिया तो गुस्साई डॉक्टर सीमा ने उसको गंभीर हालत में घर जाने के लिए कह दिया। बीती रात डॉक्टर ने महिला से कहा कि अभी डिलीवरी का टाइम नहीं आया है।
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इसलिए उसको घर जाने के लिए कहा कह दिया, जिसके बाद महिला अपने पति के साथ अस्पताल के बाहर आई, तभी उसको तेज प्रसव पीड़ा शुरू हो हुई। वह जमीन पर गिर गई। जब महिला जमीन पर गिरी तब भी डॉक्टर उसको देखने नहीं आई। जब डॉक्टर की करतूत की खबर मीडिया तक पहुंची तो पत्रकारों के पहुंचते ही जब महिला के फोटो लेना शुरू किए तो ये देखकर डॉक्टर सीमा अस्पताल के बाहर आईं और महिला को दोबारा से जिला अस्पताल में भर्ती किया। जिसके बाद रात में ही महिला ने बगैर ऑपरेशन के एक बच्चे को जन्म दिया।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल के बाहर बच्चे को जन्म देना पङ रहा है? आखिर क्यों डाक्टर गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर प्राइवेट अस्पताल में जाने की सलाह देते है। सूत्रों की मानें तो प्राइवेट अस्पताल सरकारी डॉक्टर्स के संपर्क में रहते हैं। नॉर्मल डिलीवरी होने वाली महिलाओं को भी डॉक्टर ऑपरेशन का डर दिखाकर उनको प्राइवेट नर्सिंग होम जाने की सलाह दे दी जाती है। ये इसलिए है कि प्राइवेट नर्सिंग होम से पर ऑपरेशन भारी कमीशन तय होता है।
वहीं जब इस मामले पर महिला सीएमएस रेखा वर्मा से बात की तो उनका कहना है कि इस मामले की उन्हे जानकारी नहीं है। अगर ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो मामले की जांच कराई जाएगी।
अस्पताल के बाहर बच्चे को जन्म देने का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी महिलाओं से रिश्वत मांगी गई, जब पैसे नहीं दिए तो डॉक्टर्स ने महिलाओं को अस्पताल से भगाया तो गर्भवती महिलाओं ने अस्पताल के गेट पर ही जन्म दे दिया। कुछ दिन पहले ही गर्भवती महिला को अस्पताल से भगाए जाने के बाद अस्पताल के गेट पर ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया था।
जब मीडिया में खबर दिखाई गई तो महिला सीएमएस रेखा वर्मा को दोषी पाए जाने पर उनका तबादला कर दिया गया। लेकिन स्वास्थ विभाग की लापरवाही ही कहेंगे क्योंकि महिला सीएमएस के तबादले को करीब बीस दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी सीएमएस रेखा वर्मा जाने को तैयार नहीं हैं।