Sister Abhaya Murder Case Wikipedia: कैसे एक चोर ने सुलझा दिया 28 साल पुराना केस, क्या था अभया मर्डर केस, आइए जानते हैं
Sister Abhaya Murder Case Wikipedia: अभया 21साल की लड़की थी, जो प्री डिग्री कोर्स के लिए करेल राज्य के कोट्टयम शहर के सेंट पायस कॉन्वेंट में रह रही थी। अभया पढ़ने में होशियार थी और वह बड़ी होकर समाज की सेवा करना चाहती थी। इसलिए अभया कान्वेन्ट में रह कर पढ़ रहीं थी
Sister Abhaya Murder Case Wikipedia: हमारे देश का संविधान लचीला है , जिस वजह से कानून बनाना तो सरकार के लिए आसान होता है पर उस कानून के अनुसार निर्णय देने पर कई साल लग जाते हैं । जिस वजह से कई मामले निराशा की गर्त में खो जाते हैं तो कई मामले इतने गंभीर होते हैं कि न्याय मिलते-मिलते तक पीड़ित पक्ष अपनी सारी उम्मीद खो देता है।देश में लगातार महिलाओं के ऊपर होने वाले अपराध बढ़ते जा रहे हैं। 2012 के निर्भया के गैंगरेप के बाद से ऐसा देखा गया है कि महिलाओं मे रजिस्टर्ड अपराध के मामलों मे बढ़ोत्तरी हुई है ।पर न्याय मिलने मे आज भी कहीं कहीं देर देखने को मिलती है ।
आज हम आपको ऐसे घिनौने अपराध के बारे में बताएंगे , जिसकी गुत्थी सुलझने में 28 साल का लंबा समय लग गया है। यह मामला है 1992 का , जिसमें पीड़िता एक चर्च मे नन थी जो पढ़ने के लिए दूर शहर मे आती है । पीड़िता का नाम अभया था । इस मामले को खत्म होने में 28 साल लगे और 2020 में आरोपियों को सजा मिली ।
केरल के कोट्टायम शहर में उस समय सनसनी फैल गई जब एक 21वर्षीय युवती की लाश कुएं में तैरती हुई दिखी । यह पूरा मामला हत्या और आत्म हत्या के बीच चलता रहा । पर सुबूतों और मौजूदा स्तिथियों को देखते हुए 22 दिसंबर , 2020 को आरोपी जेल के सलाखों के पीछे पहुंचे ।
सिस्टर अभया कौन थी-
अभया 21साल की लड़की थी, जो प्री डिग्री कोर्स के लिए करेल राज्य के कोट्टयम शहर के सेंट पायस कॉन्वेंट में रह रही थी। अभया पढ़ने में होशियार थी और वह बड़ी होकर समाज की सेवा करना चाहती थी। इसलिए अभया कान्वेन्ट में रह कर पढ़ रहीं थी।
क्या हुआ था 07 मार्च को
यह घटना 07 मार्च, 1992 की थी , जब अभया रात को साढ़े तीन बजे पानी पीने के लिए किचन में जाती है । पर जैसे ही अभया लौटने को होती हैं उन्हे कुछ आवाज आती है , आवाज की तरफ वो जैसी ही बढ़ती हैं तो अभया के आँखों को यकीन नहीं होता है । अभया अपने चर्च के फादर जोस ,फादर कोट्टुर और सिस्टर सैफी को आपत्तिजनक हालत में देख लेती हैं।
सिस्टर और फादर घबरा जाते हैं और फादर जोस सिस्टर अभय का गल घोंट देते हैं , वहीं सैफी किचन में रखे धारधार हथियार से अभया की हत्या कर देती है।ये तीनों लाश को ठिकाने लगाने के लिए चर्च के एक कुएं मे लाश को फेंक देते हैं और हत्या के सबूत को मिटा देते हैं। सुबह होते होते यह बात आग की तरह फैल जाती है और पुलिस को खबर कर दी जाती है ।
लोकल पुलिस ने केस को कर दिया रफा - दफा
लोकल पुलिस ने युवती की मनोवैज्ञानिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण आत्महत्या का बहाना बनाकर केस को बंद कर दिया। पर केरल के कई सामाजिक कार्यकर्ता अभया को न्याय दिलाने सड़कों पर उतर आये। जिसके बाद दवाब मे इस केस को ओपन किया गया।
सीबीआई जांच में हत्या का हुआ खुलासा
जब केस को फिर से ओपन किया गया तो पोस्टमार्टम के बाद लाश पर घाव के निशानों और प्रमाणों की पुष्टि हुई, जिसके बाद दलीलों और सुबूतों के मुताबिक सीबीआई जांच में हत्या का खुलासा हुआ । जिसे सुनने के बाद फादर कोट्टुर , फादर जोस और सिस्टर सैफी सकते में आ गए । सबूत को इन दिनों में पूरी तरह से मिटा दिया गया था । जिस वजह से हत्या का खुलासा हो गया था पर हत्या किसने की इसकी तरफ अभी भी सीबीआई का ध्यान नहीं गया था। साल 1993 में सीबीआई जांच की शुरूआत हुई थी।
यह जांच 15 साल तक चली। कोर्ट ने सीबीआई की तीनों रिपोर्ट को खारिज कर दिया और लोकल केरल की क्राइम ब्रांच को इसकी जिम्मेदारी सौंपी । जिसके बाद चार्जशीट सामने आई जिसमें तीन हत्यारे फादर जोस , फादर कोट्टुर और सिस्टर सैफी को आरोपी माना गया ।
सिस्टर सैफी ने दायर की याचिका
सिस्टर सैफी ने अपने गुनाहों से बचने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की। याचिका में कहा गया था कि सीबीआई ने जांच के हिस्से के रूप में उसकी इच्छा के विरुद्ध और उसकी सहमति के बिना उनका वर्जिनिटी टेस्ट कराया था। सैफी ने अपनी याचिका मे बताया कि जांच के आड़ में उनका वर्जिनिटी टेस्ट कराया गया, जिसका इस हत्या से कोई मतलब नहीं था ।यह सिर्फ उन्हें अपमानित करने के लिए किया गया । सिस्टर सेफी ने अपने सम्मान के अधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया और उसके लिए मुआवजे की मांग की, हालांकि सिस्टर सैफी को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ था इसलिए उनकी यह याचिका खारिज कर दी गई थी ।
दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा -
इस मामले में हाई कोर्ट ने 57 पन्नों का फैसला सुनाया। फैसले में कहा गया कि इस तरह के परीक्षण के संचालन को कोर्ट अस्वीकार करती हैं।
पीठ ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी को सुरक्षा दी गई है । जिसमें कैदी सहित हर व्यक्ति को गरिमा के अधिकार की गारंटी दी गई है, चाहे वह दोषी हो, विचाराधीन हो या हिरासत में हो।
सिस्टर सैफी ने कराई हाइमनोप्लास्टी
सीबीआई की ओर से जो वर्जनिटी टेस्ट कराया गया था, उसमें पता चला था कि सिस्टर वर्जिन हैं, हालांकि रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि उन्होंने हाइमनोप्लास्टी कराई है, ताकि वो बच सकें। दरअसल हाइमनोप्लास्टी वह प्रक्रिया है जिससे लड़की वर्जिनिटी खो देने के बावजूद वर्जिन हो जाती है।
कई गवाह मुकर गए तो कई की मौत हो गई
2009 मे 177 गवाहों के नाम आगे किये गए। समय बीतता गया जिसके कारण कुछ गवाह अपने बयान से मुकर गए और कुछ की मौत भी हो गई है । जैसे अभया के माता पिता का निधन साल 2016 मे हो गया । केस की प्रमुख गवाह और कॉन्वेंट की प्रमुख मदर सिस्टर लीजियक्स की मौत भी हो गई। इसी तरह मौका ए वारदात के पास चौकीदार रहे एस दास की भी मौत हुई।वहीं, करीब 9 गवाहों के बयान से मुकरने की बात भी सामने आई।
सभी जांच एजेंसिया आईं शक के घेरे में
यह मामला देखते ही देखते इतना संदिग्ध होता गया कि इसके शक में कोर्ट का निर्णय , सीबीआई जांच , लोकल पुलिस , क्राइम ब्रांच यहाँ तक कि चर्च संबंधी दवाब भी चर्चा में आ गए । इन सभी में आपस में गतिरोध देखने को मिला । जिस वजह से भी इस केस में देर पर देर होती गई । मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गतिरोध के बीच एक अफसर ने अपने पद से भी इस्तीफा दे दिया था ।
एक चोर ने सुलझाया मामला
इस घटना में तब तक कोर्ट कोई निर्णय नहीं ले पा रहा था जब तक इस केस में चोर की एंट्री नहीं हुई थी । राजू नाम के चोर ने इस केस को पानी की तरह साफ कर दिया । क्योंकि राजू उसी रात को चोरी के उददेश से कॉनवेंट में घुसा था । जब यह घटना हो रही थी वह एकलौता था जिसने यह सब अपनी आँखों के सामने होते देखा था । राजू की गवाही इस केस के लिए सबसे बड़ा मोड़ थी । राजू ने कोर्ट में अपनी गवाही दी जिसके आधार पर ही आरोपियों को सजा मिली । फादर जोस सुबूत की नाकाफ़ी के कारण रिहा हो गए पर सिस्टर सैफी और फादर कोट्टुर को आजीवन कारावास की साज दी गई ।
मिला करोड़ों का ऑफर
राजू ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि फादर और सिस्टर की तरफ से बयान से पलट जाने के लिए करोड़ों रुपए का लालच दिया गया था पर वह अपनी बात पर अडिग रहा जिसकी वजह से ही आज हत्यारे सलाखों के पीछे हैं ।
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने माना है कि हत्या के पहले दोषी पादरी थॉमस कोट्टूर हैं, जबकि दूसरी दोषी सिस्टर सेफी हैं। पादरी थॉमस पर आईसीपी की धारा 302 यानी हत्या, सबूत मिटाने (आईपीसी-201) और बिना इजाजत घर में घुसने (449) जैसी संगीन धाराओं में केस चार्जशीट किया गया था। जबकि सिस्टर सेफी को हत्या और सबूत मिटाने की धाराओं में दोषी पाया गया है।
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)