राजकीय कॉलेजों में नहीं होगा अध्यापकों का समायोजन, शासनादेश पर इलाहाबाद HC ने लगाई रोक

इलाहबाद हाईकोर्ट ने राजकीय कॉलेजों में अध्यापकों के समायोजन के लिए 29 जून 2017 को जारी किए गए शासनादेश पर रोक लगा दी है।

Update: 2017-07-27 14:54 GMT
राजकीय कॉलेजों में नहीं होगा अध्यापकों का समायोजन, शासनादेश पर HC की रोक

इलाहाबाद: इलाहबाद हाईकोर्ट ने राजकीय कॉलेजों में अध्यापकों के समायोजन के लिए 29 जून 2017 को जारी किए गए शासनादेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार एवं माध्यमिक शिक्षा परिषद से याचिका पर जवाब मांगा है।

इस शासनादेश से प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में पढ़ा रहे अध्यापकों को छात्रों की संख्या के आधार पर समायोजन किया जा रहा है। जिसकी वैधता को याचिका में चुनौती दी गई है। यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल ने शैलेंद्र कुमार सिंह और 107 अन्य अध्यापकों की याचिका पर दिया है।

बता दें कि प्रदेश सरकार में राजकीय इंटर कॉलेजों के सरप्लस अध्यापकों को जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक के रूप में उक्त शासनादेश के द्वारा समायोजन कर रही है।

अध्यापकों का कहना है कि वे लेक्चरर हैं और उन्होंने प्रशिक्षण की डिग्री नहीं ली है और न ही उन्हें बाल मनोविज्ञान की ही जानकारी है। ऐसे में ऐसे स्कूलों में उनका समायोजन किया जाना गलत है। कोर्ट ने अध्यापकों की दलीलें सुनने के बाद शासनादेश के अमल पर रोक लगा दी है।

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यमुना एक्सप्रेस-वे का अधिग्रहरण रद्द

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण द्वारा ग्राम आछेपुर में किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पुराने कानून से किया गया अधिग्रहण रद्द किया जाता है।

कोर्ट ने कहा है कि प्राधिकरण 2013 के नए कानून से दो माह में किसानों को मुआवजा दे। कोर्ट ने यह भी कहा कि दो माह में मुआवजा न देने पर अधिग्रहण प्रक्रिया दोबारा की जा सकती है।

यह आदेश जस्टिस ए पी शाही और जस्टिस राजीव लोचन मेहरोत्रा की खंडपीठ ने दिया है।

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