लखनऊ: देश में बहुत से ऐसे गरीब बच्चे हैं जिनको पुस्तकों के अभाव में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे बच्चो की मदद के लिए देश में अलग -अलग ढंग लोग बुक बैंक बना कर मदद में जुटे हुए हैं। इन बैंकों में पुरानी किताबें जमा कराई जाती हैं और उन किताबो को जरूरतमंद बच्चो को उपलब्ध करा दिया जाता है। इस कार्य में कही कुछ बुजुर्ग लोग आगे आये हैं तो कई जगहों पर गृहिणियां इस कार्य को सम्हाल रही हैं। कुछ स्थानों पर कुछ विद्यालयों में खुद ही इस प्रकार की पहल की जा रही है। आइये देखते हैं ,किस जगह किस प्रकार से ये बुक बैंक काम कर रहे हैं।
भोपाल:किताब के लिए परेशान न हों
सरकारी और निजी स्कूलों के कक्षा 6 से 12वीं तक के छात्रों को किताबों के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। छात्रों को निशुल्क किताबें देने स्कूली छात्रों के परिजनों के पालक महासंघ ने बुक बैंक शुरू की है। इसमें 300 अभिभावकों ने अपने-अपने बच्चों की पिछली कक्षा की किताबें जमा कराई हैं। अब पालक महासंघ यह किताबें उन छात्रों को बांटेगा, जो किताबें खरीदने में सक्षम नहीं है। शर्त सिर्फ यह है कि किताबें शैक्षणिक सत्र समाप्ति पर वापस जमा करानी होगी। पालक महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने बताया कि स्कूल संचालक मुनाफा कमाने के लिए अलग- अलग पब्लिकेशन की किताबें खरीदने के लिए छात्रों पर दबाव बनाते हैं। आर्थिक कारणों से कई छात्र, शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद भी पूरे कोर्स की किताबें नहीं खरीद पाते। इन बच्चों की सहायता के लिए ही बुक बैंक शुरू की गई है।
महासंघ से जुड़े भोपाल के 300 अभिभावकों को 100 - 100 सदस्यों के तीन वाट्सएप ग्रुप से जोड़ा है। ग्रुप के सभी सदस्यों को किताबों की जरूरत वाले बच्चों को खोजने और उन तक किताब पहुंचाने का जिम्मा दिया है। बुक बैंक में किताबें डोनेट करने के लिए बुक बैंक के नोडल अधिकारी प्रमोद पंड्या सेे संपर्क कर सकते हैं। बैंक का दफ्तर कोलार के सागर कुंज में बनाया गया है। छात्र यहां से सीधे किताब ले और दे सकेंगे।
दसूहा, पंजाब: कॉलेज में बुक बैंक सोसायटी की स्थापना
केएमएस कॉलेज ऑफ आइटी व मैनेजमेंट चौधरी बंता ¨सह कॉलोनी दसूहा में बुक बैंक ने विद्यार्थियों को मुफ्त में पुस्तकें बांटने का कार्य शुरू किया है । कॉलेज की ¨प्रसिपल डॉ. शबनम कौर बताती हैं कि विद्यार्थियों को मुफ्त किताबें लेने के लिए कॉलेज में बुक बैंक सोसायटी की स्थापना की गई है। जिसके तहत हर साल अलग-अलग कोर्स में जैसे बीएससी आइटी, बीसीए, बीकॉम, एमएससी आइटी और बीएससी एग्रीकल्चर के होनहार एवं आर्थिक तौर पर पिछड़े और जरूरतमंद विद्यार्थियों को उनकी बेहतर पढ़ाई के लिए मुफ्त किताबें दी जाती हैं। केएमएस बुक सोसायटी की तरफ से इस साल मनीष बहादुर, पूजा, वैशाली, मानवजोत ¨सह, प्रभजोत, मोनिका, प्रियंका रानी, गुरप्रीत ¨सह, महक, मंजीत कौर, सीमा देवी, गुरप्रीत, खुशबू, गगनदीप कौर, तानिया, अनीता रानी, प्रभजोत कौर, दीक्षा रानी, द¨वदर कौर, पर¨बदर कौर, लव प्रीत कौर, जितेंद्र ¨सह, सीमा देवी, शिवानी मन्हास, वैशाली मन्हास, कोमल, वरीदर कौर, और अंजलि के निवेदन को स्वीकार किया गया है ।कॉलेज के डायरेक्टर मानव सैनी ने बुक बैंक सोसायटी के लिए काफी प्रोत्साहन दिया है।
उत्तरप्रदेश: कई स्कूलों ने की है पहल
उत्तेर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कई निजी स्कूल बुक बैंक चला रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो बुक बैंक खोलने वाले है। इसके जरिए आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को मुफ्त में किताबें दी जा रही हैं । इसके लिए कई स्कूलों ने अभिभावकों को सर्कुलर जारी कर अपील किया है कि वे बच्चों की पुरानी किताबें बुक बैंक में जमा करवा सकते हैं। ज्यादातर स्कूलों के प्रबंधन के मुताबिक, बुक बैंक सफल रहा तो यूनिफॉर्म बैंक भी खोलेंगे। राइट टु एजुकेशन (आरटीई) नियमावली के तहत स्कूलों को नर्सरी और पहली क्लास में मुफ्त दाखिले के साथ बच्चे को मुफ्त किताबें भी देनी होती हैं। बच्चे की फीस के तौर पर स्कूलों को शासन से हर महीने 450 रुपये प्रति छात्र मिलता है, लेकिन किताबों के मद में कोई भुगतान नहीं होता। नर्सरी और पहली क्लास में किताबों का खर्च अमूमन दो हजार रुपये होता है, जबकि ड्रेस का दोनों सेट में तीन हजार का खर्च आता है। इसी कारण ऐसे बच्चे या तो एनजीओ पर निर्भर हैं या उनके पैरंट्स को महंगी किताबें खरीदनी पड़ती हैं। ऐसे बच्चों की मदद के लिए ही निजी स्कूल बुक बैंक खोलने जा रहे हैं। रानी लक्ष्मी बाई (आरएलबी) स्कूल की सभी शाखाओं में ये बैंक पहले से हैं। बुक बैंक की पहल के बीच यह सवाल भी उठता है कि स्कूलों में लगभग हर साल किताबें बदल जाती हैं। ऐसे में बुक बैंक किस काम का? इस पर स्कूलों संचालकों का कहना है कि सिलेबस अपडेट होने पर कुछ ही किताबें बदलती हैं। वह भी तीन-चार साल में एक बार। ऐसे में पैरंट्स को सिलेबस अपडेट होने पर सिर्फ कुछ किताबें खरीदनी होंगी।
मेरठ: रंग ला रही अमिता की मेहनत
पेशे से शिक्षक अमिता शर्मा ने सालभर पहले जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए बुक बैंक विजयनगर में कुछ किताबों के साथ ‘प्रेरणा बुक बैंक बनाया था। अमिता को यह बात सालती रहती थी कि जरूरतमंद लेकिन होनहार बच्चों की शिक्षा बिना किताबों के अधूरी रह जाती है। अमिता ने अपने खर्च से कुछ किताबें खरीदीं थीं। इसके साथ कुछ पुरानी किताबें भी अगली कक्षा में पहुंच चुके विद्यार्थियों से लीं थी। रद्दी बेचकर खरीदीं पुस्तकें ‘प्रेरणा बुक बैंक से जरूरतमंद बच्चे किताबें ले जाने लगे तो दूसरे बच्चों को भी इसके बारे में जानकारी हुई। इसके बाद अमिता ने सहयोगियों के साथ घरों से कुछ रद्दी एकत्र किताबें खरीदीं। अमिता बताती हैं कि उनके मायके मोदीनगर में पढ़ाई के दौरान ही वह इस तरह का प्रयोग करना चाहती थी, खुद की पढ़ाई के चलते ऐसा नहीं कर पाई। विजयनगर से शुरू हुए ‘प्रेरणा बुक बैंक की अब दस शाखाएं हो चुकी हैं। दर्जनों छात्र इस बैंक का लाभ उठाकर बैंक, रेलवे, आर्मी, सरकारी एजेंसियों में नौकरी भी कर रहे हैं। इनमें से कुछ युवक जब नौकरी से छुट्टी पर अपने घर आते हैं तो बुक बैंक में सहयोग करते हैं। और ऐसे कारवां बनता गया.. रद्दी बेचने, पुरानी पुस्तकें एकत्र करने और यहां से पढ़कर निकले छात्रों की सहयता से अब बुक बैंक की दस शाखाएं हो गई हैं। यहां से पढ़कर सरकारी नौकरी में चयनित हुए छात्रों ने कहा कि उनके यहां भी बुक बैंक का प्रयोग किया जा सकता है। इसके बाद मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, लोनी, मेरठ के शास्त्रीनगर, संजयनगर, माधवपुरम सहित देहात में भी बुक बैंक खोले गए। अमिता इसका श्रेय अपने पति संजय शर्मा को देती हैं।
गाजियाबाद: बुजुर्गों ने चलाया अभियान
यदि आपके मन में किसी के लिए कुछ बेहतर कर गुजरने की चाह हो तो राहें अपने आप आसान होती जाती हैं। गाजियाबाद के इंदिरापुरम में बुजुर्गों के एक ग्रुप ने जरूरतमंद बच्चों को किताबें बांटने के लिए बुक बैंक बनाने का सपना देखा था। अपनी कोशिशों से उन्होंने इस सपने को साकार कर दिखाया। इसी साल फरवरी में इन्होंने शिप्रा सनसिटी के गेट नंबर-2 के पास बुक बैंक खोला। अपने खाली समय में ग्रुप के बुजुर्ग बच्चों को पढ़ाने के साथ बुक बैंक में पुरानी किताबें जमा करने का काम भी करते हैं। साथ ही लोगों को इस बुक बैंक के बारे में जागरूक भी करते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चे इसका फायदा उठा सकें। वहीं, काफी संख्या में बच्चे अपनी पुरानी किताबें इस बुक बैंक में डोनेट भी कर चुके हैं। इस समय करीब 500 किताबें यहां मौजूद हैं। बुक बैंक में पहली से लेकर 12वीं तक की किताबें हैं। कहानियां और उपन्यास पढ़ने के लिए भी बच्चे और बुजुर्ग यहां से किताबें ले जाते हैं। एसएससी अौर अन्य एग्जाम की तैयारियों की किताबें भी यहां हैं।
शैली कपूर और अन्य रेजिडेंट्स करते हैं इसका रख-रखाव
शैली कपूर ने बताया कि वह हाउसवाइफ हैं, लेकिन समय निकालकर इस बुक बैंक को समय देती हैं ताकि पढ़ाई की चाहत रखने वाला कोई भी बच्चा अनपढ़ न रहे। ग्रुप के मेंबर मोहिंदर सिंह ने बताया कि वह वाट्सऐप पर मेसेज के जरिए लोगों तक बुक बैंक का संदेश देते हैं। बहुत से लोगों ने यहां पर पुरानी किताबें भी दी हैं। वहीं, अगर कोई कक्षा 6 का जरूरतमंद बच्चा इनसे किताबें लेना चाहता है और उसके पास 5वीं कक्षा की किताबें है तो वह उन्हें बुक बैंक में देकर अपनी क्लास की किताबें हासिल कर सकता है। लेकिन अगर उसके पास किताबें नहीं हैं तो बुक बैंक से मुफ्त में भी किताबें ले सकता है।
दिल्ली : हमारा उदेश्य पढ़ो और पढ़ाओ
दिल्ली में काम कर रही संस्था -हमारा बुक बैंक घर- घर जाकर पुरानी किताबो को इकठा करता हे और जरूरतमंद विद्यार्थियों को बिलकुल निःशुल्क देता हे। संस्था का उदेश्य किताबो का पुनः इस्तमाल कर बच्चो के भविश्य के साथ-साथ देश के लाखो पेड़ कटने से बचाना भी हैं। बाबा गंगा राम धाम भक्त समिति द्वारा चलाये जा रहे हमारा बुक बैंक को बच्चे काफी पसंद कर रहे हैं और इसका लाभ उठा रहे हैं। बुक बैंक का प्रयास हे कि देश का कोई विद्यार्थी किताबो की वजह से पढ़ाई से वंचित न हो I किसी भी विद्यार्थी को किसी भी कक्षा की कोई भी पुस्तक चाहिए तो उसका विवरण वह इस बैंक को भेज सकता है।वह बच्चा देश के किसी भी कोने में हो स्कूल की सेकंड हैंड किताबे मुफ्त दी जाइयेगी I विधार्थी अपनी पुरानी क्लास की बुक्स हमारा बुक बैंक में जमा कर किसी दूसरे बच्चे को पढ़ा भी सकता हे। बैंक का उद्देश्य ही है - हमारा उदेश्य पढ़ो और पढ़ाओ।