PhD में 10% से अधिक कंटेंट कॉपी पाया गया, तो लगेगी पेनल्टी

पीएचडी में लगातार बढ़ रही चीटिंग और थिसिस चोरी से बचने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रैंड कमिशन UGC मे कमेटी बनाई। कमेटी ने इसके लिए स्पष्ट नियम कानून बना लिए हैं। वहीं रिसर्च के कोर एरिया में किसी भी किस्म की चोरी को जीरो टॉलरेंस केटैगरी में रखा गया है।

Update: 2017-09-04 11:05 GMT

नई दिल्ली : पीएचडी में लगातार बढ़ रही चीटिंग और थिसिस चोरी से बचने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रैंड कमिशन UGC मे कमेटी बनाई। कमेटी ने इसके लिए स्पष्ट नियम कानून बना लिए हैं। वहीं रिसर्च के कोर एरिया में किसी भी किस्म की चोरी को जीरो टॉलरेंस केटैगरी में रखा गया है।

एक अखबार में छपी खबर के अनुसार नियम के तहत अगर थिसिस में 10 फीसदी से अधिक कंटेंट कॉपी पाया गया तो उसके लिए अलग-अलग पेनल्टी के प्रावधान तय किए गए हैं।

ये हैं संस्थानों के लिए गाइडलाइन

-कोई रिसर्च को कॉपी ना कर सकें उसके लिए संस्थान अपने पास डिटेक्टिंग टूल और सॉफ्टवेयर रखने होंगे।

-थिसिस, पेपर या रिपोर्ट को जमा कराने से पहले छात्रों को थिसिस की सच्चाई का प्रमाण पत्र देना होगा।

-हर थिसिस को सॉफ्टवेयर के माध्यम से दो बार डिटेक्ट करने के बाद ही जमा किया जाए।

-जमा करते समय किसी भी प्रकार की लापरवाही ना बरती जाएं।

-हर सुपरवाइजर को भी अपने मार्गदर्शन में किए गए रिसर्च की सच्चाई का प्रमाण पत्र देना होगा।

लगेगा चोरी का आरोप

अगर रिसर्च में ये कंटेंट कॉपी मिले तो वह सीधे तौर पर चोरी की केटैगरी में आ जाएंगे। जिनमें रिसर्च कोर एरिया जैसे एब्सट्रेक्च, समरी, हाइपोथेसिस आब्जर्वेशन, रिजल्ट और कनक्लूजन।

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