‘सीनियर’ के रोल में दिखे बनारस के डीएम, तो मिनटों में खत्म हो गया घंटों का बवाल
वाराणसी: बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पिछले तीन दिनों से हंगामा कर रहे छात्र अब बैकफुट पर आ गए हैं। मंगलवार की रात जिला प्रशासन की सख्ती के बाद आखिरकार छात्रों का विश्वविद्यालय प्रशासन का निर्देश मानना पड़ा। बुधवार की सुबह से ही बवाली छात्रों ने हॉस्टल खाली करना शुरू कर दिया।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने संबंधित सभी सात हॉस्टलों को खाली कराने के साथ ही कमरों को सीज कर दिया है। विश्वविद्याल प्रशासन ने मंगलवार को बिरड़ा के तीनों हॉस्टल, रूईया, एनेक्सी, लालबहादुर शास्त्री और धन्वंतरि हॉस्टल को खाली करने का निर्देश दिया था। इसके लिए छात्रों को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया था।
डीएम की कोशिशों से संभले हालात
छात्रों के आंदोलन को खत्म कराने के पीछे कहीं न कहीं जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह का बड़ा रोल रहा। सोमवार की रात से बवाल कर रहे छात्रों को समझा पाना आसान नहीं था। खासतौर से हॉस्टल कराने के निर्देश के बाद तो छात्रों का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। मंगलवार की शाम से छात्र एलडी गेस्च हाउस के बाद धरने पर जम गए और नारेबाजी शुरू कर दी। कई मौके तो ऐसे भी आए जब हालात बिगड़ने की संभावना बनने लगी। एक तरफ आक्रोशित छात्र थे तो दूसरी तरह भारी संख्या में पुलिस फोर्स।
लेकिन मुश्किल वक्त में वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने मोर्चा संभाला। देर रात जिलाधिकारी एलडी गेस्ट हाउस के बाहर धरना दे रहे छात्रों से मिलने पहुंचें। छात्रों के सीनियर की भूमिका निभाते हुए उन्होंने छात्रों से लगभग 20 मिनट तक लंबी बातचीत की। उनकी मांगों को सुना और आश्वासन दिया कि छात्रों के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होगा। डीएम की बातों को मानते हुए छात्रों ने धरना खत्म करने का ऐलान किया। इसके साथ ही हॉस्टल खाली करने पर राजी हो गए।
डीएम के आश्वासन के बाद हॉस्टल किए खाली
हालांकि इसके बाद भी लोगों को आशंका थी कि छात्र बवाल कर सकते हैं। बुधवार की सुबह पूरे कैंपस में भारी अफरातफरी का माहौल था। पुलिसवालों की गश्त बढ़ने लगी थी। भारी पुलिस फोर्स कैंपस में मौजूद थी। इस डीएम और एसएसपी खुद निगरानी बनाए हुए थे। इस दौरान दोनों अधिकारियों ने छात्रों के प्रकार की सख्ती ना करने के आदेश दिए थे। इस निर्देश का असर भी दिखा। छात्रों ने पुलिस प्रशासन का पूरा साथ दिया। पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में प्रॉक्टोरियल बोर्ड के जवानों ने सभी सात हॉस्टल खाली कराए और कमरों को सीज किया। इस दौरान जिला प्रशासन से हॉस्टलों की तलाशी के लिए ड्रोन की भी मदद ली। हॉस्टल कैंपस के चप्पे-चप्पे को खंगाला गया।
असमाजिक तत्वों के खिलाफ होगी कार्रवाई
जिलाधिकारी ने कहा कि छात्रों ने छात्रावास खाली करने का कदम विश्वविद्यालय के कहने पर अपने हित में उठाया है। इसमें इसी भी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया गया है। किसी को डांटा नहीं गया। छात्रों का यह फैसला स्वागतयोग्य है। छात्रों के इस फैसले से जो असामाजिक तत्व यहां शरण लिए हुए है उसके खिलाफ बहुत ही सख्त कार्रवाई की जा सकेगी। अभी तक वो इनोसेंट छात्रों के बीच में शरण लिए हुए थे जिससे उन्हें चिन्हित करना मुश्किल था पर आज जब हॉस्टल खाली हो गए हैं तब उन्हें चिन्हित करना आसान हो गया है।