आगरा। अँधेरी रात में ताज महोत्सव का शिल्पग्राम मंच रोशनी से जगमगा रहा था। एक ओर जहां देशभर से उमड़ी कलाकारों की प्रस्तुतियां शिल्पग्राम में भारतीय संस्कृति का रंग बिखेर रही थी तो, वहीँ दूसरी ओर काफी लंबे वक्त से दर्शक बेकरारी भरी निगाहों से हर दिल अजीज अभिजीत भट्टाचार्य का इन्तजार कर रहे थे।
धीरे-धीरे वक्त बीतता गया और आखिरकार घड़ी की सूईंयां उस समय पर आकर रुकी, जब जबरदस्त गायक अभिजीत भट्टाचार्य ने इस कार्यक्रम में शिरकत कर चार चाँद लगा दिया।
अभिजीत जैसे ही मंच पर पहुंचे पूरा महोत्सव तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। इसी सिलसिले में उन्होनें महोत्सव में सुरों का जादू बिखेरना शुरू कर दिया। देर रात तक फैंस और सभी दर्शक अभिजीत भट्टाचार्य के सुरों में सुर मिलाते हुए झूमते हुए फरमाइशें करते रहे।
इस महफ़िल में उन्होंने सबसे पहले फिल्म 'बादशाह' का गीत ‘आशिक हूं मैं, कातिल भी हूं..’ सुनाकर शुरुआत की। अगला गीत उन्होंने ‘बहुत खूबसूरत हो..’ सुनाकर महफिल में रंग जमाया।
इसके बाद जब उन्होंने गीत ‘बड़ी मुश्किल है, खोया मेरा दिल है..’ सुनाया तो दर्शक उनके सुर में सुर मिलाने लगे। इसके बाद उन्होंने फिल्म खाकी का गीत ‘वादा रहा सनम..’, ‘चांद तारे तोड़ लाऊं..’, ‘सुनो न सुनो न सुन न लो..’, ‘मुसाफिर हूं यारो..’, ‘टन टना टन टन तारा..’ समेत कई गीत सुनाकर देर रात तक शिल्पग्राम का माहौल ताजा बनाए रखा।
इसी दौरान कुछ पल को अभिजीत देशों से कुछ पल को मुखातिब भी हुए। उन्होनें अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि, 'मैं किसी की आवाज नहीं हैं। मैं स्वयं की आवाज हूं। मैंने जिसके लिए गाया वो सुपरस्टार बन गया।
उन्होंने कहा कि, 'किशोर कुमार, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, मन्ना डे, मो. रफी और मुकेश उनके लिए भगवान स्वरूप हैं। उन्होंने कहा, मेरे लिए वह ब्रह्म, विष्णु, महेश सब कुछ हैं। आगे उन्होंने कहा कि, ताज महोत्सव में वह ऐसा जादू करेंगे कि सालों तक लोग हर शो में अभिजीत को याद करेंगे।
उधर, रविवार के चलते महोत्सव में दोपहर से ही भीड़ पहुंचने लगी थी। शाम को तो शिल्पग्राम के बाहर खड़े होने को भी जगह नहीं बची। यहां से फतेहाबाद रोड तक जाम की स्थिति रहने से दर्शकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी।