आशा पारेख स्पेशल स्टोरी: नहीं जानते होंगे उनकी फिल्म व लाइफ से जुड़े ये पहलू

Update: 2017-10-02 06:21 GMT

मुंबई: जिनको देखकर 60-70 के दशक के हीरो कहते थे दिल देके देखो, जो थी हर दिल की धड़कन फिर क्यों रह गई वो एक्ट्रेस सारी उम्र अकेले। ये बात जब बीते जमाने की मशहूर एक्ट्रेस आशा पारेख के लिए कही गई है। इसके जवाब में खुद आशा पारिख का कहना है कि दिवंगत फिल्मकार नासिर हुसैन इकलौते ऐसे शख्स हैं, जिनसे उन्होंने प्यार किया था।

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हुसैन की फिल्म दिल देके देखो (1959) से ही आशा पारेख ने फिल्मी दुनिया में आगाज किया था। दोनों ने तीसरी मंजिल और कारवां सहित सात फिल्मों में साथ काम किया था। फिल्म इंडस्ट्री आशा पारेख और नासिर हुसैन रिलेशनशीप से वाकिफ थी।

दोनों के निजी संबंधों से जुड़ी बातें आशा पारेख की आत्मकथा द हिट गर्ल में सामने आई हैं। अपने जीवन के प्यार के बारे में आशा ने कहा, नासिर साब ही एकमात्र ऐसे इंसान थे जिससे उन्होंने प्यार किया। उनके जीवन में जो लोग मायने रखते हैं, अगर उनका जिक्र वे अपनी आत्मकथा में ना करें तो फिर इसे लिखने का कोई अर्थ ही नहीं है।

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आशा पारेख आज 75 साल की हो गईं हैं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1942 को हुआ था। आशा को उनके जमाने में सबसे ग्लैमरस एक्ट्रेस में से एक से माना जाता है। कुछ समय पहले उनकी ऑटोबायोग्राफी 'द हिट गर्ल' रिलीज हुई थी। इस किताब में उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े कई राज खोल हैं। किताब में उन्होंने लिखा है कि वो डिप्रेशन का शिकार भी हो गईं थीं। उनके मन में सुसाइड के ख्याल आते थे।

जब उनके पैरेंट्स गुजर गए, तब वो डिप्रेशन का शिकार हो गईं। डिप्रेशन से लड़ने के लिए उन्हें बहुत से डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ा। वो कहती हैं कि सफल एक्ट्रेस होने के बावजूद वो जिंदगी में अकेली रह गईं। उन्होंने अचानक फिल्मों से संन्यास ले लिया था। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा था, 'मुझे मां के रोल मिलने लगे थे, जो मुझे पसंद नहीं थे। इसलिए मैंने फिल्में करना छोड़ दिया। एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा कि एक फिल्म के हीरो सुबह 9.30 बजे की शिफ्ट में शाम को 6.30 बजे पहुंचते थे। मैं दिन भर अपने शॉट का इंतजार करती थी। तब मैंने सोच लिया कि मुझे फिल्में अब नहीं करनी।आशा पारेख, अमिताभ बच्चन को खुशकिस्मत मानती हैं। उन्होंने कहा कि अमिताभ को दूसरी पारी मिली। उनके हिसाब से रोल लिखे जाते हैं। वो खुशकिस्मत हैं। मेरे हिसाब से फिल्में लिखी जाएंगी तो मैं भी फिल्में करूंगी।

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अपनी जिंदगी के इस नाजुक पहलू को बखूबी संभालने का श्रेय वह अपनी आत्मकथा के असिस्टेंट राइटर खालिद मोहम्मद को देती हैं। आशा पारेख ने इस बात का खुलासा किया कि वह हुसैन को उनके परिवार से कभी भी अलग नहीं करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने शादी नहीं की।

आशा ने कहा, वे कभी भी घर तोड़ने वाली नहीं रही। उनके और नासिर साहब के परिवार के बीच कभी कोई अनबन नहीं हुई।आशा जी ने कहा बुक लॉन्च के मौके पर नुसरत (हुसैन की बेटी) और इमरान खान (नाती) को देखकर उन्हें बहुत खुश हुई। उन्हें लगता है कि उन्होंने अपने जीवन को गरिमापूर्ण रूप से और बिना किसी को तकलीफ पहुंचाए जिया है।

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