'तारक मेहता' की बबिता जी का बड़ा खुलासा, टीचर ने किया था ऐसा...
मुनमुन दत्ता ने इंस्टा पर लिखा था, "फिर मेरा ट्यूशन टीचर जिसने मेरे अंडरपैंट में हाथ डाल दिया था।"
मेघना
यौन शोषण के खिलाफ उठी #MeToo मुहीम की लहर हर ओर से उठी थी। इस मुहीम ने ऐसी कई महिलाओं को आवाज़ उठाने का हौसला दिया जिन्होंने एक समय पर चुप रहना सही समझा था। ऐसी महिलाओं में से एक थीं टीवी के मशहूर कॉमेडी शो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' फेम बबीता जी ऊर्फ मुनमुन दत्ता। मुनमुन दत्ता अपने शानदार अभिनय और बेबाक अंदाज़ के लिए अपने फैंस के बीच काफी मशहूर हैं। मुनमुन दत्ता ने #MeToo मुहीम को लेकर 2017 में इंस्टाग्राम पर खुद से जुड़ी घटनाएं शेयर की थीं।
इंस्टाग्राम पर लिखा, "#MeToo...."
मुनमुन दत्ता ने इंस्टा पर लिखा था, "#MeToo.... हाँ... #Metoo ..... इस तरह के एक पोस्ट को शेयर करना, दुनिया भर की महिलाओं पर यौन शोषणों के बारे में वैश्विक जागरूकता में शामिल होना और इससे गुज़री हर उस महिला के साथ एकजुटता दिखाना इस समस्या की भयावहता को दर्शाता है। मैं आश्चर्यचकित हूं कि बाहर आकर अपने #metoo अनुभवों को साझा करने वाली महिलाओं की संख्या को देखकर कुछ 'अच्छे' पुरुष हैरान हैं। नहीं, मत होइये। यह आपके ही घर में, आपके ही घर के पीछे, आपकी ही बहन, बेटी, माँ, पत्नी या यहाँ तक कि आपकी नौकरानी के साथ भी हो रहा है, उनका भरोसा हासिल करिये और उनसे पूछिये।
शोषण की शिकार होती लड़कियां
आप उनके जवाबों से आश्चर्यचकित हों जाएंगे। आप उनकी कहानियों से आश्चर्यचकित हो जाएंगे। ऐसा कुछ लिखना मेरी उन यादों को वापस ले आता है और मेरी आंखें आंसूओं से भर जाती हैं। जब मैं छोटी थी तब मैं पड़ोस के अंकल और उनकी घूरती आंखों से डरती थी। वो हमेशा मौका पाकर मुझे जबरन छूते थे और मुझे धमकी देते थे कि मैं इस बारे में किसी को न बताऊं। या उनके बारे में बताऊं जो मुझसे बहुत बड़े मेरे चचेरे भाई थे, जो अपनी बेटियों की तुलना में मुझे 'अलग नज़र' से देखते थे। या उसके बारे में जिस आदमी ने मुझे पैदा होते अस्पताल में देखा था और 13 साल बाद उसने सोचा कि मेरे शरीर को छूना उसके लिए उचित है क्योंकि मैं एक जवान होती टीनएजर थी और मेरा शरीर बदल गया था। या फिर मेरा ट्यूशन टीचर जिसने मेरे अंडरपैंट में हाथ डाल दिया था। या एक दूसरा टीचर, जिसे मैंने राखी बाँधी, जिसने क्लास में छात्राओं को उनकी ब्रा की स्ट्रैप्स खींचकर और उनके स्तनों पर मारकर उनको डांटता था। या उस आदमी के बारे में जिसने ट्रेन में जबरन छुआ था, क्यों ?? क्योंकि तुम बहुत छोटी हो और बोलने से डरती हो?
पुरुषों के प्रति नफरत
इतना डर है अंदर कि अपने पेट के अंदर दर्द महसूस कर सकती हो और दम घुट रहा है। तुम नहीं जानती कि तुम इसे अपने माता-पिता को कैसे समझाओगी या किसी को भी इस बारे में एक भी शब्द बोलने से कतराती हो। और फिर आप पुरुषों के प्रति एक गहरे नफरत को पैदा करना शुरू कर देते हैं, क्योंकि आप जानते हैं कि वे वही अपराधी हैं जिन्होंने आपको इस तरह महसूस कराया है। इस बेहद घिनौने और अजीब अहसास से उबरने में सालों लग जाते हैं। मैं इस आंदोलन से जुड़ने वाली एक और आवाज़ बन कर खुश हूं और लोगों को एहसास दिलाना चाहती हूं कि मुझे भी नहीं बख्शा गया। लेकिन आज मैं किसी भी ऐसे आदमी को चीर कर रख दूंगी जो दूर से भी मेरे साथ कुछ भी ऐसा करने की कोशिश करेगा।"