BIG-B Birthday: इस फिल्म में दमदार आवाज के शाहंशाह ने निभाया था मूक किरदार
रील लाइफ का यह चमकता हुआ सितारा अपनी कड़ी मेहनत से आज उस मुकाम पर है जहां किसी का पहुंच पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। फिल्मी करियर शुरू करने से पहले खुद अमिताभ बच्चन ने भी कभी सोचा भी नहीं होगा कि वो इस मुकाम पर पहुंच जायेंगे।
मुंबई: दुनिया में बहुत ही कम लोग होते हैं जिनका मुकद्दर सिकंदर का होता है। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में बिग-बी के नाम से मशहूर और अपनी दमदार आवाज और अभिनय के दम पर दर्शकों को अपना दीवाना बनाने वाले 'शहंशाह' कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन का 11 अक्टूबर 1942 को जन्म हुआ था।
रील लाइफ का यह चमकता हुआ सितारा अपनी कड़ी मेहनत से आज उस मुकाम पर है जहां किसी का पहुंच पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। फिल्मी करियर शुरू करने से पहले खुद अमिताभ बच्चन ने भी कभी सोचा भी नहीं होगा कि वो इस मुकाम पर पहुंच जायेंगे।
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बिग-बी यानि कि अमिताभ बच्चन के जन्मदिन के बारे में अगर कहा जाए तो लोग अपना जन्मदिन भूल सकते हैं लेकिन बिग-बी का नहीं। लेकिन फिर भी बता देते हैं कि 11 अक्टूबर को उनका जन्मदिन होता है।
उनके जन्म दिन के खास मौके पर जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।
हम आपको बता दें कि अमिताभ को अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह दिन भी देखना पड़ा था जब उनकी आवाज को लोगों ने नकार दिया था। फिल्म जगत में अपने करियर के शुरुआती दिनों में अमिताभ बच्चन ने 'आकाशवाणी' में भी अनाउंसर पद के लिए आवेदन किया लेकिन वहां काम करने का अवसर नहीं मिला।
यह बात जानकर तो आप एकदम हैरान हो जायेंगे कि फिल्म 'रेशमा' और 'शेरा' में अपनी अच्छी आवाज के बावजूद उन्हें मूक भूमिका भी स्वीकार करनी पड़ी।
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मात्र 800 रुपये वेतन से की शुरुआत
11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में जन्म लेने वाले अमिताभ बच्चन ने अपने करियर की शुरुआत कोलकत्ता में बतौर सुपरवाइजर की जहां उन्हें 800 रुपये मासिक वेतन मिला करता था।
साल 1968 मे कलकत्ता की नौकरी छोड़ने के बाद मुंबई आ गये। बचपन से ही अमिताभ बच्चन का झुकाव अभिनय की ओर था और दिलीप कुमार से प्रभावित रहने के कारण वह उन्हीं की तरह अभिनेता बनना चाहते थे।
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पहली फिल्म थी सात हिन्दुस्तानी
साल 1969 में अमिताभ बच्चन को पहली बार ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म 'सात हिन्दुस्तानी' में काम करने का मौका मिला लेकिन इस फिल्म के असफल होने के कारण वह दर्शकों के बीच कुछ खास पहचान नहीं बना पाये।
राजनीति में भी मनवाया अपना लोहा
साल 1984 में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और इलाहाबाद से सांसद का चुनाव लड़े तथा सांसद के रूप में चुन लिये गये लेकिन अमिताभ बच्चन को अधिक दिनों तक राजनीति रास नहीं आई और तीन वर्ष तक काम करने के बाद उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया। इसकी मुख्य वजह यह थी कि उनका नाम उस समय बोफोर्स घोटाले में खींचा जा रहा था।
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जब अमिताभ ने दी मौत को मात
सुपर स्टार के रूप मे अमिताभ बच्चन किस उंचाई पर पहंच चुके थे इसका सही अंदाज लोगों को तब लगा जब 1982 में निर्माता-निर्देशक मनमोहन देसाई की फिल्म 'कुली' की शूटिंग के दौरान वह गंभीर रूप से घायल होने के बाद लगभग मौत के मुंह मे पहुंच गए थे।
लोगों ने उनकी सलामती के लिए यज्ञ तक किया
इसके बाद देश के हर मंदिर, मस्जिद और गुरुदारे में लोगों ने उनके ठीक होने की दुआएं मांगी मानों अमिताभ बच्चन उनके ही अपने परिवार का कोई अंग हो। लोगो की दुआएं रंग लाई और अमिताभ जल्द ही ठीक को गये।