Pathaan: बांग्लादेश में ‘पठान’ के साथ हुई बॉलीवुड की वापसी

Pathaan: बांग्लादेश की स्थापना के पहले जब वह इलाका पूर्वी पाकिस्तान था तब वहां पहली बार 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद भारतीय फिल्मों पर कानूनी प्रतिबंध लगाया था।

Update:2023-05-15 20:53 IST
Pathaan (photo: social media )

Pathaan: बांग्लादेश की राजधानी ढाका के सिनेमाघरों शाहरूख खान की फिल्म पठान बड़े पर्दे पर दिखाई जा रही है। बांग्लादेश ने 1971 में अपनी आज़ादी या स्थापना के तुरंत बाद देश में भारतीय सिनेमा पर पाबन्दी लगा दी थी। लगभग 50 साल के बाद बांग्लादेश में कोई बॉलीवुड की फिल्म दिखाई जा रही है।

बांग्लादेश की स्थापना के पहले जब वह इलाका पूर्वी पाकिस्तान था तब वहां पहली बार 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद भारतीय फिल्मों पर कानूनी प्रतिबंध लगाया था। बांग्लादेश बनने के बाद फिर प्रतिबन्ध लगा लेकिन बंगलादेशी फिल्म इंडस्ट्री की खस्ता हालत के चलते सिनेमाघरों की मांगों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2010 में कुछ समय के लिए प्रतिबंध हटा लिया। लेकिन प्रतिबन्ध हटते ही स्थानीय अभिनेता और निर्देशकों इसके खिलाफ उठ खड़े हुए। इनके उग्र विरोध के चलते सरकार ने तुरंत प्रतिबन्ध फिर लगा दिया। जब फिल्मोद्योग के हालात और भी बदतर हो गए और सिनेमाघर तेजी से बंद होने लगे तो सरकार ने इस साल की शुरुआत में प्रतिबंध हटा लिया ताकि सिनेमा उद्योग को किसी तरह बचाया जा सके। वैसे, प्रतिबंध का एक अस्थायी निलंबन 2015 में हुआ था जब सलमान खान अभिनीत ‘वांटेड’ की देश में स्क्रीनिंग की गई। लेकिन स्थानीय कलाकारों के विरोध ने थिएटरों में फ़िल्म चलने ही नहीं दी। तब से,’ बांग्लादेश में कोई हिंदी फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई है।

बांग्लादेशी सिनेमा

बांग्लादेशी सिनेमा की स्थिति बहुत खराब है। बांग्लादेश के उम्रदराज अभिनेता शाकिब खान वहां के अकेले सितारे हैं जो खुद भारतीय सिनेमा की एंट्री के खिलाफ विरोध की अगुवाई कर चुके हैं। सिनेमाघरों का हाल ये है कि कई गैरकानूनी रूप से पोर्न फ़िल्में चलाने को मजबूर हैं। बीते 20 सालों में यहां 1000 से ज्यादा सिनेमा बंद हो चुके हैं। इनमें से कइयों को शॉपिंग सेंटर या रिहाइशी अपार्टमेंट में तब्दील किया जा चुका है।100 साल पुराने मूवी थिएटर मानोषी को 2017 में शॉपिंग कंप्लेक्स में बदल दिया गया। बांग्लादेश में सिनेमा वहां की सोशल लाइफ का कभी मुख्य आधार हुआ करता था। बताते हैं कि यह सिनेमा हॉल ढाका के पुराने लोगों के लिए मिलने की जगह हुआ करता था। रात को 12 बजे के बाद जब शो खत्म होता था तो यहां जैसे मेला लग जाता था।

पाबन्दी हटाने की कोशिश

पिछले महीने सरकार ने एक आदेश जारी कर हर साल भारत या दूसरे दक्षिण एशियाई देशों से बांग्लादेश में 10 फिल्मों को लाने की अनुमति दी है। सूचना मंत्री हसन महमूद का कहना है, पाकिस्तान में सिनेमा घट कर एक समय 30-35 पर आ गए। इसके बाद उन्होंने हिंदी फिल्मों को दिखाना शुरू किया जिसके बाद सिनेमाघरों की संख्या बढ़ कर 1200 हो गई। अब पठान को पूरे देश के 41 सिनेमाघरों में रिलीज किया गया है। ढाका के मोधुमिता सिनेमा के मालिक मोहम्मद इफ्तेखारुद्दीन बांग्लादेश मोशन पिक्चर एग्जिबिटर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हैं। उनका मानना है कि अब कारोबार फिर रफ़्तार पकड़ेगा। उनका अनुमान है कि 200-300 सिनेमा तो इसी से दोबारा खुल जाएंगे।

हालांकि बांग्लादेशी फिल्ममेकर इसे लेकर सशंकित हैं। कइयों ने तो धमकी दी है कि वो स्थानीय फिल्म उद्योग की मौत के प्रतीक के रूप में सफेद कफन पहन कर प्रदर्शन करेंगे। फिल्म निर्देशक खिजिर हयात खान कहते हैं, क्या वो नेपाली फिल्म उद्योग के बारे में नहीं जानते। क्या वो यह नहीं देख सकते कि मेक्सिकन फिल्म उद्योग किस तरह बर्बाद हो गया?

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