JNU Movie Review : क्या जेएनयू मूवी की कहानी सच है, जानिए क्यों उठ रहे हैं फिल्म पर सवाल

JNU Movie Story: जवाहर नेशनल यूनिवर्सिटी पर बनी फिल्म जेएनयू इस समय सुर्खियों में छाई है, चलिए जानते हैं क्या है फिल्म की कहानी और कैसी है फिल्म

Written By :  Shikha Tiwari
Update:2024-06-22 12:24 IST

JNU Movie Review 

JNU Movie Review In Hindi: इस साल की सबसे ज्यादा मोस्ट अवेटेड फिल्म जेएनयू रिलीज कर दिया गया है। इस फिल्म में मुख्य किरदार में उर्वशी रौतेला (Urvashi Rautela) व रवि किशन (Ravi Kishan) नजर आने वाले है। इस फिल्म की जबसे घोषणा की गई थी लोगो को इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार था। इसका निर्देशक विनय शर्मा (Vinay Sharma) ने किया है। इस फिल्म को 'जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी' (JNU Full Form) के अंदर हो रहे राजनीति को मद्दे नजर रखते हुए बनाया गया है। इसमें छात्रों के उस चेहरे को दिखाया गया है, जो रोमांस से दूर राजनीति के बारे में सोचता है। चलिए इस फिल्म के कहानी पर एक नजर डालते है।

जेएनयू मूवी रिव्यू (JNU Movie Review In Hindi)-

जेएनयू मूवी में विरोध प्रदर्शन के दृश्यों के साथ आपराधिक साजिक के आरोप, राजद्रोह के आरोप व आतंकवाद समर्थक भावनाओं का चित्रण दिखाया गया है। यह एक ऐसे विचार को दिखाता है, जो जेएनयू की आंतरिक कार्यप्रणाली के बारे में बताते है। जहाँ दो पार्टी के नेता सत्ता के लिए निरंतर संघर्ष में लगे हुए है। और वैचारिक झगड़े व राजनीतिक पैंतरेबाजी को बढ़ावा दिया गया है। जहाँ शैक्षणिक गतिविधियां अक्सर विवादों व राजनीतिक टकरावों के आगे पीछे चली जाती है। छात्रों व शिक्षकों को वैचारिक लड़ाइयों के मुद्दे पर चर्चा करते हुए दिखाया गया है। फिल्म में रवि किशन (Ravi Kishan) एक पुलिसवालें के किरदार में हैं।

फिल्म जेएनयू में छात्र सक्रियता को एक छात्र सौरभ शर्मा की नजर से दिखाती है। परिसल में वामपंथी संगठनों का दबदबा है। शर्मा अखिलेश पाठक और  ऋचा शर्मा (उर्वशी रौतेला) से दोस्ती करता है। जो वामपंथियों के प्रति उसकी नफरत को साझा करते हैं। 

जेएनयू मूवी स्टोरी (JNU Movie Story In Hindi)-

फिल्म जेएनयू (JNU Movie) की कहानी आपराधिक साजिश व राजद्रोह के आरोंपो को दर्शाती है। जहाँ छात्र सक्रियता के गहरे पहलुओं व शैक्षिक संस्थानों के भीतर राजनीतिक परिदृश्य को बताती है। फिल्म की पूरी कहानी अभी बता पाना छोड़ा जल्दीबाजी होगा।  

यह उद्मम एक काल्पनिक रचना होने का दिखावा करता है। हालाँकि यह स्पष्ट है कि संबंधित व्यक्ति कन्हैया कुमार और शीला राशिद का एक छिपा हुआ प्रतिनिधित्व हैं। यह फिल्म 2016 के जेएनयू देशद्रोह विवाद और उसके बाद की घटनाओं को दक्षिणापंथी दृष्टिकोण से दर्शाती है। 

शर्मा ने जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा को बार-बार अपमानजनक तरीके से दिखाकर पूर्व पीएम और उनके नाम पर बने विश्वविद्यालय के प्रति दक्षिणापंथी द्वेष को दर्शाया है। यह तब  है, जब सत्तारूढ़ पार्टी के दो शीर्ष मंत्री (निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर ) जेएनयू के पूर्व छात्र है।

2016 के राजद्रोह मामले के तथ्यों को छिपाकर, आरोपियों के खिलाफ हिरासत में हिंसा दिखाकर और बड़े पैमाने पर अंतर-कैंपस हिंसा के प्रति पुलिस की उदासीनता का महिमामंडन करके, फिल्म स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण लगती है। धार्मिक और यौन अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगात लगातार की गई गालियाँ फिल्म को पूरी तरह से अरुचिकर बनाती हैं।

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