Kuttey Movie Review: बोरिंग, एंटरटेनिंग या फिर सस्पेंस, फिल्म में मोदीजी की एंट्री, जानें लोगों को कैसी लगी फिल्म कुत्ते

Kuttey Movie Review: अक्सर बॉलीवुड फिल्मों में कुत्ते शब्द का जिक्र काफी बार हुआ है। हर शुक्रवार फैंस को अपने फेवरेट एक्टर की रिलीज हुई फिल्मों को देखने का एक्साइटमेंट रहता है।

Report :  Anupma Raj
Update: 2023-01-13 09:10 GMT

Kuttey Movie (Image: Social Media)

Kuttey Movie Review: अक्सर बॉलीवुड फिल्मों में कुत्ते शब्द का जिक्र काफी बार हुआ है। फिर चाहें धर्मेंद्र का डायलॉग हो 'कुत्ते मैं तेरा खून पी जाउंगा हो या फिर ज्यादातर फिल्मों में इस्तेमाल की जाने वाली डायलॉग कुत्ते कमिने। लेकिन इस साल कुत्ते शब्द को फिल्म का टाइटल दिया गया है। हर शुक्रवार फैंस को अपने फेवरेट एक्टर की रिलीज हुई फिल्मों को देखने का एक्साइटमेंट रहता है। इस फ्राइडे बॉक्स ऑफिस पर दस्तक दी है फिल्म कुत्ते ने। तो आइए जानते हैं लोगों को कैसे लगी कुत्ते फिल्म और इस मूवी का रिव्यू

कैसी है कुत्ते फिल्म की कहानी

कुत्ते फिल्म की कहानी फिल्‍म की कहानी शुरुआत होती है दो पुल‍िसवालों से जो बेहद करप्‍ट हैं। साल 2003 में जहां नक्सल लक्ष्मी (कोंकणा सेन शर्मा) को पुलिस वालों ने पकड़ रखा है। लेकिन लक्ष्मी की नक्सलियों की टोली आकर उसे वहां से छुड़ा ले जाती है। फिर यहां से कहानी 13 साल आगे बढ़ती है। अब कहानी में होती है पुलिस अफसर गोपाल (अर्जुन कपूर) की एंट्री और उसके पाजी (कुमुद मिश्रा) डिपार्टमेंट में रहते हुए भी ड्रग्स के धंधे में शामिल हैं। फिर ड्रग माफिया नारायण खोबरे उर्फ भाऊ (नसीरुद्दीन शाह) इस धंधे में अपने प्रतिद्वंदी को मारने के लिए दोनों को भेजता है। लेकिन भाऊ के दुश्मनों को मारने के बाद गोपाल और पाजी ड्रग्स के साथ पकड़े जाते हैं। जिसके बाद दोनों को सस्पेंड कर दिया जाता है। इसके बाद होती है सीनियर पुलिस अफसर की (तब्बू) एंट्री, जो दोनों से कहती है कि नौकरी पर लौटने के लिए तुम दोनों को एक-एक करोड़ रुपये देने होंगे, तब वह कुछ सेटिंग कर पाएगी। तब ये सभी मिलकर बनाते हैं पैसों से भरी बैंक की वैन को लूटने का प्लान, इस प्लान को गोपाल, पाजी और पम्मी अपने-अपने तरीके से बनाते हैं। इसके बाद पूरी कहानी इस पर ही घूमती है कि क्या वह वैन लूट पाएंगे, या फिर होती है कोई नई मुसीबत। 

Kuttey Movie Review

बता दें कि फिल्म दो घंटे से कम है लेकिन कहानी काफी धीमी गति से चलने के कारण फिल्म एक समय के बाद उबाऊ लगने लगती है। इंटरवल के बाद भी कहानी धीमी रफ्तार में ही बढ़ती है। जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है, उलझती चली जाती है। अगर आप फिल्म में लॉजिक ढूंढ रहें तो आपको निराशा हाथ लग सकती है। बता दें आसमान भारद्वाज की कोशिश निर्देशन में अच्छी है। बंदूकें, गाली, खून, स्वैग से भरपूर सितारे, तेज बैकग्राउंड में बजता कमीने फिल्म का गाना ढैन टेणां, इसे एक बेहद स्टाइलिश फिल्म जरूर बनाता है, लेकिन कमजोर कहानी की वजह से फिल्म थोड़ी कमजोर लगेगी। आसमान के निर्देशन में उनके पिता विशाल की झलक दिखती है। 

अर्जुन कपूर की एक्टिंग की बात करें तो वह हीरो की भूमिका में सहज लगते हैं, यह उनका कंफर्ट जानर भी है। तब्बू के कुछ संवाद हंसाते हैं, लेकिन बाकी स्टार कास्ट पर भारी पड़ती दिखी हैं। साथ ही नसीरुद्दीन शाह ड्रग माफिया के नकारात्मक भूमिका में दमदार लगते हैं। कुमुद मिश्रा अपने रोल में काफी जंचते हैं। राधिका मदान के हिस्से कुछ खास सीन्स नहीं आए हैं लेकिन उन्होंने छाप छोड़ी है। हालांकि कोंकणा सेन शर्मा को नक्सली क्यों बनाया गया, उसका कोई जिक्र नहीं है। हालांकि खास बात यह है कि फरहाद अहमद देहिवि की सिनेमैटोग्राफी की तारीफ करनी होगी, क्योंकि उन्होंने रात में शूट हुई इस फिल्म को कहीं से भी अंधेरे में खोने नहीं दिया है। हालांकि फिल्म का शीर्षक समझ नहीं आता, क्योंकि इसमें कोई भी पात्र वफादार नजर नहीं आएगा। क्लाइमेक्स पर आकर नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर की गई फिल्म के नायक की टिप्पणी बहुत ही आपत्तिजनक और बिना लॉजिक का लगता है।

फिल्म कुत्ते में नजर आए ये स्टार कास्ट

बात करें स्टार कास्ट की तो इस फ‍िल्‍म में तब्बू, कोंकणा सेन, कुमुद मिश्रा, नसीरुद्दीन शाह, अर्जुन कपूर, राध‍िका मदान, जैसे स‍ितारे नजर आएंगे। वहीं न‍िर्देशक और फिल्‍मकार व‍िशाल भारद्वाज के बेटे आसमान भारद्वाज ने इस फिल्‍म के जरिए डेब्यू किया है। फिल्म में शाहिद कपूर की फिल्म कामिने का गाना ढैन टेणां को दुबारा रिक्रेट किया गया है, जो फैंस को ठीक ठाक लगे हैं। लेकिन ओरिजनल गाना को मात नहीं दे पाए हैं। रेटिंग की बात की जाए तो इस फिल्म को 2.5 स्टार सही है। कुल मिलाकर कहा जाए तो यह फिल्म एक बार देखी जा सकती है।



Tags:    

Similar News