Sushant Singh Rajput: संघर्ष और बलिदान से भरी है सुशांत सिंह की कहानी, क्या हुआ था जब एक एक्टर के सामने हार गया था इंजनियर

SSR: सुशांत सिंह राजपूत को फैंस का खूब प्यार मिलता रहा है लेकिन इस प्यार को पाने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की। आज हम सुशांत की उसी मेहनत और संघर्ष भरी कहानी आपके लिए लेकर आये हैं।

Update:2023-01-20 07:56 IST

Sushant Singh Rajput (Image Credit-Social Media)

Sushant Singh Rajput: सुशांत सिंह राजपूत एक जिंदादिल एक्टर थे। वो अपनी हर फिल्म में अपना सौ प्रतिशत देने का प्रयास करते थे साथ ही साथ ही साथ अपने को-स्टार्स को भी इसके लिए प्रेरित करते थे, और ये उनकी कई फिल्मों में साफ़ झलकता है। लेकिन सुशांत के आकस्मिक निधन ने सभी को हैरान कर दिया। सुशांत को फैंस का खूब प्यार मिलता रहा है जो आज भी जारी है लेकिन इस प्यार को पाने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की। आज हम सुशांत की उसी मेहनत और संघर्ष भरी कहानी आपके लिए लेकर आये हैं।

सुशांत सिंह राजपूत की सफलता और बलिदान की कहानी

कम उम्र में मां की मौत

असफलता सबके जीवन में कभी न कभी ज़रूर आती है लेकिन कुछ लोग इसके साथ आगे बढ़ते हैं, जबकि कुछ लोग इसके साथ टूट भी जाते हैं। सुशांत सिर्फ 16 साल के थे जब 2002 में उन्होंने अपनी मां को खो दिया था। इस नुकसान ने उन्हें काफी प्रभावित किया। उन्होंने एक बार एक इंटरव्यू में जिक्र किया था कि इस त्रासदी के बाद वो काफी ज्यादा मैच्योर हो गए थे। 

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ऐसे बीता बचपन

सुशांत बचपन से ही अध्ययनशील थे। उन्हें अंतरिक्ष में रुचि थी और वो हमेशा एक एस्ट्रोनॉट बनना चाहते थे। लेकिन वो ये भी जानते थे कि उनका परिवार इसका खर्चा नहीं उठा सकता। अपनी माँ की मृत्यु के बाद, उन्होंने अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए बहुत कठिन अध्ययन किया। उन्होंने DCE प्रवेश परीक्षा में 7वां स्थान प्राप्त किया और दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया।

कॉलेज में प्रवेश करने के बाद, सुशांत सिर्फ मनोरंजन के लिए श्यामक डावर की डांस क्लास में शामिल हो गए। जल्द ही वे एक अच्छे डांसर बन गए और कॉलेज के कार्यक्रमों में भी भाग लेने लगे। इससे पहले वे एक अंतर्मुखी छात्र थे, जो हमेशा अपनी किताबों में ही डूबे रहते थे। लेकिन उनकी रूचि हमेशा से कुछ अलग करने की थी उन्हें डांस क्लास में काफी अच्छा महसूस होता था।

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 थियेटर

श्यामक डावर ने ही सुशांत को थिएटर में हाथ आजमाने का सुझाव दिया था। इस तरह, सुशांत बैरी जॉन की एक्टिंग क्लासेज में शामिल हो गए। उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि उन्हें एक्टिंग के ज़रिये खुद को एक्सप्रेस करना अच्छा लग रहा है। एक्टिंग का कोर्स पूरा करने के बाद क्लास में अकेले सुशांत को बी ग्रेड मिला था वहीँ दूसरों को सी मिला।

सुशांत ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ अपने एक्टिंग के प्यार को भी जारी रखा। जब वो इंजीनियरिंग के अपने चौथे वर्ष में आए, तब तक उन्हें स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से छात्रवृत्ति का प्रस्ताव मिला था। उन्हें इसी वक्त फैसला करना था। लेकिन उन्होंने एक्टिंग को चुना और एक्टर बनने के लिए एक इंजीनियर के रूप में अपने करियर का त्याग करना चुना।

Sushant Singh Rajput (Image Credit-Social Media)

टेलीविजन में बड़ा ब्रेक

सुशांत सिंह राजपूत मुंबई के वर्सोवा में एक किराए के अपार्टमेंट में रहने आए, जिसे उन्होंने छह अन्य लोगों के साथ शेयर किया और नादिरा बब्बर के थिएटर समूह में शामिल हो गए। वो एक संघर्षरत अभिनेता बन गए और विज्ञापनों में छोटी भूमिकाएँ हासिल कीं। बालाजी टेलीफिल्म्स ने उन्हें देखा जब वो एक ड्रामा में परफॉर्म कर रहे थे और उन्हें टेलीविज़न शो 'किस देश में है मेरा दिल' में प्रीत जुनेजा की भूमिका के लिए चुने गए। बाद में, उन्होंने पवित्र रिश्ता में मानव देशमुख की भूमिका निभाई, जिसके लिए वो बहुत लोकप्रिय हुए और कई अवार्ड भी जीते। उन्होंने दो साल तक शो किया और आखिरकार फिल्म 'काई पो चे' से बॉलीवुड में अपना पहला ब्रेक मिला! उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक एक्टर के रूप में वे सफल होते चले गए।

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ये बात सच है कि सुशांत हम सभी के दिलों में हैं आज हर कोई उन्हें बेहद प्यार करता है लेकिन ये भी सच है कि ये प्यार उन्हें तब नहीं मिला जब तक वो हमारे बीच थे। सुशांत सिंह के निधन के बाद उन्हें लोगों का जो प्यार और अपनापन मिला वो पहले मिलता तो शायद वो आज एक ब्लॉकबस्टर एक्टर होते। वो काफी टैलेंटेड अभिनेता थे लेकिन उनकी असली सफलता उनके दर्शकों का प्यार ही था। इतना प्यार जो लोगों ने उन्हें उनके निधन के बाद बरसाया वो उन्हें कई सालों पहले मिलना चाहिए था।

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