वाहनों पर भारी बजट: बदले इम्पोर्ट करने पर नियम, बढ़ गई कस्टम ड्यूटी
भारत सरकार ने वाहन को विदेश से इम्पोर्ट कराने के कई नियम बनाए हैं। विदेशों से उन्हीं कारों को इम्पोर्ट किया जाता है जिन वाहनों को भारतीय बाजार इम्पोर्ट नहीं करता हो। इसके साथ जिस भी वाहन को इम्पोर्ट करवाया जा रहा है उस पर किसी भी तरह का लोन या विवाद न हो।
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने कल आम बजट पेश किया है जिसमें ऑटोमोबाइल सेक्टर में दो बिंदुओं पर बात की गई है। आम बजट में ऑटोमोबाइल सेक्टर को लेकर वित्त मंत्री ने बताया कि कैसे अब वाहन कंपनियां स्क्रैप पॉलिसी और इम्पोर्ट ड्यूटी पर काम कर सकती है। जानते हैं किसी वाहन को इम्पोर्ट कराने के लिए भारत सरकार ने क्या नियम बनाए हैं।
इन कारों को विदेश से इम्पोर्ट कराने पर लगता है इतना चार्ज
दुनियाभर में कई दिग्गज कंपनियां है जिनके मॉडल भारत में ऑफिशियली लॉन्च नहीं किए जाते हैं। इन मॉडल्स को खरीदने के लिए इसे विदेश से इम्पोर्ट करवाना पड़ता है। आपको बता दें कि लेम्बोर्गिनी (Lamborghini), रोल्स रॉयस (Rolls Royas) जैसी कई ब्रांडेड कार के मॉडल्स को भारत में लॉन्च नहीं किया जाता है। इन मॉडल्स को विदेशों से इम्पोर्ट करवाने पर कई दुगुना पैसा देना पड़ता है।
विदेशों से इम्पोर्ट कराने पर यह है नियम
भारत सरकार ने वाहन को विदेश से इम्पोर्ट कराने के कई नियम बनाए हैं। विदेशों से उन्हीं कारों को इम्पोर्ट किया जाता है जिन वाहनों को भारतीय बाजार इम्पोर्ट नहीं करता हो। इसके साथ जिस भी वाहन को इम्पोर्ट करवाया जा रहा है उस पर किसी भी तरह का लोन या विवाद न हो। जो वाहन इम्पोर्ट करवाया जा रहा है उस पर कोई विदेशी नियमों के साथ रजिस्टर्ड नहीं होनी चाहिए। इसके साथ यह वाहन भारतीय नियम के साथ बायीं तरह की ड्राइविंग नियम का पालन करती हो।
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स्क्रैप पॉलिसी क्या है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में वाहन निर्माता कंपनियों के लिए स्क्रैप पॉलिसी का एलान किया है। यह नई पॉलिसी के तहत अब 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा। इस नए बजट में 15 साल पुराने वाहनों को सड़कों पर उतारने की अनुमति नहीं होगी। इस स्क्रैप पॉलिसी को वाहन कबाड़ नीति भी कहते हैं।
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