Haryana Congress: माकन की हार पर हरियाणा कांग्रेस में छिड़ा घमासान, दो बड़े नेताओं ने हुड्डा की नाकामी पर उठाए सवाल

Haryana Congress: राज्य कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने माकन की हार की उच्च स्तरीय जांच कराने और हार की जिम्मेदारी तय करने की मांग की है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2022-06-14 12:40 IST

भूपिंदर सिंह हुड्डा और अजय माकन (फोटो: सोशल मीडिया )

Haryana Congress: हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के करीबी अजय माकन की हार के बाद पार्टी की राज्य इकाई ने एक बार फिर घमासान छिड़ गया है। राज्य कांग्रेस (Haryana Congress) के सबसे प्रभावशाली नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) को लेकर सवाल उठने लगे हैं। राज्यसभा चुनाव में हुड्डा ने ही मैनेजमेंट की पूरी जिम्मेदारी संभाल रखी थी। राज्य कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने माकन की हार की उच्च स्तरीय जांच कराने और हार की जिम्मेदारी तय करने की मांग की है।

माकन की हार से कांग्रेस को जबर्दस्त झटका लगा है जबकि भाजपा और जजपा के हौसले बुलंद हैं। निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा के हाथों माकन की हार के बाद राज्य कांग्रेस में नई महाभारत छिड़ती नजर आ रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भी इस हार को काफी गंभीरता से लिया है और इसी कारण क्रॉस वोटिंग करने वाले कुलदीप बिश्नोई को पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है।

हार के लिए हुड्डा को ठहराया जिम्मेदार

हरियाणा का राज्यसभा चुनाव कांग्रेस के लिए काफी प्रतिष्ठा का सवाल था क्योंकि पार्टी ने यहां पर राहुल गांधी के करीबी अजय माकन (Ajay Maken)  को चुनाव मैदान में उतारा था। माकन को चुनाव जिताने के लिए हुड्डा ने भरपूर कोशिश की मगर वे नाकाम साबित हुए। अब उनकी नाकामी को लेकर पार्टी में ही सवाल उठने लगे हैं। राज्य के दो पूर्व मंत्रियों सुभाष बत्रा और कृष्णमूर्ति हुड्डा ने इस हार के लिए भूपिंदर सिंह हुड्डा पर सवाल खड़े किए हैं।

दोनों नेताओं ने कहा कि इस हार से पार्टी कार्यकर्ताओं में भारी निराशा दिख रही है। उन्होंने इस बार के लिए प्रदेश विधायक दल के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान को जिम्मेदार ठहराया। यहां यह भी उल्लेखनीय है की कुमारी शैलजा के खिलाफ अभियान चलाने के बाद हुड्डा उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने में कामयाब हुए थे और बाद में उनके करीबी उदयभान की इस पद पर ताजपोशी की गई थी।

शैलजा को हटाने पर भी दिक्कतें बरकरार

दोनों नेताओं ने इस हार पर चिंता जताते हुए कहा कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि माकन को कांग्रेस के सभी विधायकों का समर्थन क्यों नहीं मिल सका। जब पार्टी के पास चुनाव जीतने के लिए संख्या बल उपलब्ध था तो फिर कांग्रेस उम्मीदवार को पराजय क्यों झेलनी पड़ी। इस हार से जाहिर हो गया है कि पार्टी विधायकों में एकजुटता नहीं दिखी और इसलिए इस हार की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।

प्रदेश कांग्रेस के इन दो वरिष्ठ नेताओं का बयान कांग्रेस नेतृत्व की चिंता में बाढ़ आने वाला है। इससे साफ हो गया है कि कुमारी शैलजा को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद भी पार्टी की दिक्कतें अभी तक दूर नहीं हो सकी हैं।

सफाई पेश करने में जुटे हैं हुड्डा

दूसरी ओर माकन की हार के बाद हुड्डा लगातार सफाई पेश करने में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि पार्टी की ओर से हार का विश्लेषण किया जा रहा है। साथ ही यह जानने की कोशिश भी की जा रही है कि आखिर किस विधायक का वोट खारिज हुआ। हालांकि उन्होंने इस हार के लिए भाजपा पर पैसे और ताकत का इस्तेमाल करने का बड़ा आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव में अपना वोट बेचने वाले विधायकों पर पार्टी की कड़ी नजर है। ऐसे विधायकों को जनता की अदालत वैसे भी सबक मिलेगा।

उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल के कुछ लोग ही कई बार अपनी सरकार को भ्रष्ट होने का तमगा दे चुके हैं। उन्होंने इस संदर्भ में पार्टी भाजपा के सांसद अरविंद शर्मा का नाम भी लिया। हुड्डा ने कहा कि निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और इनेलो विधायक अभय चौटाला ने भी चुनाव में हार्स ट्रेडिंग की बात स्वीकार की है।

बिश्नोई के कदम पर टिकी हैं निगाहें

इस बीच राज्यसभा चुनाव के बाद कांग्रेस से निष्कासित किए गए विधायक कुलदीप बिश्नोई ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उनका कहना है कि वे अपने चुनाव क्षेत्र आदमपुर के मतदाताओं से चर्चा करने के बाद ही अपने सियासी भविष्य का फैसला लेंगे। वैसे भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर उन्हें पार्टी में शामिल होने का न्योता पहले ही दे चुके हैं। माना जा रहा है कि बिश्नोई देर-सबेर भाजपा का दामन थाम सकते हैं। बिश्नोई के इस कदम से कांग्रेस को बड़ा झटका लगना तय माना जा रहा है।

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