हरियाणा के विधानसभा चुनाव में क्या असर डालेगा राम रहीम फैक्टर, अब यूपी में जमाया डेरा, किस पार्टी को होगा फायदा

हरियाणा में भाजपा को कड़ी चुनौती दे रही कांग्रेस ने राम रहीम की रिहाई पर पहले ही आपत्ति जताई थी। वैसे राम रहीम को मिली पैरोल के जरिए यह संदेश देने की पूरी कोशिश की गई है कि भाजपा राज में उसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-10-02 15:14 IST

राम रहीम (social media)

Haryana assembly elections: नई दिल्ली हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मतदान से ठीक पहले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम एक बार फिर पैरोल पर जेल से बाहर आ गया है। हालांकि राम रहीम को चुनाव आयोग की कड़ी शर्तों के साथ 20 दिनों की पैरोल मिली है। आयोग ने राम रहीम के हरियाणा जाने या हरियाणा में चुनाव प्रचार करने पर पूरी तरह रोक लगा रखी है।

इसके बावजूद राम रहीम को मिली इस रिहाई का कनेक्शन हरियाणा के विधानसभा चुनाव से जोड़ा जा रहा है। यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि आखिरकार हर बार चुनाव से पहले राम रहीम को पैरोल कैसे मिल जाती है। हरियाणा में भाजपा को कड़ी चुनौती दे रही कांग्रेस ने राम रहीम की रिहाई पर पहले ही आपत्ति जताई थी। वैसे राम रहीम को मिली पैरोल के जरिए यह संदेश देने की पूरी कोशिश की गई है कि भाजपा राज में उसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है।

रिहाई के बाद बागपत आश्रम में जमाया डेरा

रोहतक की सुनारिया जेल से रिहाई के बाद राम रहीम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थित अपने आश्रम पर पहुंचा है। राम रहीम का आश्रम बागपत के बिनौली थाना क्षेत्र के बरनावा गांव में है। इस आश्रम में ही अगले 20 दिनों तक राम रहीम का ठिकाना रहेगा। राम रहीम के साथ उसके मुंह बोली बेटी हनीप्रीत और परिवार के अन्य सदस्य भी बागपत स्थित आश्रम में पहुंचे हैं। राम रहीम की रिहाई की खबर के साथ ही उसके अनुयायियों का आश्रम पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। हालांकि डेरा प्रशासन की ओर से अनुयायियों के आश्रम आने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही जा रही है।

चुनाव आयोग ने राम रहीम के हरियाणा जाने पर तो रोक लगा रखी है मगर अब वह बागपत स्थित अपने आश्रम से सियासी मिसाइल दागने का काम करेगा। चुनाव आयोग की ओर से राम रहीम के किसी भी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा लेने या सोशल मीडिया पर किसी भी पार्टी का चुनाव प्रचार करने पर भी रोक लगाई गई है।

30 से अधिक सीटों पर राम रहीम का असर

वैसे यदि पिछले कुछ चुनावों को देखा जाए तो राम रहीम का असर घटा है मगर इसके बावजूद माना जाता है कि राम रहीम के समर्थक किसी भी चुनाव का रंग बदलने की क्षमता रखते हैं। दरअसल हरियाणा के 9 जिलों की 30 से अधिक विधानसभा सीटों पर राम रहीम को असरदार माना जाता रहा है।

हरियाणा में राम रहीम के अनुयायियों की संख्या 50 लाख से अधिक बताई जाती है। हरियाणा में भाजपा राज के दौरान राम रहीम को कई बार पैरोल मिल चुकी है। राम रहीम को इतनी आसानी से पैरोल मिलने से बाबा के अनुयायियों संदेश गया है कि भाजपा के सत्ता में रहने की स्थिति में राम रहीम को ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। ऐसे में उनका समर्थन भाजपा को मिल सकता है।

भाजपा को कैसे हो सकता है फायदा

डेरों का कम्युनिकेशन नेटवर्क काफी मजबूत माना जाता है और ऐसे में व्हाट्सएप मैसेज के जरिए किसी भी पार्टी को बड़ा सियासी फायदा पहुंचाया जा सकता है। राम रहीम के रिहाई से यह फायदा भाजपा को मिलने की बात कही जा रही है।

डेरा सच्चा सौदा में पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की ओर से इस बात का फैसला किया जाता है कि चुनाव में आखिरकार किस दल को समर्थन देना है। चुनाव आयोग की शर्तों के कारण राम रहीम ने चुप्पी जरूर साथ रखी है मगर माना जा रहा है कि भीतर ही भीतर कोई बड़ा सियासी खेल हो सकता है।

दलित वोट हो सकते हैं मददगार

हरियाणा में दलित वोटों को हासिल करने के लिए इस बार भाजपा और कांग्रेस में कड़ी जंग दिख रही है। दरअसल विधानसभा चुनाव के दौरान जाट बिरादरी के मतदाता कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं जबकि पंजाबी हिंदू और पिछड़ों का वोट भाजपा के साथ दिख रहा है। बनिया और ब्राह्मण वोट भी भाजपा के साथ हैं मगर कांग्रेस की ओर से इस वोट बैंक में सेंड हमारी का प्रयास किया जा रहा है।

राज्य में दलित मतदाताओं की संख्या गरीब 21 फ़ीसदी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा का हाथ जरूर मिलवा दिया है मगर दोनों के दिल अभी भी शायद नहीं मिल सके हैं। ऐसे में भाजपा ने दलित मतदाताओं से खासी उम्मीद लगा रखी है।

सियासी जानकारों का मानना है कि राम रहीम की रिहाई से भाजपा को दलित वोटों का फायदा मिल सकता है। अगर भाजपा दलितों का वोट पाने में कामयाब हो गई तो हरियाणा की सत्ता में भाजपा के लगातार तीसरी बार काबिज होने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता।

इस कारण असर पर सवाल भी उठ रहे

वैसे इस बात को लेकर बहस होती रही है कि बाबा राम रहीम किसी भी पार्टी को चुनाव में जीत दिलाने में कितने कारगर साबित हो सकते हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हरियाणा में सरकार बनाई थी मगर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के इलाके सिरसा में पार्टी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को सिरसा में जीत नहीं मिली थी।

2024 के लोकसभा चुनाव में भी सिरसा से कांग्रेस की दिग्गज नेता कुमारी शैलजा ने जीत हासिल की है। इसी तरह कुछ अन्य चुनावों में भी बाबा राम रहीम अपना असर नहीं दिखा सके मगर उनके अनुयायियों की लंबी चौड़ी संख्या को देखते हुए यह जरूर माना जाता रहा है कि राम रहीम का समर्थन कांटे के मुकाबले में कारगर साबित हो सकता है। इस बार हरियाणा के विधानसभा चुनाव में वैसी ही स्थिति दिख रही है।

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