सियाचिन में फिर बर्फीले तूफान का कहर, सेना के दो जवान शहीद

सियाचिन में एवलांच (बर्फीले तूफान) ने एक बार फिर कहर ढाया है। इसकी चपेट में आने से भारतीय सेना के दो जवान शहीद हो गए हैं। यह भारत में स्थित दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है।

Update: 2019-11-30 14:22 GMT

नई दिल्ली: सियाचिन में एवलांच (बर्फीले तूफान) ने एक बार फिर कहर ढाया है। इसकी चपेट में आने से भारतीय सेना के दो जवान शहीद हो गए हैं। यह भारत में स्थित दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। दक्षिणी सियाचिन ग्लेशियर में 18 हजार फुट की ऊंचाई पर शनिवार को सेना के जवान पेट्रोलिंग कर रहे थे तभी वह बर्फीले तूफान की चपेट में आ गए।

एवलांच रेस्क्यू टीम (एआरटी) तुरंत कार्यवाही की और पेट्रोलिंग पार्टी के सभी सदस्यों को बाहर निकालने में कामयाबी हासलि की। इस बीच सेना के हेलिकॉप्टर्स से जवानों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया, हालांकि मेडिकल टीम के सभी प्रयासों के बावजूद सेना के दो जवान शहीद हो गए।

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इससे पहले सियाचिन में 18 नवंबर को भारतीय सेना की पोस्ट बर्फीले तूफान की चपेट में आई थी। इस घटना में 4 जवान शहीद हो गए थे, जबकि दो स्थानीय नागरिकों की भी जान चली गई थी। उस दिन 8 सदस्यों की पेट्रोलिंग टीम तूफान में फंसी थी।

रेस्क्यू टीम ने तूफान में फंसे 8 जवान को बाहर निकाल लिया, जिसमें 4 जवान इलाज के दौरान शहीद हो गए थे। मृतकों में दो स्थानीय लोग भी शामिल थे। बर्फीला तूफान उत्तरी ग्लेशियर में आया था जो करीब 18,000 फीट और उससे अधिक है।

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दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में भारत ने 1984 में सेना की तैनाती शुरू की थी। इस दौरान पाकिस्तान की ओर से अपने सैनिकों को भेजकर यहां कब्जे की कोशिश हुई थी। इसके बाद से लगातार यहां जवानों की तैनाती रही है।

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अबतक 900 से अधिक जवान शहीद

सियाचिन में इससे पहले भी कई बार ऐसे हादसों में सेना के सैकड़ों जवान शहीद हो चुके हैं। आंकड़ों के मुताबिक साल 1984 से लेकर अब तक हिमस्खलन की घटनाओं में सेना के 35 ऑफिसर्स समेत 900 से अधिक जवान सियाचिन में शहीद हो चुके हैं। 2016 में ऐसे ही एक घटना में मद्रास रेजीमेंट के जवान हनुमनथप्पा समेत कुल 10 सैन्यकर्मी बर्फ में दबकर शहीद हो गए थे।

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