बैंक खाते से आधार लिंक करने का दबाव पूरे देश के बैंक उपभोक्ताओं पर है। ऐसे में बिहार में एक मामला सामने आया है जिसमें बैंकों ने आधार लिंक को लेकर सुरक्षा की कसौटी पर अपने सिस्टम को नहीं कसा है। किसी के खाते में दूसरे का आधार लिंक हो गया और ऐसा होने के कारण एक खातेदार के खाते से लाखों रुपए निकल गए।
शिशिर कुमार सिन्हा
पटना। आप मोबाइल में आधार लिंक कराने जाएंगे तो बायोमीट्रिक प्रणाली के तहत उंगली का निशान लिया जाएगा। सरकार आधार लिंक कराने की प्रक्रिया को और सरल करने के नाम पर अगले महीने घर बैठे यह सुविधा देने की तैयारी में है। बैंक में भी आधार लिंक की मुहिम चल रही है। कुछ बैंक पहले से ही मोबाइल के जरिए एसएमएस लेकर आधार लिंक कर रहे हैं। लेकिन, बिना मोबाइल नंबर वाले आधार कार्ड को लेकर तैयारी है कैसी? असल में तैयारी कितनी कमजोर है, इसका प्रमाण इसी महीने पटना के पास सामने आया है। यह मामला बिहार में पहली बार सामने आया है, लेकिन यह कहीं भी संभव है क्योंकि बैंकों ने अखिल भारतीय स्तर पर सुरक्षित मापदंड तैयार किए बगैर आधार लिंक कराने का अभियान तेज कर दिया है।
‘ए’ के खाते में जुड़ गया ‘बी’ का आधार और हो गया खेल
अपनी तरह का यह पहला मामला राजधानी पटना से करीब 90 किलोमीटर दूर पंजाब नैशनल बैंक की शाखा में सामने आया। रवींद्र सिंह नाम के एक ग्रामीण किसान कई महीने बाद अपना पासबुक अपडेट कराने बैंक पहुंचा तो उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई। दो लाख से ज्यादा रुपए की निकासी उसकी जानकारी के बगैर हो चुकी थी। 31 बार निकासी की गई थी। खाताधारक ने बैंक से रिकवरी की गुहार लगाई, लेकिन बैंक शाखा के अफसरों को भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब हुआ कैसे। इस खातेदार के पास न डेबिट कार्ड था और न चेकबुक। सब कुछ नकदी निकासी में दिख रहा था। खाताधारक ने थाने में भी धोखाधड़ी की तहरीर दी।
अब सामने आ रहा है कि इस खाताधारक के खाते में उसी शाखा के एक अन्य खाताधारक का आधार नंबर दर्ज हो गया था। आधार दर्ज होने से उस दूसरे व्यक्ति की बायोमीट्रिक पहचान को बैंक के सिस्टम ने स्वीकार कर लिया। इस पहचान पर उस दूसरे व्यक्ति ने दिल्ली में रहते हुए एक-एक कर 31 बार में दो लाख रुपए से ज्यादा की निकासी कर ली। खातेदार की शिकायत के करीब महीने भर बाद यह मामला सामने आया और अब बैंक भी निकासी करने वाले व्यक्ति से संपर्क कर राशि वापसी का दबाव बना रहा है। दूसरा व्यक्ति मजदूर वर्ग से आता है। उसके अनुसार उसे लगा था कि किसी ने नोटबंदी के डर से कालाधन उसके खाते में डाल दिया है, जिसके कारण वह आसानी से निकासी कर पा रहा है। वह राशि लौटाने में खुद को सक्षम नहीं बता रहा है।
बैंक भरपाई करा भी ले, मगर सिस्टम की पोल खुली
कमजोर कड़ी की खोजबीन करने पर सामने आ रहा है कि मोटे तौर पर प्राइवेट बैंक ही मोबाइल से एसएमएस लेकर खाता में आधार लिंक कर रहे हैं। इस प्रणाली में आधार और बैंक खाते में एक ही मोबाइल नंबर का दर्ज होना अनिवार्य है। मतलब साफ है कि जिन बैंक उपभोक्ताओं ने अपने खाते में जो नंबर दिया है, वह अगर आधार में भी दर्ज है तो ही इस प्रणाली से आधार-खाता लिंक होगा।
पंजाब नैशनल बैंक में हुए खेल में इस आधार के साथ मोबाइल नंबर नहीं था। लगभग सभी बैंकों में आधार की कॉपी लेकर केवाईसी भराया जा रहा है। यही पीएनबी के केस में हुआ। ‘अपना भारत’ ने स्टेट बैंक के आईटी-सीबीएस से जुड़े अधिकारियों व शाखा प्रबंधकों से बात की तो सामने आया कि उनके अलावा कई बैंक आधार का उसी तरह ऑनलाइन वेरीफिकेशन करते हैं, जैसे पैन का किया जाता रहा है। इन बैंकों में अगर कोई उपभोक्ता आधार की कॉपी देता है तो उसके नंबर को सर्वर पर डाला जाता है। इससे यूआईडी अथॉरिटी के सर्वर पर उपलब्ध जानकारी सामने आ जाती है। उसका मिलान करते हुए वेरीफिकेशन कर खाते से आधार लिंक किया जाता है। यह प्रणाली फिर भी मानव आधारित है, यानी कर्मचारी की नजर पर यह वेरीफिकेशन होता है।
मोबाइल-आधार लिंक के लिए जिस तरह बायोमीट्रिक वेरीफिकेशन की प्रक्रिया है, उस तरह का वेरीफिकेशन कुछ बैंक की कुछ शाखाओं में नए खाते के लिए शुरू हुआ है। यही सबसे पक्का सिस्टम हो सकता है, लेकिन बैंकों ने इसे अब तक लागू नहीं किया है। हालत यह है कि ऑनलाइन डाटा को सर्वर से देखकर मिलान करने का भी सिस्टम फिलहाल ज्यादातर बैंकों में नहीं है या इसका उपयोग नहीं हो रहा है। इसी कारण बैंककर्मी अब इस बात से इनकार नहीं कर रहे कि आधार की कॉपी लेकर और मूल प्रति देखकर वेरीफिकेशन किए जाने के कारण जो गड़बड़ी पीएनबी में सामने आई, वह गड़बड़ी कहीं और संभव नहीं है।
उपाय है कि तुरंत करा लें आधार लिंक
बैंक भी चाह रहे और ताजा घटना से जिस तरह की आशंका उभरी है, उसमें बेहतर यही होगा कि उपभोक्ता खुद अपने सामने बैंक खाते से आधार लिंक करा लें। बायोमीट्रिक पहचान से निकासी की नई व्यवस्था में आधार लिंक की बड़ी भूमिका है। मोबाइल नंबर से अगर आधार लिंक की सुविधा बैंक दे रहा है तो वह सबसे सटीक है। इसके अलावा जहां ईकेवाईसी की प्रक्रिया हो रही है, वहां से लिंक कराना दूसरा अच्छा ऑप्शन है। इसके अलावा भी अगर कहीं खाते से लिंक कराने का आवेदन दे रहे हों तो सामने ही लिंक कर देने का आग्रह करना बेहतर होगा।