Chandrayaan 3 Moon Landing: भारत बना अंतरिक्ष का सुपर पावर, अब गगनयान की बारी
Chandrayaan 3 Moon Landing: भारत अगले दशक के भीतर वैश्विक लॉन्च बाजार में अपनी अंतरिक्ष कंपनियों की हिस्सेदारी पांच गुना तक बढ़ा देगा। अब भारत मानव अन्तरिक्ष उड़ान के गगनयान प्रोजेक्ट और सूर्य अन्वेषण प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ेगा।
Chandrayaan 3 Moon Landing: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर पूरी तरह सफलतापूर्वक उतारने में सफल रहा है। अब रोवर ‘प्रज्ञान’ चंद्रमा पर वैज्ञानिक अन्वेषण और प्रयोग करेगा जो दुनिया की अन्तरिक्ष यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा। इस मिशन के जरिए भारत ने खुद को अंतरिक्ष अन्वेषण में एक सुपर पावर के रूप में स्थापित कर दिया है।
चंद्रमा पर पहली सोवियत और अमेरिकी सॉफ्ट लैंडिंग 1960 के दशक में स्पेस रेस की शुरुआत में हुई थी। चंद्रमा पर लैंडर उतरना आसान काम नहीं है और उन शुरुआती सफलताओं के बाद से चीन ही इस उपलब्धि में रूस और अमेरिका के साथ शामिल होने वाला एकमात्र देश रहा है। अब भारत इस उपलब्धि को हासिल कर चुका है वह भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतार कर। अब भारत मानव अन्तरिक्ष उड़ान के गगन यान प्रोजेक्ट और सूर्य अन्वेषण प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ेगा।
भारत ने क्या क्या हासिल किया
- रूस, इजरायल और जापान के चंद्रमा मिशन इसी साल असफल रहे हैं। ऐसे में भारत ने बहुत बड़ी सफलता दर्ज की है। सबसे बड़ी बात ये है कि पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारा गया है।
- चंद्रयान-3 यान लगभग 75 मिलियन डॉलर के बजट पर बना है। यह दुनिया में सबसे किफायती मून प्रोजेक्ट है। इसका भारत के अन्तरिक्ष व्यवसाय में विशेष महत्त्व है।
- भारत अगले दशक के भीतर वैश्विक लॉन्च बाजार में अपनी अंतरिक्ष कंपनियों की हिस्सेदारी पांच गुना तक बढ़ा देगा।
- चंद्रयान-3 की सफलता से गगनयान जैसे कार्यक्रमों का मनोबल बढ़ेगा। इसरो चंद्रयान-3 के अलावा अन्य मिशनों की सूची पर भी काम कर रहा है। इनमें लंबे समय से प्लान की गयी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ और सूर्य की जांच के लिए सौर वेधशाला परियोजना ‘आदित्य एल1’ शामिल हैं। चंद्रयान 3 के सफलता से इन परियोजनाओं को और गति मिलेगी।
- चंद्रमा लैंडिंग एक समृद्ध चंद्र अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में हमारे कार्यों को आगे बढ़ाएगी और मंगल और उससे आगे व्यापक खगोलीय अन्वेषण को प्रोत्साहित करेगी।इस मिशन की सफलता अंतरिक्ष अन्वेषण और व्यावसायीकरण में भारत का एक महत्वपूर्ण कदम है।
- इसी साल जून में भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में भाग लेने वाले देशों के साथ साझेदारी करने के लिए नासा के ‘आर्टेमिस समझौते’ पर हस्ताक्षर किए हैं। नासा भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में एडवांस्ड ट्रेनिंग देने और उन्हें अगले साल अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजने के लिए भी तैयार है।
- इसरो और नासा 2024 में एक निम्न-पृथ्वी वेधशाला (लो एअर्थ ऑर्बिट) लॉन्च करने के लिए भी मिलकर काम कर रहे हैं। यह वेधशाला 12 दिनों में पूरे ग्रह का नक्शा तैयार करेगी और पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र, बर्फ द्रव्यमान, वनस्पति बायोमास, समुद्र स्तर में परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ और खतरे का विश्लेषण करने के लिए लगातार डेटा प्रदान करेगी।
- सबसे बड़ी बात है कि चन्द्र मिशन की सफलता से देश में वैज्ञानिक सोच और शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। चंद्रयान मिशन ने आम जनता के बीच अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- नासा के आर्टेमिस प्रोग्राम में चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव भी एक प्रमुख लक्ष्य है, जिससे चंद्रमा पर अर्ध-स्थायी मानव निवास का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है। चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद अब इन सभी योजनाओं के फलीभूत होने की बेहतर संभावना होगी।
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