Delhi New CM: दिल्ली में CM पद की रेस हुई तेज, दावेदारी को मजबूत बनाने में जुटे हैं कई नेता, बिहार समीकरण पर भी निगाहें
Delhi New CM: भाजपा के कई नेता मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने की मुहिम में जुटे हुए हैं। भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी पिछले दिनों कई विधायकों से चर्चा की थी।;
Delhi New CM: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद अब सबकी निगाहें नए मुख्यमंत्री पर लगी हुई हैं। इस बाबत अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद लिया जाने वाला है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि 16 जनवरी को पार्टी के विधायक दल की बैठक संभावित है और इसी बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम का खुलासा होगा। इस बैठक के लिए पार्टी नेतृत्व की ओर से पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जाएगी।
इस बीच भाजपा के कई नेता मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने की मुहिम में जुटे हुए हैं। भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी पिछले दिनों कई विधायकों से चर्चा की थी। इस बीच यह भी कहा जा रहा है कि पूर्वांचल से जुड़े किसी विधायक को भी यह अहम पद सौंपा जा सकता है। इसके जरिए इस साल होने वाले बिहार चुनाव का समीकरण साधने का प्रयास किया जा सकता है।
प्रवेश वर्मा की दावेदारी क्यों है मजबूत
दिल्ली में मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने के लिए कई नेता अपनी उपलब्धियों का बखान केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। नई दिल्ली विधानसभा सीट पर आप मुखिया अरविंद केजरीवाल को हराकर सनसनी फैलाने वाले प्रवेश वर्मा खुद को मुख्यमंत्री पद का सबसे मजबूत दावेदार मान रहे हैं। इतनी बड़ी जीत हासिल करने के तुरंत बाद उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। इसके बाद अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने के लिए वे पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी मुलाकात कर चुके हैं।
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर केजरीवाल के खिलाफ उनकी जीत ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का मजबूत उम्मीदवार बना दिया है। उल्लेखनीय है कि इसी सीट पर 2013 में केजरीवाल ने कांग्रेस की कद्दावर नेता शीला दीक्षित को हराया था और फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। ऐसे में यह देखने वाली बात हो गई कि प्रवेश वर्मा को यह मौका मिल पाता है या नहीं।
सीएम की रेस में बने हुए हैं विजेंद्र गुप्ता
दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेता और दो बार विधायक रह चुके विजेंद्र गुप्ता भी मुख्यमंत्री पद की रेस में बने हुए हैं। वे सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए मीडिया में आम आदमी पार्टी की आलोचना करने में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि विधानसभा में कैग रिपोर्ट पेश करके उन्होंने आम आदमी पार्टी को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। इसके जरिए वे मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
पूर्वांचल का समीकरण साध सकती है भाजपा
वैसे यह अभी कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा पूर्वांचल के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाने का दांव भी खेल सकती है। खासकर किसी ऐसे नेता को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है जिसकी जड़ें बिहार में हों। इसके जरिए पार्टी एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश कर सकती है। दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। पिछले चुनावों में इन मतदाताओं का समर्थन आप के साथ रहा है मगर इस बार इन मतदाताओं ने भाजपा का साथ दिया है।
भाजपा ने इस बार झुग्गी और कच्ची कॉलोनियों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है जहां पूर्वांचल के मतदाताओं की ज्यादा संख्या है। भाजपा को 17 सीटों पर जीत दिलाने में इन पूर्वांचली मतदाताओं ने खासी मदद की है। इसके अलावा अन्य सीटों पर भी पूर्वांचल के मतदाताओं का भाजपा को समर्थन मिला है। इस कारण माना जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसी पूर्वांचली नेता को मुख्यमंत्री बनाकर इन मतदाताओं को रिटर्न गिफ्ट दे सकता है।
बिहार समीकरण पर भी निगाहें
कुछ सियासी जानकारों का यह भी मानना है कि भाजपा दिल्ली से बिहार का समीकरण साधने का भी प्रयास कर सकती है। भाजपा हमेशा चुनावी मोड में रहने वाली पार्टी है और एक चुनाव खत्म होने के बाद पार्टी दूसरे चुनाव की तैयारी में जुट जाती है। दिल्ली के बाद अब बिहार में भाजपा को इसी साल बड़ी चुनावी जंग लड़नी है।
ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बिहार से जुड़े दिल्ली के किसी नेता को मुख्यमंत्री पद की अहम जिम्मेदारी सौंप सकता है। इसके जरिए बिहार के मतदाताओं को भी साधने में मदद मिलेगी। बिहार में काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके परिवार का कोई न कोई सदस्य दिल्ली में जरूर रहता है। इस कदम के जरिए भाजपा ऐसे मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है।
इन नेताओं की भी लग सकती है लॉटरी
अगर भाजपा नेतृत्व ने इस दिशा में कदम उठाया तो दिल्ली में चुनावी जीत हासिल करने वाले तीन विधायकों में से किसी एक की लॉटरी लग सकती है। इन विधायकों में अभय वर्मा, चंदन कुमार चौधरी और डॉक्टर पंकज कुमार सिंह के नाम शामिल हैं। मूल रूप से दरभंगा के रहने वाले अभय कुमार वर्मा पेशे से वकील हैं और दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने आप की लहर में भी लक्ष्मी नगर विधानसभा सीट से चुनाव जीता था।
इसी तरह संगम विहार सीट से जीत हासिल करने वाले चंदन कुमार चौधरी मूल रूप से बिहार के खगड़िया जिले के रहने वाले हैं। विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र में कमल खिलाने वाले डॉक्टर पंकज कुमार सिंह का ताल्लुक भी बिहार से ही है। वे इस विधानसभा क्षेत्र में पहली बार कमल खिलाने में कामयाब रहे हैं।
ऐसे में इन तीनों नेताओं का नाम भी अब मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल माना जा रहा है। हालांकि जानकारों का यह भी कहना है कि भाजपा दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री का दांव भी खेल सकती है। इसके जरिए पार्टी आधी आबादी का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर सकती है।