AIIMS Guwahati: जानिए दिल्ली से गुवाहाटी तक का सफ़र, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
AIIMS Guwahati: उच्च मास्टर डिग्री स्तर पर एम्स (नई दिल्ली) में कम से कम 45 सुपरस्पेशियलिटी हैं। एम्स एमएससी और पीएचडी स्तर के शोध पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है।
AIIMS Guwahati: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुवाहाटी में नार्थईस्ट के पहले एम्स का उद्घाटन किया है। इसके साथ देश के अग्रणी चिकित्सा तथा चिकित्सा शिक्षा संस्थान एम्स ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। कैसा रहा है एम्स का सफ़र जानते हैं इसके बारे में।
क्या है एम्स
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान या एम्स भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र के तहत उच्च शिक्षा के ऑटोनोमस सरकारी सार्वजनिक चिकित्सा विश्वविद्यालयों का एक ग्रुप है। इन संस्थानों को संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के रूप में घोषित किया गया है। सबसे पहला एम्स नई दिल्ली में 1956 में स्थापित किया गया था। उस समय जवाहर लाल नेहरु देश के प्रधानमन्त्री थे। तब से अब तक 24 और संस्थानों की घोषणा की गई। जनवरी 2023 तक बीस संस्थान काम कर रहे थे और एक आज शुरू हो गया है तथा तीन और 2025 तक चालू होने की उम्मीद है। छह और एम्स की स्थापना के लिए प्रस्ताव किए गए हैं। ये जान लीजिये कि एम्स को पूरे दक्षिण एशिया का अग्रणी स्वास्थ्य संस्थान माना जाता है।
कई देशों और संस्थानों से जुटाई फंडिंग
पहला एम्स 1956 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित किया गया था। तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरु चाहते थे कि यह संस्थान कलकत्ता में स्थापित किया जाये। लेकिन जब पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय ने इससे इनकार कर दिया तो इस संस्थान की स्थापना नई दिल्ली में की गयी और इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) का दर्जा दिया। उस समय नेहरु कैबिनेट में अमृत कौर भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री थीं। जब एम्स, नई दिल्ली की स्थापना के लिए धन का मसला आया तो उन्होंने न्यूजीलैंड सरकार से एक बड़ी फंडिंग हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही नहीं, अमृत कौर ने रॉकफेलर फ़ाउंडेशन, और फोर्ड फ़ाउंडेशन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, पश्चिम जर्मनी और डच सरकार से दान प्राप्त करने में सफलता हासिल की।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना
2003 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) की घोषणा की जिसका उद्देश्य सस्ती तथा विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करना था। इसे दो तरह से किया जाना था - एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना और सरकारी मेडिकल कॉलेजों का अपग्रेडेशन। हालांकि यह घोषणा 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान की गई थी लेकिन केंद्र में सत्ता परिवर्तन के कारण परियोजना में देरी हुई। बहरहाल, योजना को आधिकारिक तौर पर मार्च 2006 में लॉन्च किया गया और छह एम्स जैसे चिकित्सा संस्थानों की घोषणा की गई। ये छह संस्थान सितंबर 2012 से एक अध्यादेश के माध्यम से चालू भी हो गए। बाद में उस अध्यादेश को बदलने के लिए अगस्त 2012 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2012 में पेश किया गया और दोनों सदनों से पास होने के बाद ये अधिनियम 13 सितंबर 2012 को प्रकाशित हुआ। इसके जरिये संस्थानों को अधिक स्वायत्तता से संचालित करने की अनुमति मिली और उन्हें आईएनआई का दर्जा दिया। पहले चरण में पटना, भोपाल, रायपुर, भुवनेश्वर, जोधपुर और ऋषिकेश में एम्स जैसे चिकित्सा संस्थानों की घोषणा की गई। दूसरे चरण में 2013 में एक और गजट अधिसूचना जारी की गई, जिसके तहत एम्स रायबरेली की स्थापना की गई।
2014-15 के बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चार नए संस्थान आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में स्थापित करने की घोषणा की। ये संस्थान, आंध्र प्रदेश में एम्स मंगलागिरी और महाराष्ट्र में एम्स नागपुर बन गए, जो 2018 में स्थापित हुए, बाद में उत्तर प्रदेश में एम्स गोरखपुर और पश्चिम बंगाल में एम्स कल्याणी 2019 में शुरू हुए। 2015-2016 के बजट भाषण में, जेटली ने जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, असम और तमिलनाडु में पांच और एम्स और बिहार में "एम्स जैसे" संस्थान की घोषणा की। 7 नवंबर 2015 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू और कश्मीर के लिए विकास पैकेज की घोषणा की थी जिसमें जम्मू और कश्मीर की राजधानी शहरों में दो एम्स की स्थापना शामिल थी। इसके बाद असम में गुवाहाटी के पास चांगसारी, जम्मू संभाग में विजयपुर, कश्मीर संभाग में अवंतीपोरा, पंजाब में बठिंडा, हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर, तमिलनाडु में मदुरै, बिहार में दरभंगा, झारखंड में देवघर, गुजरात में राजकोट के पास खंडेरी, तेलंगाना में हैदराबाद के पास बीबीनगर, हरियाणा में रेवाड़ी में संस्थान को मंजूरी दी गयी जिनमें से कई एम्स चालू हो चुके हैं।
खासियत
दाखिले
एम्स (नई दिल्ली) मूल रूप से एक सुपर-स्पेशियलिटी देखभाल केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था, जिसमें अनुसंधान और विशेष प्रशिक्षण सुविधाओं पर प्राथमिक जोर दिया गया। सुपरस्पेशलिटी वह क्षेत्र है जिनके चिकित्सकों को पीजी पूरा करने के बाद विशेष सर्टिफिकेशन की आवश्यकता होती है, जैसे कि कार्डियोथोरेसिक और आर्टरी सर्जरी, रुमेटोलॉजी, न्यूरोलॉजी और बाल चिकित्सा न्यूरोलॉजी। उच्च मास्टर डिग्री स्तर पर एम्स (नई दिल्ली) में कम से कम 45 सुपरस्पेशियलिटी हैं। एम्स एमएससी और पीएचडी स्तर के शोध पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है।
एम्स (नई दिल्ली) में लगभग बयालीस विशेष स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।