भोपाल। सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के मुद्दे को लेकर नर्मदा घाटी एक बार फिर तनाव में हैं। डूब रहे इलाकों को खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट 31 जुलाई की तारीख तय की गयी थी मगर सोमवार को इसे बढ़ाकर आठ अगस्त कर दिया गया। डूब वाले इलाकों के लोग अभी भी घर बार छोडऩे को तैयार नहीं हैं।
धार और बड़वानी जिले के हजारों लोग अभी भी डूब क्षेत्र में डटे हुए हैं। बड़वानी में काफी संख्या में लोग जल सत्याग्रह कर रहे हैं। वहीं धार जिले के चिखल्दा गांव में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर भूख हड़ताल पर बैठी हुई हैं। उनके समर्थकों ने चिखल्दा जाने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया है ताकि उनका अनशन जबरन न तोड़वाया जा सके। इस बीच नर्मदा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नाराज ग्रामीणों का कहना है कि नर्मदा में डूब जाएंगे पर अपने घर नही छोड़ेंगे।
फोर्स की तैनाती के बावजूद डटें हैं लोग
बड़वानी और धार से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों जिलों में करीब आठ हजार से ज्यादा परिवार अभी भी डूब क्षेत्र में मौजूद हैं। धार में कुल 4,300 परिवार डूब प्रभावित हैं। इनमें से सिर्फ 400 पुनर्वास स्थलों पर पहुंचे हैं। 3,900 परिवार अभी भी डूब क्षेत्र में मौजूद हैं। अकेले निसरपुर में 1200 परिवारों ने अपने घर नहीं छोड़े हैं।
बड़वानी में 7896 परिवार डूब में आ रहे हैं। इनमें से 5504 परिवार पुनर्वास स्थलों पर चले गए हैं, जबकि 2392 परिवार अभी अपने मूल गांव में ही जमे हुए हैं। सरकार इन्हें भी हटाना चाहती है और इन्हें हटाने के लिए बड़े पैमाने पर फोर्स भेजी गई है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव और विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह ने डूब प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने सरकार के फैसले को गलत बताते हुए विस्थापितों का समर्थन किया।
शिवराज ने राहत पैकेज बढ़ाने का ऐलान किया
इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने डूब इलाके में आने वाले लोगों का गुस्सा दूर करने के लिए कई लोक-लुभावन घोषणाएं की हैं। उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का दोष कांग्रेस सरकारों के सिर मढ़ा है। शिवराज ने उनसे मिलने आए नर्मदा घाटी के लोगों को सरदार सरोवर बांध का पूरा इतिहास बताया। उन्होंने यह साबित करने की पूरी कोशिश की कि सरदार सरोवर बांध की ऊंचााई बढ़ाने के लिये मध्यप्रदेश और गुजरात की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारें जिम्मेदार थीं। बीजेपी सरकारों का कोई दोष नही हैं।
मुख्यमंत्री ने विस्थापितों को दिए जाने वाले राहत पैकेज में बढ़ोतरी का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विस्थापितों को मकान बनाने के लिये पांच लाख रुपये अलग से देगी। आकस्मिक खर्चों के लिए 80 हजार रुपये दिए जाएंगे। शिवराज ने आरोप लगाया कि विपक्ष भ्रामक प्रचार करके लोगों को भडक़ाने की कोशिश कर रहा है। शिवराज ने पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी इसके लिये दोषी बताया है।
सीएम की घोषणाओं को मजाक बताया
दूसरी ओर नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों ने सीएम की घोषणाओं को लोगों से मजाक बताया है। आंदोलन से जुड़े आलोक अग्रवाल ने आरोप लगाया कि शिवराज गुजरात के हितों का संरक्षण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिवराज इस समस्या को लेकर कितने गंभीर हैं, यह इसी बात से प्रमाणित होता है कि उन्हें अब जाकर विशेष पैकेज की याद आती है। आखिर उन्हें अब लोगों को ज्यादा पैसे और सुविधाएं देने की बात क्यों याद आई।
अभी तक उन्हें ग्रामीणों की याद क्यों नहीं आई। उन्हें अपने प्रदेश के लोगों की कोई परवाह नही हैं। पुनर्वास में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। सरकारी मशीनरी लोगों समस्याएं सुनने को तैयार नहीं है। अब लोगों का विरोध कम करने के लिए शिवराज एक और विशेष पैकेज की बात कर रहे हैं। दूसरी ओर लोगों को जबरन उनके घरों से निकाला जा रहा है।
ग्रामीणों ने सील किया मेधा का अनशनस्थल
इस बीच नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने अनशन जारी रखने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के फैसले को देखते हुए प्रशासन को आठ अगस्त तक प्रभावितों के साथ कोई सख्ती नहीं करनी चाहिए। सोमवार को पुर्नवास को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने अंतरिम फैसला सुनाते हुए 8 अगस्त तक डूब क्षेत्र में यथास्थिति रखने के निर्देश दिए है।
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट 31 जुलाई की डेडलाइन तय की थी। मेधा पाटकर जिस स्थान पर अनशन पर बैठीं हैं उस स्थान को गांव वालों ने सील कर दिया है। लोगों ने चिखल्दा पहुंचने वाले सभी रास्तों को बैलगाड़ी, ट्रैक्टर ट्रॉली, टैंकर लगाकर बंद किया है। मेधा को जबर्दस्ती उठाकर ले जाने की अफवाह के बाद इन रास्तों को सील किया गया। अनशन स्थल के चारों तरफ लोगों ने घेरा बना रखा है।
मेधा ने शिवराज पर साधा निशाना
डूब प्रभावितों के लिए सरकारी इंतजामों को नाकाफी बताते हुए मेधा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री प्रभावितों की दिक्कतें नहीं दूर करना चाहते। पाटकर ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के 8 फरवरी के फैसले को आधार बनाकर प्रभावितों को शिफ्ट करने की कोशिश कर रही है जबकि कोर्ट ने शर्तों के साथ काम बढ़ाने को कहा था।
इसके मुताबिक सरकार को प्रभावितों के पुनर्वास का पूरा इंतजाम करना था, लेकिन सरकार ने इस दिशा में कुछ भी नहीं किया। टीनशेड बनाकर छोड़ दिए हैं और 40 हजार की आबादी को उनमें रहने को कहा जा रहा है। जो उनमें शिफ्ट नहीं होना चाहते, उन्हें किराए के मकान लेने का कह दिया है।