कैसे होती है सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की नियुक्ति, क्या है कॉलेजियम

हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और महिला न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं और माहाैल गर्म है। खबरों में यह कहा गया है कि जस्टिस एनवी रमणा जस्टिस एसए वोवड़े के उत्तराधिकारी के रूप में नये मुख्य न्यायाधीश हो सकते हैं।

Update:2021-03-25 10:29 IST
कैसे होती है सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की नियुक्ति, क्या है कॉलेजियम

रामकृष्ण वाजपेयी

हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और महिला न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं और माहाैल गर्म है। खबरों में यह कहा गया है कि जस्टिस एनवी रमणा जस्टिस एसए वोवड़े के उत्तराधिकारी के रूप में नये मुख्य न्यायाधीश हो सकते हैं। इसके साथ ही महिला जस्टिस के रूप में जस्टिस इंदु मल्होत्रा की सेवानिवृत्ति के बाद इस कतार में जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी के नाम चर्चा में हैं जिसमें जस्टिस बीवी नागरत्ना के नाम पर कालेजियम में सहमति न बन पाने की खबरें आई हैं। ऐसे में एक बार ये जानना जरूरी हो जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस या जस्टिस की नियुक्ति कैसे होती है और क्या है कालेजियम।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति

देश में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के दूसरे सेक्शन के तहत की जाती है। संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट में 30 न्यायाधीश तथा 1 मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।

पहली बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट के कालेजियम के परामर्शानुसार की जाती है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इस संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देने से पूर्व अनिवार्य रूप से चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के समूह से परामर्श प्राप्त करते हैं तथा इस समूह से प्राप्त परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं। लेकिन इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि अनुच्छेद 124[2] के तहत मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति सलाह मानने को बाध्य नहीं हैं। वह अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह लेंगे लेकिन अन्य जजों की नियुक्ति के समय उन्हें अनिवार्य रूप से मुख्य न्यायाधीश की सलाह माननी ही होगी यह अनिवार्य है।

क्या है कॉलेजियम सिस्टम?

अब आते हैं असली सवाल पर कि ये कॉलेजियम सिस्टम क्या होता है। तो यह जान लें कि कॉलेजियम सिस्टम का देश के संविधान में कोई जिक्र नहीं है। यह सिस्टम 28 अक्टूबर 1998 को 3 जजों के मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के जरिए प्रभाव में आया है। कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों का एक पैनल जजों की नियुक्ति और तबादले की सिफारिश करता है। कॉलेजियम की सिफारिश (दूसरी बार भेजने पर) मानना सरकार के लिए जरूरी होता है।

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प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की सलाह

यहां यह महत्वपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट का भावी मुख्य न्यायाधीश तात्कालिक समय में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों अनिवार्य रूप से शामिल हो। साथ ही पुराने मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति और नये मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के समय भारत के कानून मंत्री तथा जस्टिस और कंपनी अफेयर्स का उपस्थित होना भी अनिवार्य होता है।

मुख्य न्यायाधीश के चयन के बाद जस्टिस अफेयर्स और कानून मंत्री सारा ब्यौरा भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री को सौंप देते हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की मामले में अपनी सलाह देते हैं।

अब जस्टिस रमन्ना के मामले में चूंकि जस्टिस बोवड़े ने कानून मंत्रालय को अपने उत्तराधिकारी के नाम की जानकारी दे दी है। इसलिए जस्टिस रमन्ना का अगला मुख्य न्यायाधीश बनना तय माना जा रहा है।

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