अरुंधति रॉय ने NPR पर दिया विवादित बयान, कहा- ...रंगा बिल्ला बताइए

लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती राय हमेशा अपने बयानों की वजह से विवादों में रहती हैं। एक बार फिर उन्होंने विवादित बयान दिया है जिस पर हंगामा मच सकता है।

Update: 2019-12-25 12:25 GMT

नई दिल्ली: लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती राय हमेशा अपने बयानों की वजह से विवादों में रहती हैं। एक बार फिर उन्होंने विवादित बयान दिया है जिस पर हंगामा मच सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा किया कि एनआरसी देश के मुस्लिमों के खिलाफ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) के लिए डेटाबेस का काम करेगा।

अरुंधती राय ने कहा कि देश में डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर सरकार झूठ बोल रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विषय पर देश के सामने गलत तथ्य पेश किए हैं। जब कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र, सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं तो इन छात्रों को अर्बन नक्सल कह दिया जाता है।

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अरुंधति रॉय ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है। उन्होंने कहा कि एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला बताइए। अपने घर का पता देने के बजाए प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवाएं।

अरुंधति राय ने कहा कि नार्थ ईस्ट में जब बाढ़ आती है तो मां अपने बच्चों को बचाने से पहले अपने नागरिकता के साथ दस्तावेजों को बचाती है, क्योंकि उसे मालूम है कि अगर कागज बाढ़ में बह गए तो फिर उसका भी यहां रहना मुश्किल हो जाएगा।

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तो वहीं इस सभा में पहुंचे जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा कि वे सरकार से शिक्षा एवं अपने रोजगार को लेकर प्रश्न पूछें। कुमार ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा चुकी है, विकास दर साढ़े चार प्रतिशत भी नहीं बची। और इसी तथ्य को छुपाने के लिए ऐसे कानून लाए जा रहे हैं।

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उनका कहना है कि सिर्फ संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले छह प्रतिशत लोग सरकार की गिनती में हैं। असंगठित क्षेत्र में रोजगार की भारी किल्लत है। घटते रोजगार से ध्यान बंटाने के लिए सरकार एनआरसी जैसे कानून का सहारा ले रही है।

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