बांग्लादेश में उबाल : इस्कॉन पर बैन लगाने से कोर्ट का इनकार

Bangladesh News: घटनाक्रम हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी और इस्लामिक समूहों द्वारा इस्कॉन मंदिरों और अन्य हिंदू पूजा स्थलों पर हमलों के बाद बांग्लादेश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के साथ हुआ है।

Newstrack :  Network
Update:2024-11-28 16:17 IST

बांग्लादेश में उबाल : इस्कॉन पर बैन लगाने से कोर्ट का इनकार (social media)

Bangladesh News:  बांग्लादेश में हालात अल्पसंख्यकों, खासकर हिन्दुओं के लिए बद से बदतर होती जा रहे हैं। इस्कॉन पुजारी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ़्तारी के बाद स्थितियां तेजी से खराब हुईं हैं। देशद्रोह के आरोप में चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद हिंदू समुदाय पर हमले तेज हो गए हैं, कई मंदिरों को निशाना बनाया गया है। यही नहीं, अब बांग्लादेश उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करके इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है और इसे एक कट्टरपंथी संगठन कहा गया है। इस्कॉन ने अब अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की है और भारत ने भी बांग्लादेश से चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई की मांग की है।

हाई कोर्ट ने किया इनकार

फिलहाल, बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना समाज (इस्कॉन) की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित करने से इनकार कर दिया है। इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। इसका जवाब देते हुए न्यायमूर्ति फराह महबूब और न्यायमूर्ति देबाशीष रॉय चौधरी की पीठ ने अटॉर्नी जनरल को इस्कॉन की हालिया गतिविधियों के संबंध में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने पहले अटॉर्नी जनरल एमडी असदुज्जमां से कहा था कि वे इस्कॉन की हालिया गतिविधियों के संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में अदालत को सूचित करें। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वकील मोहम्मद मोनिरउद्दीनजमां ने बेंच के सामने इस्कॉन से सम्बंधित कई अखबारों की रिपोर्ट पेश की। वकील मोनिर उद्दीन ने हाईकोर्ट से इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और चटगाँव, रंगपुर और दिनाजपुर में धारा 144 लगाने की मांग की। याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि "इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने का समय आ गया है।" अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अनीर हक ने अदालत को आश्वासन दिया कि इस्कॉन मामला सर्वोच्च प्राथमिकता पर है। वहीं, बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल ने देश में इस्कॉन को एक 'धार्मिक कट्टरपंथी संगठन' बताया है।

हाईकोर्ट में दाखिल की याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधा रमन दास ने विश्व नेताओं से हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद स्थिति में सुधार हो सकता है। राधा रमन दस ने कहा है कि स्थिति अब हमारे नियंत्रण से बाहर है।

क्या है ताजा घटनाक्रम

यह ताजा घटनाक्रम हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी और इस्लामिक समूहों द्वारा इस्कॉन मंदिरों और अन्य हिंदू पूजा स्थलों पर हमलों के बाद बांग्लादेश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के साथ हुआ है। हुआ ये कि ढाका से लगभग 300 किलोमीटर दूर रंगपुर में हिन्दुओं के प्रदर्शनों के बीच चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को हिरासत में लिया गया। हिंदू समुदाय अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा कि मांग करते हुए प्रदर्शन कर रहे थे।

अमेरिका से गुहार

इस बीच एक भारतीय-अमेरिकी संस्था ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों की स्वतंत्र जांच कराने का आग्रह किया है। फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज के अध्यक्ष खंडेराव कांड ने डोनाल्ड ट्रंप को लिखे एक पत्र में कहा है कि "बांग्लादेश तेजी से एक कट्टरपंथी इस्लामिक राज्य में तब्दील हो रहा है। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र को बांग्लादेश में लोकतंत्र को बहाल करने और अल्पसंख्यकों की रक्षा करने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

इस्कॉन पर निशाना क्यों?

शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं क्योंकि उन्हें शेख हसीना की आवामी लीग पार्टी का समर्थक माना जाता है। नवंबर की शुरुआत में चटगाँव में तनाव देखा गया, जब एक मुस्लिम किराना दुकानदार ने फेसबुक पोस्ट में इस्कॉन को "आतंकवादी समूह" कहा। शहर के हिन्दू बहुल हज़ारी गली इलाके में झड़पें हुईं जिसमें कई लोग घायल हो गए। चूँकि देश में हिन्दुओं पर हमलों को लेकर इस्कॉन के पुजारी एवं अनुयायी काफी मुखर रहे और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया इसलिए इस्कॉन निशाने पर आ गया और आरोप लगने लगे कि यह संगठन अवामी लीग के हितों को बढ़ावा दे रहा है।

पाकिस्तान के साथ बढ़ रही नजदीकियां

अगस्त में तख्तापलट के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था, प्रदर्शनकारियों ने उनके दिवंगत पिता, राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को गिरा दिया था और उनके स्मारक जला डाले थे। मुजीबुर्रहमान की विरासत को नष्ट करने की घटनाओं को पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की कोशिशों के रूप में भी देखा जा रहा है। इसमें सच्चाई भी है क्योंकि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पाकिस्तान के साथ नज़दीकी बढ़ाने की कोशिश कर रही है। हाल ही में एक दुर्लभ कदम में 53 वर्षों में पहली बार कराची से एक मालवाहक जहाज चटगाँव बंदरगाह पर पहुंचा, जिसने पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधे समुद्री संपर्क का उद्घाटन किया। यह देश की अंतरिम सरकार के क्षेत्रीय दृष्टिकोण में बदलाव को दिखाता है। जबकि पाकिस्तान वह देश है जिसे बांग्लादेश में कई लोग 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बड़े पैमाने पर अत्याचारों के लिए जिम्मेदार मानते हैं।

पाकिस्तानी उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ ने शिपिंग मार्ग की स्थापना को व्यापार और व्यवसाय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक "बड़ा कदम" बताया। इसके पहले, सितंबर में, मोहाम्मद यूनुस ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र आमसभा की बैठक के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की और दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग के लिए मंच ‘सार्क’ को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया, जो भारत-पाकिस्तान संघर्ष के कारण विफल हो गया था। बाद में, बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि उनका देश पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहता है और अगर पाकिस्तान 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अपने सैनिकों द्वारा किए गए अत्याचारों के लिए माफी मांगता है तो यह काम और आसान होगा। साफ़ है कि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है जो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

भारत के लिए चुनौती

हाल ही में बांग्लादेश को इस्लामिक राज्य घोषित करने की मांग की गई है। यह सब इस बात का संकेत है कि बांग्लादेश इतिहास में वापस जा सकता है और पाकिस्तान के साथ एक समान व्यवस्था और प्रेरणा के साथ गठबंधन कर सकता है। लेखिका-कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन, जिन्हें अपनी प्रतिबंधित पुस्तक के लिए मौत की धमकियाँ मिलने के बाद 1994 में बांग्लादेश से भागना पड़ा था, ने सितंबर में कहा था कि "इस्लामिक कट्टरपंथी" भारत विरोधी, हिंदू विरोधी और पाकिस्तान समर्थक प्रचार के साथ बांग्लादेश को एक और अफगानिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के कुछ दिनों बाद, ‘अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट’ से संबद्ध अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के प्रमुख मुफ़्ती जशीमुद्दीन रहमानी को जेल से रिहा कर दिया गया। इस गुट को अब अंसार अल इस्लाम कहा जाता है और इसने भारत में अपने नेटवर्क का विस्तार करने की कोशिश की थी। रहमानी को 2013 में एक धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर, राजीब हैदर की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। इसके अलावा 5 अगस्त को हसीना के निष्कासन के बाद, कई संदिग्ध आतंकवादियों सहित 700 से अधिक कैदी जेलों से भाग गए थे।

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