Bhishm Sahani Death Anniversary: जेब में पैसा हो तो आत्मसम्मान की भावना भी आ जाती है, जानिए भीष्म साहनी का जीवन परिचय
Bhishm Sahani Death Anniversary: ⁰⁰भीष्म साहनी की मृत्यु के वर्षान्त स्मरणदिन को "भीष्म एकादशी" या "भीष्म निर्वाण एकादशी" के नाम से मनाया जाता है। यह पर्व हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह तिथि वर्षभर में बदलती रहती है, इसलिए इसका निर्धारण वर्ष के अनुसार किया जाता है।
Bhishm Sahani Death Anniversary: भीष्म साहनी की मृत्यु के वर्षान्त स्मरणदिन को "भीष्म एकादशी" या "भीष्म निर्वाण एकादशी" के नाम से मनाया जाता है। यह पर्व हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह तिथि वर्षभर में बदलती रहती है, इसलिए इसका निर्धारण वर्ष के अनुसार किया जाता है।
भीष्म एकादशी को भीष्म साहनी की मृत्यु के दिन उन्हें श्रद्धांजलि देने और उनकी पुण्य स्मृति को याद करने का दिन माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करते हैं और उन्हें भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मानते हैं। भक्तों को भीष्म सहनी के धर्मिक तत्वों, वीरता और आदर्शों को याद करने का अवसर मिलता है।
भीष्म साहनी का जन्म
भीष्म साहनी का जन्म अविभाजित भारत में 8 अगस्त 1915 में रावलपिंडी भारत (अब पकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम हरबंस लाल साहनी और माता का नाम लक्ष्मी देवी था। उनके पिता एक समाजसेवी थे। भीष्म साहनी हिंदी फिल्म जगत के प्रसिद्द अभिनेता बलराज साहनी के बड़े भाई थे।
भीष्म साहनी की शिक्षा
भीष्म साहनी की प्रारंभिक शिक्षा हिंदी और संस्कृत में उनके ही घर पर हुई। विद्यालय में उन्होंने उर्दू और अंग्रेजी सीखी। उसके बाद वर्ष 1935 में उन्होंने अंग्रेजी विषय में एमए की परीक्षा पास की। वर्ष 1958 में पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी की शिक्षा ग्रहण की। साहनी जी को हिंदी संस्कृत के अलावा उर्दू अंग्रेजी फ़ारसी का ज्ञान था।
भीष्म साहनी का करियर
भीष्म साहनी ने अध्यापन का कार्य किया। अध्यापन के साथ उन्होंने ने पत्रिकारिता की और नाटक मंडली इप्टा के भी सदस्य रहे। फिल्म जगत में असफल होने के बाद उन्होंने अम्बाला कॉलेज और पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर पढ़ाया। इसी समय एक विदेशी प्रकाशन मॉस्को में अनुवादक का कार्य भी किया। प्रसिद्द पुस्तके जैसे टॉलस्टॉय ऑस्ट्रोवस्की आदि का हिंदी अनुवाद किया। वह साहित्य अकादमी एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य भी रहे।
भीष्म साहनी की प्रसिद्द पुस्तकें
भीष्म साहनी एक प्रसिद्द लेखक कहानीकार थे। उनके साहित्यिक जीवन में लेखक मुंशी प्रेमचंद और यशपाल का गहरा प्रभाव रहा। उन्होंने सामाजिक कुरीतियां जैसे भष्टाचार , राजनैतिक खोखलापन शोषण जैसे विषयो पर अपनी रचनाएँ लिखी। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं- झरोखे, तामस, भाग्यरेखा, माधवी, मुआवजे आदि।
भीष्म साहनी के पुरस्कार
अपने साहित्यिक जीवन में भीष्म साहनी को अनेक पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया जैसे-
1) तमस के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
2) सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
3) पद्म भूषण
4) सलाका पुरस्कार, नयी दिल्ली
5) संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2001
एक महान लेखक, साहित्यकार की मृत्यु 11 जुलाई 2003 को दिल्ली में हुई।