बिहार का राजनीतिक भूचाल: फोकस राजभवन पर
Bihar Politics: 79 विधायकों के साथ राजद बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है और नीतीश द्वारा भाजपा के साथ नई सरकार बनाने का दावा करने की स्थिति में इसके द्वारा वैकल्पिक सरकार बनाने का दावा पेश करने की संभावना है।
Bihar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने वर्तमान महागठबंधन सरकार के गिरने की स्थिति में सत्ता बरकरार रखने की कोशिश में अपने घोड़े खोल दिए हैं सो इन हालातों में अब सभी की निगाहें राजभवन पर टिकी हैं क्योंकि वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए राजद दावा ठोंक सकता है। चूँकि नीतीश का पाला बदलना तय है सो, लालू यादव ने अपने सुपुत्र उपमुख्यमंत्री तेजस्वी के संग राजद विधायक दल की बैठक में पार्टी के भविष्य के कदम के बारे में कोई फैसला करने वाले हैं।
राजद सबसे बड़ी पार्टी
79 विधायकों के साथ राजद बिहारविधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है और नीतीश द्वारा भाजपा के साथ नई सरकार बनाने का दावा करने की स्थिति में इसके द्वारा वैकल्पिक सरकार बनाने का दावा पेश करने की संभावना है। राजद राजभवन के सामने पार्टी विधायकों की परेड भी करा सकती है।
कांग्रेस और तीन वाम दलों के साथ राजद के पास 114 विधायक हैं। ऐसे में 243 सदस्यीय विधानसभा में 122 की जादुई संख्या तक पहुंचने के लिए इनके पास सिर्फ आठ विधायकों की कमी है, सो आंकड़ा पूरा करने के लिए जुगत लगाई जा रही है। किसी भी स्थिति में राजद को सबसे पहले नीतीश सरकार से अपना समर्थन वापस लेना होगा और अपने सहयोगी दलों के विधायकों का समर्थन जुटाकर विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना होगा।
फिलहाल, राजद हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के चार विधायकों और एक निर्दलीय विधायक को उपमुख्यमंत्री जैसे बड़े पदों की पेशकश करके समर्थन की उम्मीद कर सकता है और वह अन्य दलों के तीन विधायकों का मैनेज कर सकता है। बताया जाता है कि राजद विधायक और विधान पार्षद भी पार्टी नेतृत्व पर नीतीश कुमार सरकार से समर्थन वापस लेने का दबाव बना रहे हैं लेकिन तेजस्वी इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते। तेजस्वी ने कहा है कि पहले नीतीश अपनी स्थिति स्पष्ट करें और उन कारणों का भी खुलासा करें जिनकी वजह से उन्हें महागठबंधन से नाता तोड़ना पड़ा, उसके बाद ही राजद अपना कदम उठाएगा।
इस बीच, नीतीश के इस्तीफा सौंपने और भाजपा के साथ नई सरकार बनाने का दावा पेश करने से पहले जद (यू) अपने कोर ग्रुप की बैठक करने वाली है। कांग्रेस भी पूर्णिया में राज्य विधायक दल की बैठक भी कर रही है। वहीं, शाम को भाजपा की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक होगी।
नीतीश को साथ रखने की मज़बूरी
जहाँ तक नीतीश कुमार की बात है तो उन्होंने दोनों ओर से मौक़े खुले रखे हैं। जब उनको राजद के साथ मुश्किल होती है तो वो भाजपा के साथ चले जाते हैं. जब भाजपा के साथ मुश्किल होती है तो वो राजद के साथ चले जाते हैं। उनका कद ही ऐसा है कि उन्हें इग्नोर किया ही नहीं जा सकता। नीतीश के पास अपना बहुत वोट नहीं हैं लेकिन जब वो किसी के साथ होते हैं तो उसके प्रभाव के साथ वो वोट उनके साथ होता है। कोई पूछे कि नीतीश एनडीए के साथ क्यों जाना चाहते हैं तो जवाब में ये बातें गिनाई जा सकती हैं - जद (यू) को अगले लोकसभा चुनाव में बिहार में टॉप पर बनाये रखना है, यह भी सुनिश्चित करना है कि जब तक वह चाहें तब तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहें। इसके अलावा सबसे बड़ी बात है कि उनका सपना एक दिन प्रधानमंत्री बनने का है। इन्हीं वजहों से वह कभी इंडिया अलायन्स के साथ जुड़ते हैं तो अब एनडीए में जाने वाले हैं।