Punjab में भाजपा-अकाली दल का गठबंधन तय, सुखबीर बादल जल्द PM मोदी और अमित शाह से मिलेंगे, 16 तक होगी NDA में वापसी की घोषणा

Lok Sabha Election 2024: अकाली दल भाजपा का पुराना सहयोगी रहा है मगर किसान आंदोलन के दौरान पार्टी ने अपनी राहें एनडीए से अलग कर ली थीं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-02-10 04:27 GMT

Sukhbir Badal meet PM Modi  (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए को मजबूत बनाने की भारतीय जनता पार्टी की कोशिशें परवान चढ़ने लगी हैं। पंजाब में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन लगभग तय हो गया है। अकाली दल भाजपा का पुराना सहयोगी रहा है मगर किसान आंदोलन के दौरान पार्टी ने अपनी राहें एनडीए से अलग कर ली थीं। अब एक बार फिर अकाली दल की एनडीए में वापसी होने वाली है।

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल 11 और 12 फरवरी को राजधानी दिल्ली में रहेंगे। इस दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी से मुलाकात से पूर्व वे गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलेंगे। माना जा रहा है कि इसके बाद दोनों दलों के बीच पंजाब में सियासी गठबंधन का ऐलान कर दिया जाएगा।

सुखबीर बादल ने की पीएम मोदी की तारीफ

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने इन दिनों पंजाब बचाओ यात्रा निकाल रखी है। शुक्रवार को वे इस यात्रा के सिलसिले में फिरोजपुर में थे और इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। सुखबीर बादल की ओर से पीएम मोदी की तारीफ को दोनों दलों के बीच दूरियां कम होने का संकेत माना जा रहा है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि यात्रा के विश्राम के दौरान सुखबीर बादल 11 फरवरी को दिल्ली पहुंचने वाले हैं। दिल्ली में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात होगी। इसके बाद 16 फरवरी तक दोनों दलों के बीच गठबंधन का बड़ा ऐलान किया जा सकता है।

अलग होने के बाद अकाली दल को नुकसान

मोदी सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए शिरोमणि अकाली दल ने सितंबर 2020 में भाजपा के साथ करीब ढाई दशक पुराना गठबंधन तोड़ लिया था। अकाली दल भाजपा का सबसे पुराना और विश्वसनीय सहयोगी था मगर कृषि कानूनों को लेकर दोनों दलों की राहें अलग हो गई थीं। इसके बाद पंजाब में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था।

भाजपा से अलग होने का शिरोमणि अकाली दल को सियासी नुकसान भी उठाना पड़ा है। 2022 के चुनाव में अकाली दल पंजाब में सिर्फ तीन सीटों पर सिमट गया था। आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी। भाजपा भी अपनी ताकत दिखाने में कामयाब नहीं हो सकी थी। इसलिए पंजाब में गठबंधन को दोनों दलों की सियासी मजबूरी माना जा रहा है।

दोनों दलों के बीच सीटों का फॉर्मूला तय

पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं और जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा और अकाली दल के बीच सीटों का फॉर्मूला भी तय हो गया है। राज्य में अकाली दल सात और भाजपा छह सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष शुक्रवार को अकाली दल से गठबंधन के मुद्दे पर पार्टी नेताओं से चर्चा करने के लिए चंडीगढ़ पहुंचे थे।

सूत्रों के मुताबिक इस दौरान उन्होंने गठबंधन की संभावनाओं को लेकर भाजपा नेताओं की नब्ज को टटोला। पंजाब के भाजपा नेताओं से उन्हें पॉजिटिव फीडबैक मिला है जिसके बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन तय हो गया है।

दूसरी ओर हरियाणा में भाजपा सरकार ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के चुनाव को टाल दिया है। सरकार की ओर से 7 फरवरी को ही चुनाव का ऐलान किया गया था मगर अकाली दल की ओर से इसका विरोध किया जा रहा था। इस विरोध के मद्देनजर सरकार ने चुनाव टालने का बड़ा कदम उठाया है।

16 फरवरी से पहले हो सकता है ऐलान

भाजपा की 16 फरवरी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी और 17 व 18 फरवरी को नेशनल काउंसिल की राजधानी दिल्ली में बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि भाजपा की ओर से इससे पूर्व अकाली दल और अन्य दलों के साथ गठबंधन का बड़ा ऐलान किया जा सकता है।

अकाली दल के दिग्गज नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सारे कार्यक्रमों को रद्द कर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए चंडीगढ़ पहुंचे थे। उनके अंतिम संस्कार के मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और भोग पर गृह मंत्री अमित शाह भी चंडीगढ़ पहुंचे थे। इसके बाद से ही दोनों दलों के बीच गठबंधन की अटकलें लगाई जाती रही हैं।

मायावती को लगेगा करारा झटका

भाजपा और अकाली दल के इस गठबंधन से बसपा मुखिया मायावती को भी करारा झटका लगेगा। पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मायावती की पार्टी बसपा ने अकाली दल के साथ गठबंधन किया था। हालांकि इस गठबंधन का दोनों दलों को कोई खास फायदा नहीं मिल सका था। आम आदमी पार्टी ने भारी बहुमत के साथ राज्य में अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी।

बसपा और अकाली दल के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान भी गठबंधन जारी रहने की उम्मीद जताई जा रही थी मगर भाजपा ने मायावती को बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। मायावती ने पिछले दिनों लखनऊ में एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों से दूरी बनाते हुए अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था मगर पंजाब में बसपा के अकाली दल के साथ गठबंधन की उम्मीद थी जो कि अब खत्म होती दिख रही है।

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