BJP Mission South: राज्यसभा मनोनयन के जरिए भाजपा के मिशन साउथ की शुरुआत, 5 राज्यों में समीकरण साधने की कोशिश

BJP Mission South: साउथ की चारों हस्तियों के मनोनयन के जरिए भाजपा ने दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत बनाने का अपना इरादा जाहिर कर दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-07-07 05:02 GMT

भाजपा के मिशन साउथ (photo: social media ) 

BJP Mission South: भारतीय जनता पार्टी ने अब दक्षिण भारत में मजबूती से पैर जमाने के अभियान की शुरुआत कर दी है। तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव (Telangana Assembly Elections) के लिए पार्टी ने पूरी ताकत लगा रखी है और अब बुधवार को राज्यसभा के लिए किए गए मनोनयन से भी साफ हो गया है कि पार्टी के एजेंडे में दक्षिण भारत टॉप पर है। राज्यसभा में बुधवार को पीटी ऊषा (PT Usha) , इलैयाराजा (Ilaiyaraaja) , वीरेंद्र हेगड़े (Virendra Hegde) और वी विजयेंद्र कुमार (V Vijayendra Kumar) के मनोनयन के पीछे पार्टी की बड़ी सोच नजर आती है। इन चारों जानी-मानी हस्तियों के मनोनयन में सबसे उल्लेखनीय पहलू चारों का दक्षिण भारत से होना है।

सियासी जानकारों का मानना है कि इन चारों हस्तियों के मनोनयन के जरिए भाजपा (BJP) ने दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत बनाने का अपना इरादा जाहिर कर दिया है। हिंदी भाषी राज्य में पार्टी की पकड़ पहले ही दूसरे दलों की अपेक्षा काफी मजबूत है मगर अब पार्टी दक्षिण भारत पर पूरा फोकस करना चाहती है।

चारों हस्तियों का ताल्लुक दक्षिण भारत से

राज्यसभा के लिए मनोनीत की गई मशहूर एथलीट पीटी ऊषा का ताल्लुक केरल से है। दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले मशहूर संगीतकार इलैयाराजा तमिलनाडु से जुड़े हुए हैं। प्रसिद्ध स्क्रीन राइटर और डायरेक्टर विजयेंद्र प्रसाद आंध्र प्रदेश से जुड़े हुए हैं जबकि वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक के प्रसिद्ध धर्मस्थल टेंपल के प्रमुख हैं। विजयेंद्र प्रसाद आरआरआर, बजरंगी भाईजान और बाहुबली सीरीज के लिए जाने जाते हैं।

जानकारों का कहना है कि राज्यसभा में इन चारों प्रमुख हस्तियों के मनोनयन के जरिए भाजपा ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना में समीकरण साधने की शुरुआत कर दी है। मनोनयन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार ट्वीट करके इन चारों हस्तियों के योगदान की प्रशंसा की और कहा कि इन चारों के मनोनयन से उच्च सदन को नई रोशनी मिलेगी।

पांच राज्यों पर भाजपा का इसलिए फोकस

दरअसल भाजपा ने दक्षिण भारत के जिन पांच राज्यों पर नजरें टिका रखी हैं उन्हें सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इन पांचों राज्यों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी थी। इन पांच राज्यों में लोकसभा की 129 सीटें हैं मगर भाजपा इनमें से सिर्फ 30 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। इनमें से भी 26 सीटें अकेले कर्नाटक से हैं। इससे समझा जा सकता है कि बाकी के चार राज्यों में भाजपा सिर्फ चार सीटें ही जीतने में कामयाब हो सकी।

2024 की सियासी जंग की तैयारी

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व दक्षिण भारत के इन राज्यों में पार्टी की कमजोर पकड़ को लेकर चिंतित है और इसीलिए अब दक्षिण भारत पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। भाजपा को दो साल बाद 2024 की बड़ी सियासी जंग में उतरना है और इसलिए पार्टी दक्षिण भारत में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।

तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस के खिलाफ भी पार्टी ने जोरदार अभियान छेड़ रखा है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हैदराबाद में आयोजित करने के पीछे भी भाजपा की यही सोच रही है।

सिर्फ कर्नाटक में मजबूत पैठ बना सकी है भाजपा

भाजपा का अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह ने दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत बनाने की रणनीति तैयार की थी मगर अभी तक पार्टी की इस मुहिम में ज्यादा कामयाबी नहीं मिल सकी है। अब जगत प्रकाश नड्डा भी उस रणनीति को अमलीजामा पहनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

दक्षिण भारत में कर्नाटक अकेला ऐसा राज्य है जहां भाजपा ने अपनी पैठ काफी मजबूत बना ली है। मौजूदा समय में भी पार्टी की कर्नाटक में सरकार है मगर अन्य दक्षिणी राज्यों में पार्टी को अभी तक अच्छे नतीजे नहीं मिल सके हैं। कर्नाटक के अलावा पुडुचेरी में भी पार्टी ने मजबूती से पांव जमा लिए हैं।

इन चार राज्यों में ताकत लगाएगी पार्टी

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की सबसे बड़ी चिंता तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को लेकर है। कर्नाटक और तेलंगाना में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए पार्टी ने इन दोनों ही राज्यों में पूरी ताकत लगा रखी है। गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा लगातार तेलंगाना का दौरा करने में जुटे हुए हैं। पार्टी ने मुख्यमंत्री केसीआर पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का बड़ा आरोप लगाया है। भाजपा ने तेलंगाना को परिवारवाद और भ्रष्टाचार से मुक्त करने का संकल्प जताया है।

तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस को कांग्रेस से ज्यादा बड़ी चुनौती भाजपा से ही मिल रही है। भाजपा को तेलंगाना में अच्छी चुनावी संभावनाएं दिख रही हैं और यही कारण है कि पार्टी ने इस दक्षिणी राज्य में पूरी ताकत लगा रखी है। केरल और तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं मगर उससे पहले पार्टी को 2024 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ना है। इसलिए पार्टी ने यहां भी पूरी ताकत लगाने का फैसला किया है। आंध्र प्रदेश में 2019 के चुनाव में भाजपा एक भी लोकसभा सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई थी मगर 2024 में पार्टी यहां बेहतर प्रदर्शन करना चाहती है।

Tags:    

Similar News