स्वच्छ सर्वेक्षण पर सीएसई की रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से गलत : केन्द्र
केंद्र सरकार ने आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के स्वच्छ भारत अभियान के तहत देशव्यापी स्तर पर स्वच्छता सर्वे की खामियां उजागर करने वाली सेंटर फॉर साइंस एडं एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है। मंत्रालय ने शुक्रवार को रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा कि रिपोर्ट में तथ्यों को सही तरह से पेश नहीं किया गया है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के स्वच्छ भारत अभियान के तहत देशव्यापी स्तर पर स्वच्छता सर्वे की खामियां उजागर करने वाली सेंटर फॉर साइंस एडं एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है।
मंत्रालय ने शुक्रवार को रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा कि रिपोर्ट में तथ्यों को सही तरह से पेश नहीं किया गया है। मंत्रालय ने शुक्रवार को पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी शोध संस्था सीएसई की रिपोर्ट का खंडन करते हुये कहा है कि इस रिपोर्ट में तथ्यों को सही तरह से पेश नहीं किया गया है।
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उल्लेखनीय है कि सीएसई की रिपोर्ट में स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 की गुणवत्ता को दोयम दर्जे का बताते हुये कहा गया है कि महज 28 दिन में पूरे किये गये इस सर्वेक्षण में शहरों के स्वच्छता मानकों के आंकलन में कई खामियां रहीं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सर्वेक्षण में दर्ज आंकड़ों का जमीनी स्तर पर आंकलन महज 28 दिन में पूरा कर लिया गया जबकि 2018 में इस आंकलन के लिये निर्धारित 66 दिन की अवधि में कोई काम नहीं किया गया।
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इस मामले में मंत्रालय द्वारा जारी स्पष्टीकरण में रिपोर्ट का खंडन करते हुये कहा गया है कि स्थानीय निकायों से स्वच्छता सर्वेक्षण के बारे में सितंबर से दिसंबर 2018 के दौरान प्रति माह फीडबैक लिया गया। सिर्फ जनता के फीडबैक की जमीनी हकीकत जानने का काम 28 दिन में पूरा हुआ।
इस मामले में मंत्रालय ने कहा कि स्थानीय निकायों से स्वच्छता सर्वेक्षण के बारे में सितंबर से दिसंबर 2018 के दौरान प्रति माह फीडबैक लिया गया। सिर्फ जनता के फीडबैक की जमीनी हकीकत जानने का काम 28 दिन में पूरा हुआ। सिर्फ आकलन के काम में ही प्रत्येक सर्वेक्षण में 3000 लोगों की मदद ली गई। इस दौरान देश के सभी 4237 स्थानीय निकायों का दौरा किया गया। इस प्रक्रिया की जियो टैगिंग प्रणाली से निगरानी भी की गई।
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