केंद्र सरकार समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के खिलाफ,सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

Supreme Court: याचिकाओं पर सुनवाई से पहले केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे से साफ हो गया है कि केंद्र सरकार इसके पक्ष में नहीं है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-03-12 17:02 IST

same sex marriage centre opposes legal recognition in supreme court (Social Media)

Supreme Court: केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के संबंध में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इन याचिकाओं पर सुनवाई से पहले केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे से साफ हो गया है कि केंद्र सरकार इसके पक्ष में नहीं है।

भारतीय परंपरा के विपरीत बताया

केंद्र सरकार की ओर से शीर्ष अदालत में 56 पेज का हलफनामा दाखिल किया गया है। इस हलफनामे में समलैंगिक विवाह को भारतीय परंपरा के विपरीत बताया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि समान सेक्स वाले संबंध की तुलना भारतीय परिवार के पति व पत्नी के संबंध से पैदा हुए बच्चों के कॉन्सेप्ट से कभी नहीं की जा सकती। इस हलफनामे में केंद्र सरकार की ओर से विवाह की धारणा को भी स्पष्ट किया गया है। केंद्र के मुताबिक विवाह की धारणा अनिवार्य रूप से विपरीत सेक्स वाले दो व्यक्तियों के मिलन को मानती है।

केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में मौजूदा समय के समाज का भी जिक्र किया गया है। केंद्र सरकार ने कहा कि मौजूदा समय में समाज में कई तरह की शादियों और संबंधों को अपनाया जा रहा है और इस पर केंद्र सरकार को कोई आपत्ति नहीं है मगर समलैंगिक विवाह को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

याचिकाओं को खारिज करने की मांग

हलफनामे में केंद्र सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट और देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों की ओर से विभिन्न फैसलों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की विस्तृत व्याख्या की गई है। इन फैसलों के आधार पर समलैंगिक विवाह की अनुमति मांगने के संबंध में दाखिल की गई याचिकाओं को खारिज कर दिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाओं में सुनवाई करने लायक कुछ भी नहीं है। इसलिए मेरिट के आधार पर इन याचिकाओं को खारिज किया जाना चाहिए।

केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को प्रकृति के खिलाफ बताते हुए कहा कि हमारे इतिहास में अलग सेक्स वाले लोगों के विवाह को आदर्श के रूप में देखा गया है। सामाजिक महत्व को देखते हुए राज्य भी स्त्री और पुरुष के विवाह को ही मान्यता देने के पक्ष में हैं। इसके अलावा किसी भी प्रकार के विवाह को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। वैसे हलफनामे में यह भी कहा गया है कि मान्यता न मिलने के बावजूद इस तरह के संबंध गैरकानूनी नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के संबंध में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई होने वाली है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

दिल्ली हाईकोर्ट और कई अन्य उच्च न्यायालयों के समक्ष भी इस तरह की याचिकाएं दाखिल की गई थीं और सुप्रीम कोर्ट ने गत 6 जनवरी को इन सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत को भेजने का निर्देश दिया था। इस मामले में सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने हलफनामे में अपना दृष्टिकोण पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है।

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