Chardham Yatra: चारधाम यात्रा में इतनी भीड़ कि घबराने लगे पर्यावरणविद

Chardham Yatra:यात्रियों की जबरदस्त भीड़ को उत्तराखंड के पर्यावरण विशेषज्ञ एक बड़े खतरे की शुरुआत बता रहे हैं।

Update: 2023-06-10 09:55 GMT

Chardham Yatra: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।

43.5 लाख तीर्थयात्रियों के पंजीकरण के साथ इस वर्ष चारधाम यात्रा ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। 24.5 लाख लोग पहले ही पवित्र यात्रा पूरी कर चुके हैं। यात्रियों की जबरदस्त भीड़ को उत्तराखंड के पर्यावरण विशेषज्ञ एक बड़े खतरे की शुरुआत बता रहे हैं।

रिकार्ड तीर्थयात्री

पिछले साल 46 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने चार धाम और हेमकुंड साहिब का दौरा किया था। इस साल केवल डेढ़ महीने में पंजीकरण की संख्या 43.5 लाख को पार कर गई है। यानी नया रिकॉर्ड बनने जा रहा है।

121 यात्रियों की मौत

22 अप्रैल को शुरू हुई चारधाम यात्रा के 45 दिनों के भीतर देशभर के 121 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। इनमें से 58 तीर्थयात्रियों की मौत केदारनाथ यात्रा के दौरान हुई। इन मौतों के पीछे खराब मौसम, कड़ाके की ठंड, हार्ट अटैक और अन्य कारण बताए जा रहे हैं। अब तक 634 लोग घायल हुए हैं। इन श्रद्धालुओं को ले जा रहे 20 खच्चरों की भी मौत हो चुकी है। यमुनोत्री मार्ग पर 470 तीर्थयात्री घायल हुए, जबकि 21 घोड़ों और खच्चरों की मौत हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक मरने वालों में ज्यादातर तीर्थयात्री बंगाल, महाराष्ट्र, यूपी, मध्य प्रदेश और गुजरात के थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सांस लेने में दिक्कत के चलते 2,500 से ज्यादा तीर्थयात्रियों को ऑक्सीजन सेवा मुहैया कराई गई। ये सभी 11,775 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रेकिंग कर रहे थे।

पर्यावरण को नुकसान

एक्सपर्ट्स और पर्यावरणविदों का कहना है कि चारधाम यात्रा में अब वाहनों का प्रयोग अत्यधिक बढ़ गया है, जो प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। वायु प्रदूषण से वातावरण में कार्बन मोनोक्साइड, नाईट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक प्रदूषकों का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा हिमालयी पारिस्थितिकी में ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, धातु प्रदूषण और अन्य प्रदूषण रूपों में भी वृद्धि देखी जा रही है। यह प्रदूषण हिमालयी जलवायु, वनों और जीव विविधता पर भी बुरा प्रभाव डालता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, पहाड़ियों की भार वहन करने की सीमित क्षमता होती है। भारी भीड़ और उसके जुड़े अन्य फैक्टर्स का असर बहुत बुरा हो सकता है। अन्यथा फिर से एक बड़ी आपदा हो सकती है।

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