Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में छगन भुजबल के बागी तेवर, मंत्री न बनाए जाने से नाराज, अजित पवार पर साधा निशाना
Maharashtra Politics: भुजबल के इस बयान को अजित पवार के खिलाफ बगावत के रूप में देखा जा रहा है। पुणे और बारामती में अजित पवार के बंगले के बाहर मंगलवार को भुजबल समर्थकों ने प्रदर्शन भी किया।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार के बाद घमासान छिड़ गया है। मंत्री न बनाए जाने के कारण कई नेता नाराज दिख रहे हैं। एनसीपी के अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए नेतृत्व पर हमला बोला है। छगन भुजबल को ओबीसी वर्ग का बड़ा नेता माना जाता है और उन्हें मंत्री न बनाए जाने पर समर्थकों ने इसे ओबीसी वर्ग का अपमान बताया है।
उन्होंने खुद को मंत्री न बनाए जाने पर अजित पवार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि क्या मैं उनके हाथ का खिलौना मात्र हूं? उन्होंने यहां तक कह डाला कि जहां नहीं चैना,वहां नहीं रहना। भुजबल के इस बयान को अजित पवार के खिलाफ बगावत के रूप में देखा जा रहा है। पुणे और बारामती में अजित पवार के बंगले के बाहर मंगलवार को भुजबल समर्थकों ने प्रदर्शन भी किया। इस पूरे प्रकरण को लेकर अजित पवार ने अभी तक चुप्पी साध रखी है।
भुजबल ने अजित पवार के खिलाफ खोला मोर्चा
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को नागपुर में अपनी कैबिनेट का विस्तार किया था। इस दौरान 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी। इनमें भाजपा के 19, शिंदे गुट के 11 और अजित पवार गुट के नौ विधायक शामिल थे। अजित पवार की एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को कैबिनट मंत्री बनाया जाना तय माना जा रहा था मगर सूची से उनका नाम काट दिया गया।
इसे लेकर छगन भुजबल काफी नाराज हैं और उन्होंने अजित पवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे मगर अजित पवार ने उन्हें मंत्री नहीं बनने दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि एनसीपी के सारे फैसले अजित पवार खुद लेते हैं और उनके कारण ही मैं मंत्री नहीं बन सका।
अजित पवार ने नहीं बनने दिया मंत्री
भुजबल ने कहा कि उन्हें मंत्री न बन पाने का कोई दुख नहीं है मगर जिस तरह का व्यवहार किया गया,वह आहत करने वाला है। उन्होंने खुद को मंत्री न बनाए जाने और हाल में राज्यसभा सीट ऑफर किए जाने को लेकर अजित पवार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस साल की शुरुआत में जब मैं राज्यसभा जाना चाहता था तो मुझे विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए कहा गया। जब मैंने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर ली तो अब मुझे राज्यसभा सीट का ऑफर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पहले मांगने पर भी राज्यसभा की सीट मुझे नहीं दी गई और अब मुझे ऑफर की जा रही है। क्या मैं अजित पवार के हाथों का खिलौना बन गया हूं? क्या आपको लगता है कि जब आप कहेंगे तो मैं खड़ा हो जाऊंगा और जब आप कहेंगे तो मैं बैठ जाऊंगा?
उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी के सारे फैसले अजित पवार खुद लेते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुझे अपनी कैबिनेट में मंत्री बनना चाहते थे मगर अजित पवार की वजह से वे यह कदम नहीं उठा सके।
क्षेत्र के लोगों से चर्चा के बाद आगे का फैसला
उन्होंने कहा कि मैं एनसीपी कार्यकर्ताओं और येवला क्षेत्र के लोगों से चर्चा के बाद ही आगे के कदम का फैसला लूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि मई महीने के दौरान मुझसे लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया मगर एनसीपी की सूची में मेरा नाम कभी आया ही नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर मुझे नासिक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को कहा गया था। मैंने एक महीने तक तैयारी भी की मगर मुझे पार्टी का टिकट नहीं दिया गया।
लोकसभा चुनाव में मेरे साथ वादा खिलाफी करने के बाद अब विधानसभा चुनाव के बाद भी मेरे साथ खेल किया गया। उन्होंने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में मेरे क्षेत्र के मतदाताओं ने कड़ी लड़ाई के बावजूद मुझे भरपूर समर्थन दिया है। ऐसे में मैं उनसे विधानसभा से इस्तीफा की बात कैसे कर सकता हूं?
सियासी जानकारों का करना है कि छगन भुजबल को महाराष्ट्र का बड़ा ओबीसी चेहरा माना जाता रहा है और अब वे बागी तेवर अपनाते हुए दिख रहे हैं। भुजबल प्रकरण को लेकर अजित पवार ने चुप्पी साथ रखी है मगर आने वाले दिनों में इसे लेकर सियासी उठापटक काफी तेज होने की संभावना जताई जा रही है।