Chhattisgarh Election 2023: कांग्रेस-आप के बीच और बढ़ा टकराव, दिल्ली के बाद अब छत्तीसगढ़ को लेकर घमासान
Chhattisgarh Election 2023 Congress vs AAP: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को छत्तीसगढ़ दौरे के समय बघेल सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए थे तो अब कांग्रेस ने दिल्ली के हालात को लेकर केजरीवाल सरकार पर हमला बोला है।
Chhattisgarh Election 2023 Congress vs AAP: कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। दिल्ली के बाद अब छत्तीसगढ़ को लेकर दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का नया दौर शुरू हो गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को छत्तीसगढ़ दौरे के समय बघेल सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए थे तो अब कांग्रेस ने दिल्ली के हालात को लेकर केजरीवाल सरकार पर हमला बोला है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने दिल्ली में केजरीवाल सरकार को घेरते हुए कहा कि उन्हें दिल्ली के हालात पर बहस करनी चाहिए क्योंकि यह शहर लगातार रसातल में जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व की शीला दीक्षित सरकार और मौजूदा सरकार के कामकाज पर भी बहस की जानी चाहिए। कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाली बड़ी सियासी जंग से पहले दोनों पार्टियों की ओर से एक-दूसरे पर इन हमलों से विपक्षी एकजुटता की कलई खुलती जा रही है।
केजरीवाल ने बघेल सरकार को घेरा
दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवान सिंह मान के साथ छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ के लिए कई गारंटियों का ऐलान करते हुए राज्य के मतदाताओं से एक बार सेवा का मौका देने की अपील की थी। रायपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने राज्य की भूपेश बघेल सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए थे।
उनका कहना था कि आप सरकार ने दिल्ली में स्कूलों की हालत में काफी सुधार किया है मगर छत्तीसगढ़ में स्कूलों की हालत काफी खराब है। शिक्षा के मोर्चे पर बघेल सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है। उनका कहना था कि यदि आप सरकार को राज्य में काम करने का मौका मिला तो छत्तीसगढ़ की तस्वीर बदल जाएगी।
कांग्रेस ने दी केजरीवाल को बहस की चुनौती
कांग्रेस को अपने प्रभुत्व वाले इलाकों में आप से मिल रही चुनौती रास नहीं आ रही है। आप ने शुक्रवार को राजस्थान की सभी दो सौ विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था और अब पार्टी छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी पूरी ताकत लगाने की कोशिश में जुट गई है। केजरीवाल के दौरे को पार्टी की इसी मुहिम से जोड़कर देखा जा रहा है। केजरीवाल सरकार की ओर से बघेल सरकार पर किए गए हमले के बाद कांग्रेस ने भी पलटवार किया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने कहा कि दिल्ली में आप सरकार की ओर से किए गए कामकाज किसी से छिपे हुए नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल को अपनी सरकार की ओर से किए गए कामकाज को राज्य की पिछली शीला दीक्षित सरकार के कामकाज से तोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली वालों को पता है कि पिछली शीला दीक्षित सरकार ने उनकी बेहतरी के लिए कितने काम किए थे।
खेड़ा ने कहा कि यदि केजरीवाल तैयार हों तो उनकी सरकार और पूर्व की शीला दीक्षित सरकार के कामकाज पर सीधी बहस की जा सकती है। छत्तीसगढ़ से पहले केजरीवाल को दिल्ली के हालात पर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की कामकाज की तुलना राज्य की पिछली रमन सरकार के कामकाज से की जाएगी।
दिल्ली की सीटों को लेकर भी विवाद
संसद में दिल्ली सेवा बिल के मुद्दे पर कांग्रेस ने आप का साथ दिया था और इसके बाद इस समर्थन के लिए केजरीवाल ने आभार भी जताया था। उसके बाद से सियासी महत्वाकांक्षाओं को लेकर दोनों दलों के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। मजे की बात यह है कि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में दोनों ही दल शामिल हैं मगर एक-दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी में भी जुटे हुए हैं।
दिल्ली कांग्रेस की नेता अल्का लांबा ने दो दिन पूर्व दिए गए अपने बयान में कांग्रेस के दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही गई थी। उनका कहना था कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कार्यकर्ताओं को इस बाबत तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
अब मुंबई बैठक पर सभी की निगाहें
कांग्रेस की ओर से यह बयान दिए जाने के बाद दोनों दलों के बीच टकराव लगातार बढ़ता हुआ दिख रहा है। लांबा के बयान के बाद आप की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा था कि ऐसे में विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का क्या मतलब है। उनका यह भी कहना था कि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के मुंबई बैठक में भाग लेने के संबंध में हाईकमान जल्द ही फैसला लेगा। आप के तीखे तीखे तेवर दिखाने पर कांग्रेस की ओर से सफाई भी पेश की गई थी। दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया का कहना था कि ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलने के लिए अलका लांबा पार्टी की अधिकृत प्रवक्ता नहीं हैं।
उनका यह भी कहना था कि दिल्ली की लोकसभा सीटों के संबंध में अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। वैसे दिल्ली के साथ ही पंजाब में भी आप और कांग्रेस के बीच खींचतान लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि मुंबई बैठक के दौरान दोनों दलों के रिश्ते कितना सहज हो पाते हैं।