'बोस नहीं होने देते भारत का बंटवारा' अजीत डोभाल के बयान पर कांग्रेस का पलटवार, जयराम रमेश बोले- ये नए 'डिस्टोरियन'

Ajit Doval on Netaji Bose : NSA अजीत डोभाल ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेमोरियल में अपने संबोधन में कहा, कि नेताजी बोस ने अपने जीवन में कई बार साहस दिखाया। उनके अंदर महात्मा गांधी को चुनौती देने का साहस भी था।

Update:2023-06-17 23:05 IST
NSA अजीत डोभाल और जयराम रमेश ( Social Media)

Ajit Doval on Netaji Bose : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) ने शनिवार (17 जून) को नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) को लेकर बड़ा बयान दिया। डोभाल ने कहा, 'सुभाष बोस के महान प्रयासों पर कोई शक नहीं कर सकता। महात्मा गांधी भी उनके प्रशंसक थे। लेकिन, लोग अक्सर आपके परिणामों के माध्यम से आपको आंकते हैं। एनएसए ने पूछा, तो क्या सुभाष चंद्र बोस का पूरा प्रयास व्यर्थ गया? अब उनके इस बयान पर कांग्रेस ने पलटवार किया है।

एनएसए अजीत डोभाल ने स्पष्ट कहा, 'इतिहास 'नेताजी' के प्रति निर्दयी रहा है। मुझे बेहद खुशी है कि प्रधानमंत्री मोदी इसे फिर से जीवित करने के इच्छुक हैं।' डोभाल के बयान के अभी कुछ समय बीते ही थे कि, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (JaiRam Ramesh VS Ajit Doval) ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस अगर होते तो भारत का विभाजन नहीं होता।'

कांग्रेस- डोभाल भी तथ्यों को तोड़-मरोड़ करने वाले क्लब में

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'कोई भी निश्चित रूप से ये नहीं कह सकता, क्योंकि 1940 तक नेताजी ने फॉरवर्ड ब्लॉक (Forward Block) का गठन कर लिया था। उन्होंने कहा, इस पर उनकी (डोभाल) राय हो सकती है लेकिन यह एक विरोधाभासी सवाल है। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि अजीत डोभाल भी तथ्यों को तोड़-मरोड़ करने वाले क्लब में शामिल हो गए हैं।'

जिन्ना ने केवल एक नेता को स्वीकारा था, वो थे बोस

एनएसए अजीत डोभाल आज दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेमोरियल (Netaji Subhash Chandra Bose Memorial) में पहली स्पीच दे रहे थे। इसी इस दौरान उन्होंने देश के विभाजन तथा नेताजी के व्यक्तित्व को लेकर कई अहम बातें कही। डोभाल ने आगे कहा, 'अगर नेताजी जीवित होते तो भारत का बंटवारा नहीं होता। उन्होंने अपने भाषण में सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, उनके मन में ये विचार आया कि मैं अंग्रेजों से लड़ूंगा। मैं आजादी की भीख नहीं मांगूंगा। ये मेरा अधिकार है। मुझे इसे प्राप्त करना ही होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, सुभाष चंद्र बोस होते तो भारत का विभाजन नहीं होता। जिन्ना ने कहा था कि मैं केवल एक नेता को स्वीकार कर सकता हूं और वो सुभाष बोस हैं।'

'महात्मा गांधी को चुनौती देने का साहस केवल नेताजी में था'

अजीत डोभाल ने ये भी कहा कि, 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) ने अपने जीवन में कई बार साहस का परिचय दिया। उनके अंदर महात्मा गांधी को चुनौती देने का साहस भी था। डोभाल ने अपने संबोधन में कहा, तब महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) अपने राजनीतिक जीवन के शीर्ष पर थे। फिर, बोस ने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने कहा, मैं अच्छा या बुरा नहीं कह रहा हूं, लेकिन भारतीय इतिहास और विश्व इतिहास के ऐसे लोगों में बहुत कम समानताएं हैं, जिनमें धारा के खिलाफ बहने का साहस था। ऐसा करना आसान नहीं था।'

'इतिहास देख लेना चाहिए'

जयराम रमेश ने कहा, 'एक बात अजीत डोभाल ने नहीं कही है। नेताजी के बड़े भाई शरत चंद्र बोस (Sarat Chandra Bose) के कड़े विरोध के बावजूद बंगाल के विभाजन (Partition of Bengal) का समर्थन करने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। मैं डोभाल को रुद्रांशु मुखर्जी की 2015 की बेहतरीन किताब 'पैरेलल लाइव्स' की एक प्रति भेज रहा हूं। उससे कम से कम कुछ वास्तविक इतिहास देख लेना चाहिए।'

डोभाल पर जयराम रमेश के 4 सवाल

NSA अजीत डोभाल के बयान पर जयराम रमेश ने चार सवाल दागे। कांग्रेस नेता ने कहा, 'अजीत डोभाल ज्यादा नहीं बोलते हैं, लेकिन अब तोड़-मरोड़ करने वालों की जमात में शामिल हो गए। उन्होंने पूछा, क्या नेताजी ने गांधी को चुनौती दी थी? बेशक उन्होंने ऐसा किया। क्या नेताजी वामपंथी थे? बेशक वह थे। क्या नेताजी धर्मनिरपेक्ष थे? बेशक डटकर और दृढ़ता के साथ। क्या विभाजन नहीं होता अगर नेताजी जीवित होते? कौन कह सकता है। रमेश कहते हैं, क्योंकि 1940 तक नेताजी ने फॉरवर्ड ब्लॉक बना लिया था। इस पर आपकी राय हो सकती है लेकिन यह एक विरोधाभासी सवाल है।

TMC MP ने ये कहा

तृणमूल सांसद सुखेंदु शेखर रे (TMC MP Sukhendu Sekhar Ray) ने कहा कि, 'मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा भारत के विभाजन के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं। तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने लिखा कि यहां तक कि CPI ने मुस्लिम लीग की अलग देश की मांग का समर्थन किया था।

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