Loksabha Speaker Election: ओम बिरला के खिलाफ कांग्रेस ने दलित सांसद के सुरेश को उतारा, स्पीकर चुनाव हुआ दिलचस्प

Loksabha Speaker Election: 26 जून को लोकसभा सदन की कार्रवाई शुरू होने के साथ ही प्रोटेम स्पीकर के द्वारा लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा। इसे लेकर एनडीए और इंडिया ब्लॉक की ओर से अपने-अपने उम्मीद्वारों का नामांकन कराया है।

Newstrack :  Network
Update:2024-06-25 19:21 IST

 एनडीए प्रत्याशी ओम बिरला और इण्डिया ब्लॉक प्रत्याशी के सुरेश। Photo- Social Media

Loksabha Speaker Election: 26 जून को लोकसभा सदन की कार्रवाई शुरू होने के साथ ही प्रोटेम स्पीकर के द्वारा लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा। इसे लेकर एनडीए और इंडिया ब्लॉक की ओर से अपने-अपने उम्मीद्वारों का नामांकन कराया है। एनडीए की ओर से जहाँ पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पुनः इस पद के लिए उतारा गया है तो दूसरी ओर इंडिया ब्लॉक ने केरल से सांसद के सुरेश को बिरला के खिलाफ मैदान में भेजा है। ओम बिरला के सवर्ण वैश्य होने के चलते कांग्रेस ने इस बार चुनाव में दक्षिण एंगल का इस्तेमाल करते हुए केरल से दलित सांसद के सुरेश पर दांव लगाया है। जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने यह कदम दलितों को लुभाने के लिए उठाया है। 

आपको बताते चलें कि इसके पहले विपक्ष की ओर से संसद में डिप्टी स्पीकर पद की मांग की गई थी लेकिन जब इस पर बात नहीं बनी तो उन्होंने अपना प्रत्याशी चुनाव में उतारा है। हालाँकि लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए फ़िलहाल एनडीए पक्ष का पलड़ा भारी है क्योंकि सदन में इस पद के लिए उन्हें पर्याप्त बहुमत प्राप्त है। दूसरी ओर विजय का आंकड़ा छूने के लिए इण्डिया ब्लॉक को कुल 271 वोटों की आवश्यकता है जबकि उनके कुल सांसदों की संख्या इससे कम है। हालाँकि अध्यक्ष पद का चुनाव भले ही कांग्रेस न जीत सके लेकिन उसने दलित प्रत्याशी को उतारकर एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास किया है।

केरल के दलित समुदाय से हैं सुरेश

इंडिया ब्लॉक के लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी बनाए गए कोडिकुन्निल सुरेश केरल के मवेलीकारा से लगातार 8वीं बार कांग्रेस सांसद हैं। वह केरल के चेरामार समुदाय से आते हैं जो वहाँ अनुसूचित जाति की कैटेगरी में आती है। दूसरी ओर एनडीए के लोकसभा अध्यक्ष प्रत्याशी ओम बिरला हैं जो राजस्थान की कोटा सीट से लगातार 3 बार के भारतीय जनता पार्टी से सांसद हैं और वैश्य जाति से संबंध रखते हैं। उत्तर भारत में यह जाति सवर्ण कैटेगरी में आती है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो कांग्रेस अपने इस कदम से दलितों के साथ ही दक्षिण की राजनीति में अपनी पैठ और मजबूत करना चाहती है। फ़िलहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि बहुमत किसकी तरफ जाता है और किसे लोकसभा अध्यक्ष पद की कुर्सी हासिल होती है।

ओम बिरला का पलड़ा भारी

आपको बता दें कि इस चुनाव में ओम बिरला का पलड़ा भारी माना जा रहा है क्योंकि अध्यक्ष पद के लिए जरूरी 271 वोटों से अधिक वोट पहले से एनडीए के पास हैं। वर्तमान में लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं जिसमें राहुल गांधी के वायनाड से इस्तीफा देने के बाद एक सीट खाली है। ऐसे में 542 सीटों वाली लोकसभा में अध्यक्ष पद के लिए कुल 271 वोटों की आवश्यकता है। सदन में एनडीए के सांसदों की संख्या 293 है जबकि इण्डिया ब्लॉक के पास सिर्फ 233 सांसद हैं। ऐसे में स्पष्ट बहुमत एनडीए की ओर इशारा कर रहा है। ऐसे में इण्डिया ब्लॉक के लिए जीत की राह आसान नहीं है।

जीत के लिए नितीश और नायडू अहम

 के चंद्रबाबू नायडू एवं नितीश कुमार। Photo- Social Media

कुल 543 सांसदों वाली लोकसभा में 16 ऐसे सांसद हैं जो एनडीए और इण्डिया ब्लॉक में शामिल नहीं है। ऐसे में अगर सभी सांसद इण्डिया ब्लॉक को समर्थन करें तो उनके पास कुल 249 वोट हो जाएंगे। ऐसे में अगर चंद्र बाबू नायडू की टीडीपी के 12 और नितीश कुमार की जदयू के 16 सांसद के सुरेश के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करते हैं तो उनकी जीत की राह आसान हो सकती हैं। हालाँकि इन दोनों ही दलों ने पहले से एनडीए के सहयोग का एलान किया है।  
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