Maharashtra Politics: मुंबई में बाल ठाकरे के स्मारक पर भी हुआ था विवाद, तब महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने किया था खेल
Maharashtra Politics: दिग्गज नेता बाला साहब ठाकरे के निधन के बाद 2012 में उनके स्मारक को लेकर भी महाराष्ट्र में खासा विवाद हुआ था।
Maharashtra Politics: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके स्मारक को लेकर कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपना रखा है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है और स्मारक के लिए जमीन न दिए जाने को देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का अपमान बता रही है। वैसे शिवसेना के दिग्गज नेता बाला साहब ठाकरे के निधन के बाद 2012 में उनके स्मारक को लेकर भी महाराष्ट्र में खासा विवाद पैदा हुआ था।
उस समय महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी और और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। महाराष्ट्र सरकार बाल ठाकरे को राजकीय सम्मान देने के लिए भी तैयार नहीं थी मगर शिवसेना की धमकी के बाद बड़ी मुश्किल से सरकार ने उन्हें राजकीय सम्मान देने का फैसला किया था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार के समय पैदा हुए विवाद की भी खूब चर्चा हो रही है।
शिवसेना की धमकी के बाद मिला था राजकीय सम्मान
हिंदुओं के मुद्दे पर आक्रामक राजनीति करने वाले शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे का निधन 17 नवंबर 2012 को हुआ था। दादर स्थित शिवाजी पार्क से बाल ठाकरे का नजदीकी रिश्ता रहा था और इसलिए शिवसेना की ओर से मांग की गई थी कि शिवाजी पार्क में ही उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाना चाहिए। उस समय महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार सत्तारूढ़ थी और मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण बाल ठाकरे को राजकीय सम्मान देने के लिए तैयार नहीं थे।
महाराष्ट्र सरकार के इस रुख के बाद शिवसेना ने आक्रामक रवैया अपना लिया था। महाराष्ट्र सरकार के रवैये से नाराज होकर शिवसेना ने धमकी दे डाली थी कि यदि ठाकरे का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ नहीं हुआ तो शिवसैनिक उनका शव शिवाजी पार्क में ले जाकर रख देंगे। शिवसेना की इस धमकी के बाद महाराष्ट्र सरकार दबाव में आ गई थी और सरकार ने शिवाजी पार्क में पूरे राजकीय सम्मान के साथ ठाकरे के अंतिम संस्कार की अनुमति दे दी थी।
स्मारक को लेकर भी पैदा हुआ था विवाद
अंतिम संस्कार के बाद बाल ठाकरे के स्मारक को लेकर भी विवाद पैदा हो गया था। बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार के बाद शिवसैनिकों ने अंतिम संस्कार स्थल पर ही शिवसेना संस्थापक की समाधि बना दी। यह स्थल उस स्थान से चंद कदमों की दूरी पर था जहां शिवसेना की ऐतिहासिक दशहरा रैली का मंच सजा करता था। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने इसी मंच से करीब 50 वर्षों तक शिवसैनिकों को संबोधित किया था।
ठाकरे का परिवार चाहता था कि समाधि स्थल के पास ही बाल ठाकरे का स्मारक बनवाया जाए मगर उस समय महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने इस बात की अनुमति नहीं दी थी। उस सरकार में महाराष्ट्र की सरकार में एनसीपी भी शामिल थी और एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने बयान दिया था कि शिवसेना यदि बालासाहेब ठाकरे का स्मारक बनवाना चाहती है तो उसे मातोश्री क्लब में बनवा लेना चाहिए।
भाजपा सरकार ने दी थी स्मारक के लिए जमीन
करीब साल भर बाद बाला साहब ठाकरे की पहली पुण्यतिथि तक यह विवाद बना रहा। उस समय तक महाराष्ट्र की सरकार न तो ठाकरे का स्मारक बनवाने के लिए राजी हुई और न सरकार की ओर से इसके लिए कोई जमीन दी गई। समाधि स्थल को पक्का किए जाने पर सरकार की ओर से इसे तोड़ने की चेतावनी भी दी गई थी। बाद में इस मामले में एनसीपी मुखिया शरद पवार ने भी दखल दिया था मगर फिर भी महाराष्ट्र सरकार की ओर से स्मारक के लिए कोई जमीन नहीं दी गई।
2014 में महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हो गया और देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में भाजपा और शिवसेना की सरकार बनी। इस सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री फडणवीस ने शिवाजी पार्क के निकट मेयर बंगलो में स्मारक के लिए जमीन उपलब्ध कराने की घोषणा की थी।
अब इसी स्थान पर शिवसेना प्रमुख रहे बाला साहेब ठाकरे का स्मारक निर्माणाधीन है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर पैदा हुए विवाद में कांग्रेस के आक्रामक रुख के बाद महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में ठाकरे प्रकरण की भी खूब चर्चा हो रही है।